Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology
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________________ 58 प्राकृत पाठ-चयनिका तृतीयोऽलेखः प्रियदर्शनस देव-मनुश-संपुजितस प्रियभ्रतु षोठंघ-ल्यिपेयस वियलिदवो (1) 1. प्रियदर्शनस देव-मंनुश-संपुजितस प्रियभ्रतु षोठंघ-ल्यिपेयस 2. चोझूबो नस्तिंत नमकेरो करेति दिव्य-शरिर अरोगियो प्रेषेति बहु अप्रमेय (1*) एघं 3. च स च अदेहि गदेमि तहि प्रसदेन अरोगेमि (I*) [को]लियंमि श्वसु ... न... इदनि (*) 4. अहुनो अत्र रयक उटियन विसजिदेमि (1*) तत्र त्रे-वर्षग उट 1 (1*) एष भूय रज्यमि 5. अझतु ओड़िदवो (1*) किलमुंत्र अत्र ह ... सगमोयस वंति (1*) एद किलमुंत्र वजिति पु६. नु मगमोयस ददवो धरंनए अवश (*) एदे किल्मेचिये सर्वभवेन झेनिग सि७. यंति (1*) प्रथदे एत लेख अत्र प्रहिदेमि (1*) प्रहुड़-अर्थय न तिमिदवो (1*) अवि एदस सुमतस 8. एष उटियन पिचविदेमि (1*) इतु उवु तय अचोविन अचोयदे तुर निखलिदवो (1*) अवि 9. अंमनं धर्मपिय-नम सलुवअए गोठमि वुच्यति (1*) यहि एष सुमत अत्र एश्यति 10. तपदय एद अंमन सुमतस हस्तमि अनविदवो पिचवंनए (*) एष अंमंन भरि-मष्ढि 11. गेय-नि-प्रोड्रेयस दझ असि (I*) महि वंति पद विक्रित (1*) सर्व निश्चेय किड़म (*) एष श्रमंन 12. अहुनो दहि होतु (1*)
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