Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 26
________________ 24 प्राकृत पाठ-चयनिका 20. लक्खिज्जइ धूमाअंत-पक्ख-णिक्खंत-सिहि-सिहा-णिवहो। संभम-संचलिअ-चलंत-रअणि-दिअसो व्व सुर-सेलो / / 20 / / 21. जेसुंचिअ कुंठिज्जइ रहसुब्भिडण-मुहलो महि-हरेसु / तेसुंचेअ णिसिज्जइ पडिरोहंदोलिरो कुलिसो // 21 // 22. वेल्लंति कंदरोअर-णिव्वडिअ-वलंत-विअड-विहआओ। सहसव्व सेल-सीमंतिणीओ भअ-मुक्क-गब्भाओ // 22 // 23. विज्झवइ वेल्लणोणअ-महि-वेढोभअ-दिसागअ-समुद्दो / ठाण-परिसंठिओच्चिअ पक्ख-च्छेआणलं सेलो // 23 // 24. तद्दियसं रवि-मंडल-संचलणुम्हाअमाण-कडएण। उअयाचलेण कुलिसो मिलिओ वि चिरेण विण्णाओ // 24 // 25. डझंति विसाणल-वाअ-विसहरामुक्क-चंदण-क्खंधा / तिअस-विअसाविअंसुअ-सेविअ-धूमा मलअ-वक्खा // 25 / / 26. णिसुढिअ-पक्ख-पडंता महीऍ दल-विब्भमेण भज्जंति / तक्खण-तरल-पलाअंत-विसहरा महिहरुग्घाआ // 26 // 27. कहवि धरेइ महि-अलं णिप्पक्ख-पडंत-गिरि-णिसुंभंतं / दाढा-भिण्ण-ससोणिअ-मुह-णिवहारोसिओ सेसो // 27 // 28. दीसइ जलंत-सेलं तावोसारिअ-वलंत-सुर-लोअं। धूमुप्पित्थ-पिआमह-कमलालि-करंबिअंगअणं // 28 //

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