Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 66
________________ 64 प्राकृत पाठ-चयनिका 2. देन अनदि दित तह रज-कर्यमि ओसुक अवजिदव्य (1*) अवि स्वस जिविद-परिचगेन अनद रविक्षदव्य यहि खेम खोतंनदे वर्तमन सियति (1*) एम चेव महि महरयस पदमुलंमि विंञविदव्य (1*) यो च अदेहि लेहरग-चढियस ह 3. स्तमि विंञति-लेख प्रहितेसि तह सर्व-अदर्थो स्मि (1*) अपि च विंञवेतु कल पुर्णबलस उट 2 न इश थियंति पलयंति (1*) एदे उट अत्र लंचग परिपळितव्य (1*) पिवरए होतु (1*) शरतमि न-इंचि इश अनिदवो (1*) 4. अवि विंञवे सि यथ कल-पुर्णबल-नि-चमकस मनुशन अंजे जन कर्मवेति (1*) लिहिदग सक्क्षि नस्ति (1*) से मनुश कल-पुर्णबलस नमेन निखलिदवो (*) येष विवद सियति रय-द्वरंमि गरहिदव्य (I*) 5. अवि च यो इश ख्अवर,धि हुयंति इशेव तेष मर्तव्य हुअति इत्यर्थ अत्र विसजिदम (1*) श्रुयति विहरवल अत्र दनु-किल्मिचियन मसु-मंत्सेन सुठ विहेड़ेति विन [जे ति] (1*) [दिवसि] निसग विहरवल६. स सध पत्र-परिवर.स्य च दन-किल्मियदे ददवो अट यं च सत वचरि 4 (*) यथ-अवरधि-धर्मेन रक्क्षिदवो न हस्त पददे ओडिष्यति न बलस्त भविष्यति (1*) अवि सुदर्शनस इमदे कुड़ 7. [2] विसजितंति (1*) एदे तस वंति ओडिदवो (1*) तेन विधनेन तनु किल्मेयदे भत ददव्य (1*) एम चेव सुरक्क्षिद कर्त्तव्य (1*) अवि अत्र सुदर्शनस अत्र किल्मेचि-गोठ 2 (*) एदे जन 8. शवथ शवाविदन्य न इमदे पप कर्य मंत्र जल्पिदव्य न अदेहि श्रुनिदव्य (1*) वेल वेलय एदे जंन सुदर्शनस वंति ओड़िदवो (1*) अवि वहुवर अञदि-लेख गद षोठंग-सन्लवियस पलयंने-अनुंश-देयंनए (1*) यत्र अत्रक न देनसि खंनवटगेसि (*) चवल ददवो (1*) यदि अहुनो भुय चवल न दस्यसि मनसंमि हुतु (I*) सिहधर्मस पुत्र चवल श्रमनेर दनु 10. निखलिदवो (*) कुतिश-धर्म श्रमन अंग्रेस दझ ददवो (1*) मसे. 4(+*2) दिवसे. 10(+*)3 ( / ) 11. चोझ्बो सोंजकस ददवो ( / / *)

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