Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology
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________________ 888 प्राकृत पाठ-चयनिका बहु-चंदणाओ य। अण्णा सज्जण-पीईओ इव सिणेह-णिरंतराओ बहु-खज्ज-पेज्जमणोहराओ य। अण्णा मरहट्ठिया इव उद्दाम-हलिद्दी-रय-पिंजराओ पयड-समुग्गय-पओहरमणोहराओ य। अण्णा णंदण-भूमिओ इव ससुराओ संणिहिय-महुमासाओ त्ति। 16. अवि य। जं पुहईऍ सुणिज्जइ दीसइ जं चिंतियं च हियएण। तं सव्वं चिय लब्भइ मग्गिज्जंतं विवणि-मग्गे॥ जत्थ य। जुवईयण-णिम्मल-मुह-मियंक-जोण्हा-पवाह-पसरेण। घर-वावी-कुमुयाइं मउलेउं णेय चाएंति॥ णिम्मल-माणिक्क-सिहा-फुरंत-संकंत-सूर-कंतेहिं। दिय-राइँ-णिव्विसेसाइँ णवरि वियसंति कमलाई। जल-जंत-जलहरोत्थय-णहंगणाहोय-वेलविज्जंता। परमत्थ-पाउसे वि हुण माणसं जंति घर-हंसा।। कर-ताडिय-मुरव-रवुच्छलंत-पडिसद्द-गज्जिउक्कंठा। गिम्हम्मि वि हलबोलेंति जत्थ मत्ता घर-मऊरा।। णेउर-रव-रस-चलिया मग्गालग्गंत-रेहिरा हंसा। जुवईहिँ सिक्खविज्जति जत्थ बाल व्व गइ-मग्गे।। भणिए विलासिणीहिं विलास-भणियम्मि मंजुले वयणे। पडिभणिएहिँ गुणेइ व घर-पंजर-सारिया-सत्थो। जत्थ य पुरिसो एक्केक्कमो वि मयरद्धओ महिलियाण। महिला वि रई रइ-वम्महेहिँ ठाणं चिय ण लखें। इय जं तत्थ ण दीसइ तं णत्थि जयम्मि किंचि अच्छरियं। जं च कहासु वि सुव्वइ तं संणिहियं तहिं सव्वं / / अह एक्को च्चिय दोसो आउच्छ-णियंत-बाह-मइलाइं। दइया-मुहाइँ पहिया दीणाइँ ण संभरंति जहिं।। 17. जत्थ य जणवए ण दीसइ खलो विहलो व। दीसइ सज्जणो समिद्धो व, वसणं
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