Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology
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________________ 72 प्राकृत पाठ-चयनिका हिरणकोडीओ वडिपउत्ताओ, चत्तारि हिरण्णकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ, चत्तारि वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था // 4 // से णं आणन्दे गाहावई बहूणं राईसर जाव सत्थवाहाणं बहूसु कज्जेसु य कारणेसु य मन्तेसु / य कुडुम्बेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य निच्छएसु य ववहारेसु य आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे सयस्स वि य णं कुडुम्बस्स मेढी पमाणं आहारे आलम्बणं चक्खू, मेढीभूए जाव सव्वकज्जवड्ढावए यावि होत्था // 5 // तस्स णं आणन्दस्स गाहावइस्स सिवनन्दा नाम भारिया होत्था, अहीण जाव सुरूवा। आणन्दस्स गाहावइस्स, इट्ठा, आणन्देणं गाहावइणा सद्धिं अणुरत्ता अविरत्ता इट्ठा, सद्द जाव पञ्चविहे माणुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणी विहरइ // 6 // तस्स णं वाणियगामस्स बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए एत्थ णं कोल्लाए नामं संनिवेसे होत्था, रिद्धत्थिमिय जाव पासादिए 4 // 7 // तत्थ णं कोल्लाए संनिवेसे आणन्दस्स गाहावइस्स बहुए मित्तनाइनियग-सयणसंबंधिपरिजणे परिवसइ, अड्डे जाव अपरिभूए // 8 // तेण कालेणं तेणं समएणं भगवं महावीरे जाव समोसरिए। परिसा निग्गया। कूणिए / राया जहा तहा जियसत्तू निग्गच्छइ, 2 त्ता जाव पज्जुवासइ // 9 // तए णं से आणन्दे गाहावई इमीसे कहाए लद्धटे समाणे, "एवं खलु समणे जाव विहरइ, तं महाफलं, गच्छामि णं जाव पज्जुवासामि" एवं संपेहेइ, २त्ता ण्हाए सुद्धप्पपावेसाइं जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, 2 त्ता सकोरेण्टमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं मणुस्सवग्गुरापरिखित्ते पायविहारचारेणं वाणियगामं नयरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ। 2 त्ता जेणामेव दूइपलासे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ। 2 त्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, 2 त्ता वन्दइ नमसइ जाव पज्जुवासइ // 10 // तए णं समणे भगवं महावीरे आणन्दस्स गाहावइस्स तीसे य महइमहालियाए परिसाए जाव धम्मकहा। परिसा पडिगया राया य गए // 11 // तए णं से आणन्दे गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ जाव एवं वयासी। “सद्दहामि णं भन्ते निग्गन्थं पावयणं, पत्तियामि णं भन्ते निग्गन्थं पावयणं, रोएमि णं भन्ते निग्गन्थं पावयणं, एवमेयं भन्ते, तहमेयं भन्ते, अवितहमेयं भन्ते, इच्छियमेयं भन्ते, पडिच्छियमेयं भन्ते, इच्छियपडिच्छियमेयं भन्ते, से जहेयं तुब्भे वयह त्ति कट्ट जहा णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए बहवे राईसरतलवरमाडम्बियकोडुम्बियसेट्ठिसत्थवाहप्पभिइया मुण्डा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया, नो खलु अहं तहा संचाएमि मुण्डे
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