Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology
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________________ 20 प्राकृत पाठ-चयनिका 8. णट्टारम्भक्खुहिआ जस्स भडब्भन्तमच्छपहअजलरआ / होन्ति सलिलुद्धमाइअधूमाअन्तवडवामुहा मअरहरा // 8 // 9. अहिणवराआरद्धा चुक्कक्खलिएषु विहडिअपरिट्ठविआ / मेत्ति व्व पमुहरसिआ णिव्वोढुं होइ दुक्करं कव्वकहा // 9 // 10. परिवड्डइ विण्णाणं संभाविज्जइ जसो विढप्पन्ति गुणा / सुव्वइ सुउरिसचरिअं किं तं जेण ण हरन्ति कव्वालावा // 10 // 11. इच्छाइ व धणरिद्धी जोव्वणलद्ध व्व आहिआईअ सिरी / दुःखं संभाविज्जइ बन्धच्छाआइ अहिणवा अत्थगई // 11 // 12. तं तिअसबन्दिमोक्खं समत्थतेल्लोक्कहिअअसल्लुद्धरणम् / सुणह अणुराअइण्हं सीआदुक्खक्खअं दहमुहस्स वहम् // 12 // 13. अह पडिवण्णविरोहे राहववम्महसरेण माणब्भहिए / विद्धाइ वालिहिअए राअसिरीअ अहिसारिए सुग्गीवे // 13 // 14. ववसाअरइपओसो रोसगइन्ददिढसिङ्खलापडिबन्धो / कह कह वि दासरहिणो जअकेसरिपञ्जरो गओ घणसमओ // 14 // 15. गमिआ अकलम्बवाआ दिदं मेहन्धआरिअंगअणअलम् / सहिओ गज्जिअसद्दो तह वि हु से णत्थि जीविए आसङ्गो // 15 // 16. तो हरिवइजसवन्थो राहवजीअस्स पढमहत्थालम्बो / सीआबाहविहाओ दहमुहवज्झदिअहो उवगओ सरओ // 16 // 17. रइअरकेसरणिवहं सोहइ धवलब्भदलसहस्सपरिगअम् / महुमहदसणजोग्गं पिआमहुप्पत्तिपङ्कअं व णहअलम् // 17 // 18. दिणमणिमोहप्फुरिअं गलिअं घणलच्छिरअणरसणादामम् / उदुमअणबाणवत्तं णहमन्दारणवकेसरं इन्दध्रणुम् // 18 // 19. धुअमेहमहुअराओ घणसमआअड्डिओणअविमुक्काओ / णहपाअवसाहाओ णिअअट्ठाणं व पडिगआओ दिसाओ // 19 //
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