Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 30
________________ 28 प्राकृत पाठ-चयनिका 8. अहवा चारित्ताराहणाए आराहियं हवइ सव्वं / आराहणाए सेसस्स चारित्ताराहणा भज्जा // 8 // 9. कायव्वमिणमकायव्वयत्ति णाऊण होइ परिहारो / तं चेव हवइ णाणं तं चेव य होइ सम्मत्तं // 9 // 10. चरणम्मि तम्मि जो उज्जमो आउंजणा य जो होई। सो चेव जिणेहिं तवो भणिदो असढं चरंतस्स // 10 // 11. णाणस्स दंसणस्स य सारो चरणं हवे जहाखादं / चरणस्स तस्स सारो णिव्वाणमणुत्तरं भणियं // 11 // 12. चक्खुस्स दंसणस्स य सारो सप्पादिदोसपरिहरणं / चक्खू होइ णिरत्थं दळूण बिले पडंतस्स / / 12 / / 13. णिव्वाणस्स य सारो अव्वाबाहं सुहं अणोवमियं / कायव्वा हु तदळं आदहिदगवेसिणा चेट्ठा // 13 // 14. जम्हा चरित्तसारो भणिया आराहणा पवयणम्मि / सव्वस्स पवयणस्स य सारो आराहणा तम्हा // 14 // 15. सुचिरमवि णिरदिचारं विहरित्ता णाणदंसणचरित्ते / मरणे विराघयित्ता अणंतसंसारिओ दिठो // 15 //

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