Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology
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________________ 60 प्राकृत पाठ-चयनिका चतुर्थोऽभिलेखः 1. प्रियदर्शन-चोझ्बो-क्रनय-षोठंघ-ल्यिपेयस च ओगु-किर्तिशर्म अरोग्य परि२. प्रोछति पुनपुनो बहो अप्रमेयो (1*) एवं च स च प्रथमदरो इमदे मगेन-पगोस च 3. हस्तमि लेख प्रहुड़ प्रहिदेमि (1*) तदे अदर्थ भविदवो (1*) अवि-पेत-अवनंमि पल्यि परु४. वर्षि शेष यं च इम-वर्षि पल्यि तह सर्व स्वोर तोमिहि सध इश विसजिदवो (1*) यति 5. तदे पुरिम-पश्चिम विसजिष्यतु पंथंमि परस भविष्यति तुओ षोठंग-ल्यिपेय 6. तनु गोठदे व्योषिशसि नधन भगेन (1*) यं च भुम-नवक-अनेन निद अतिबहो 7. क्रिनिदवो इश प्रहदवो (1*) वेय-किल्म-स्त्रियन पल्यि भुम-नवक-अंन स्वोर विसजित८. वो (1*) अवि पल्यि उट तेनेव सध इश विसजितवो (1*) म इंचि तोंगन परिदे उट विथिष्यतु (*) 9. तस उट-प्रवेय रय-सक्क्षि लिहिदय क्रिदय (1*) लिविस्तरंमि अनति-लेख अत्र गद (*) 10. तहि चोझ्बो-क्रनयस लिहमि एद कयंमि तुओ चित कर्तव्य (1*) एष ल्यिपेय न चित 11. करेति (1*) यो पुन तहि कर्यनि हक्क्षंति शक्क्ष्यमि अहो करंनय (1*) यो अत्र शुभाशुभ१२. स प्रवृति हक्क्षति एसेव लेह-हरगस हस्तमि लेख इश प्रहतवो (1*) यो इश वर्तमान 13. ल्यिम्सुअस परिदे अदर्थ भविदवो (|)
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