Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology

View full book text
Previous | Next

Page 92
________________ 90 प्राकृत पाठ-चयनिका णाणं, गिम्हायवो रिवु-जलासयाणं, कय-जुओ णियय-पुहइ-मंडले, कलि-कालो वइरि-णरिंद-रज्जेसं ति। अण्णं च। सरलो महुरो पियंवओ चाई दक्खो दक्खिणो दयालू। सरणागय-वच्छलो संविभागी पुव्वाभिभासि त्ति॥ संतुट्ठो सकलत्तेसु, ण उण कित्तीसु। लुद्धो गुणेसु, ण उण अत्थेसु। गिद्धो सुहासिएसु, ण उण अकज्जेसु। सुसिक्खिओ कलासु, ण उण अलिय-चाडु-कवड-वयणेसु। असिक्खिओ कडुय-वयणेसु, ण उण पणईयण-संमाणणेसु त्ति। अहवा। गहिय-सगाह-दलम्मि तम्मि अचुण्णए वियड-वच्छे। णंदण-वणे व्व कत्तो अंतो कुसुमाण व गुणाणं॥ अह सो णिय-साहस-खग्ग-मेत्त-परिवार-पणय-सामंतो। वच्छत्थल-दढ-वम्मो दढवम्मो णाम णरणाहो। 19. तस्स य महुमहस्स व लच्छी, हरस्स व गोरी, चंदस्स व चंदिमा, एरावणस्स व मय-लेहा कोत्थुहस्स व पभा, सुरगिरिस्स व चूला, कप्पतरुणो इव कुसुम-फल-समिद्ध तरूण-साहिया, पसंसिया जणेणं अवहसिय-सुर-सुंदरी-वंद्र-लायण्ण-सोहस्स अंतेउरिया-जणस्स मज्झे एक्क च्चिय पिययमा पियंगुसामा णाम सयंवर-परिणीया भारिय त्ति। अह तीए तस्स पुरंदरस्स व सईए भुंजमाणस्स विसय-सुहे गच्छइ कालो, वच्चंति दियहा य। 20. अह अण्णम्मि दिवसे अब्भंतरोवत्थाण-मंडवमुवगयस्स राइणो कइवय-मेत्त-मंति पुरिस-परिवारियस्स पिय-पणइणी-सणाह-वाम-पासस्स संकरस्स व सव्वजण-संकरस्स एक्क-पए च्चेय समागया पिहुल-णियंब-तडप्फिडण-विस मंदोल-माण-मंडलग्ग- सणाह-वामंस-देसा वेल्लहल-णियय-बाहु-लइयाकोमलावलंबिय-वेत्तलया पडिहारी। तीय य पविसिऊण कोमल-करयलंगुली-दल-कमल-मउलि-ललियंजलिं उत्तिमंगे काऊण गुरू-णियंब-बिंब-मंथरं उत्तुंग-गरुय-पओहर-भरोवणामियाए ईसि णमिऊण राइणो विमल-कमल-चलण-जुवलयं विण्णत्तं देवस्स। 'देव, एसो सबर-सेणावइ-पुत्तो सुसेणो णाम। देवस्स चेय आणाए तइया मालव-णरिंद-विजयत्थं गओ। सो संपयं एस दारे देवस्स चलण-दसण-सुहं पत्थेइ त्ति सोउं देवो पमाणं' ति। तओ मंतियण-वयण-णयणावलोयण-पुव्वयं भणियं राइणा 'पविसउ' त्ति। तओ

Loading...

Page Navigation
1 ... 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124