Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology
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________________ धौली अभिलेख 43 इसाय आसुलोपेन 11. निठूलियेन तूलनाय अनावूतिय आलसियेन किलमथेन [11] से इछितविये किंति एते 12. जाता नो हुवेषु ममा ति [12] एतस च सवस मूले अनासुलोपे अतूलना च [13] नितियं ये किलंते सिया 13. न ते उगछ संचलितविये तु वटितविये एतविये वा [14] हेवमेव ए दखेय तुफाक तेन वतविये 14. आनंने देखत हेवं च हेवं च देवानं पियस अनुसथि [15] से महाफले ए तस संपटिपाद 15. महा अपाये असंपटिपति [16] विपटिपादयमानेहि एतं नथि स्वगस आलधि नो लाजालधि [17] 16. दुआहले हि इमस कंमस मे कुते मनो अतिलेके [18] संपटिपजमाने चु एतं स्वगं 17. आलाधयिसथ मम च अननियं एहथ [19] इयं च लिपि तिस नखतेन सोतविया [20] 18. अंतला पि च तिसेन खनसि खनसि एकेन पि सोतविय [21] हेवं च कलंतं तुफे 19. चघथ संपटिपादयितविये [22] एताये अठाये इयं लिपि लिखित हिद एन 20.. नगलवियोहालका सस्वतं समयं यूजेवू ति ... नस अकस्मा पलिबोधे व 21. अकस्मा पलिकिलेसे व नो सिया ति [23] एताये च अठाये हकं ... मते पंचसु वसे 22. सु निखामयिसामि ए अखखसे अचंडे सखिनालंभे होसति एतं अठं जानितु ... तथा 23. कलंति अथ मम अनुसथी ति [24] उजेनिते पि चु कुमाले एताए व अठाये निखामयिस... 24. हेदिसमेव वगं नो च अति कामयिसति तिनि वसानि [25] हेमेव तखसिलाते पि [26] अदा अ... 25. ते महामाता निखमिसंति अनुसयानं तदा अहापयितु अतने कंमं एतं पि जानिसंति 26. तं पि तथा कलंति अथ लाजिने अनुसथी ति [27]
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