Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 98
________________ मृच्छकटिकम् (गाथा संग्रह) शूद्रक कवि विरचित किं याशि, धावशि, पलाअशि, पक्खलन्ती वाश! पशीद ण मलिश्शशि, चिट्ट दाव / कामेण दज्झदि हु मे हलके तवश्शी अङ्गाललाशिपडिदे विअ मंशखण्डे // 1 // उत्ताशिता गच्छशि अत्तिका मे शंपुण्णपच्छा विअ गिम्हमोरी / ओवग्गदी शामिअभट्टके मे वण्णे गडे कुक्कुडशावके व्व // 2 // मम मअणमणङ्गं मम्महं वड्ढअन्ती णिशि अ शअणके मे णिद्दअं आक्खिवन्ती / पशलशि भअभीदा पक्खलन्ती खलन्ती मम वशमणुजादा लावणश्शेव कुन्ती // 3 // एशा णाणक-मूशि-काम-कशिका, मच्छाशिका लाशिका, णीण्णाशा, कुलणाशिका, अवशिका, कामस्स मञ्जूशिका / एशा वेशवहू, शुवेशणिलआ वेशङ्गणा वेशिआ, एशे शे दशणामके मइ कले, अज्जावि मंणेच्छदि // 4 //

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