Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology
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________________ षट्खण्डागम, 95 चउट्ठाणेसु अत्थि मिच्छाइट्ठी सासणसम्माइट्ठी सम्मामिच्छाइट्ठी असंजद सम्माइट्ठी // 25 // तिरिक्खा पंचसुट्ठाणेसु अत्थि मिच्छाइट्ठी सासणसम्माइट्ठी सम्मामिच्छाइट्ठी असंजद सम्माइट्ठी संजदा संजदा त्ति // 26 // मणुस्सा चोदससु गुणट्ठाणेसु अत्थि मिच्छाइट्ठी, सासणसम्माइट्ठी, सम्मामिच्छाइट्ठी, असंजदसम्माइट्ठी, संजदासंजदा, पमत्तसंजदा, अप्पमत्तसंजदा, अपुव्वकरणपविट्ठ-सुद्धि-संजदेसु अत्थि उवसमा खवा, अणियट्टि बादर-सांपराइय-पविट्ठ-सुद्धि-संजदेसु अत्थि उवसमा खवा, सुहुम सांपराइय पविट्ठ सुद्धि संजदेसु अत्थि उवसमा खवा, उवसंत-कसाय-वीयराय-छदुमत्था, खीण-कसाय-वीयराय-छदुमत्था, सजोगकेवली, अजोगिकेवलि त्ति // 27 // देवा चदुसुट्ठाणेसु अत्थि मिच्छाइट्ठी सासण सम्माइट्ठी सम्मामिच्छाइट्ठी असंजदसम्माइट्ठि त्ति ॥२८॥तिरिक्खा सुद्धा एइंदियप्पहुडि जाव असण्णि पंचिंदिया त्ति // 29 // तिरिक्खा मिस्सा सण्णि मिच्छाइद्विपहडि जाव संजदा संजदात्ति // 30 //
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