Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 64
________________ 62 प्राकृत पाठ-चयनिका पंचमोऽभिलेखः 1. भटरगस चोझूबो-सोंचकस 2. पदमुलंमि वियलिदवो ( // *) 3. भटरगस प्रिय-देव-मनुशस देव-मंनुश-संपुजितस प्रचक्ष-बोधिसत्वस महचोझ्बो-सोंचक- . 4. स पदमुलंमि चोझ्बो-यिलि नमिल्गअए सच नमकेरो करेंति दिव्य-शरिर अरोगिय च 5. प्रेषेति बहु अप्रमेगो (1*) एवं च विति स च बहु-चिर-कल हुद न शकिदम तेहि वंति लेख६. प्रहुड़-प्रेषंनए। (1*) तेन करंन सुठ संञवे यम न-इंचि य दिव्यञ अंजत हक्क्षति (1*) एष षमने७. र चक्व ...[क] अत्र विसजिद तेहि दिव्यशरिर-अरोगि-प्रेषनए (*) यो से अत्र वेधन 8. किंचि करिशति अवश मंत्र श्रुनिदवो (1*) से श्रमंनेर तेहि झेनिग स्यति (I) न-इंचि अबो९. मत किंचि करेंति (1*) प्रहुड़स अर्थ येन न दिमिदवो लहुग प्रहुड़ प्रहित (1*) पश्चदर धर्मप्रि१०. यस् हस्तमि लेख-प्रहुड़ प्रेशिषम यो तेहि पिचर स्यति (*) यिलियस परिदे रजु 1 नमिल्ग११. अए परिदे लस्तुग 1 (1*) अपरिमित-गुनंस मंम-गतस प्रियभ्रतु चोझ्बो बुधरक्क्षियस 12. पदेभ्य धर्मप्रिय अरोगि संप्रेषयति बहु (*) 13. समनेर (|)

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