Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology

View full book text
Previous | Next

Page 25
________________ गउडवहो - काव्यारम्भः 23 8. जो ववसाआवसरेसु दप्प-दर-दिट्ठ-दाहिणंस-अडो / दंसण-पसाअ-सुहिरं कुणइ व्व भुअ-ट्ठि लच्छि // 8 // 9. कोउव्वत्त-ठिअ-विसम-तार-पहा-भेअ-कलुसिआइं व / सामाअंति णडालाई जस्स पडिवक्ख-बंदीण // 9 // 10. पासम्मि पआवालुंखिअस्स जस-पाअवस्स व महल्लो / अअसो रिऊणं दीसइ छाआ-णिवहो व्व संकंतो // 10 // 11. गंभीर-महारंभा संभाविअ-साअरं परिब्भमइ / भुवणंतरेसु भाईरहि व्व सा भारही जस्स // 11 // 12. जस्स अ वलंत-जअ-गअ-सीअर-धारा-सहस्स-लुलिआओ / संभम-संचारिअ-चामराओ धावंति व दिसाओ // 12 // अवि / 13. सोहइ विणिवेसिअ-पसिढिलंगुली-कोडि-कट्ठणुत्थल्लो / पाअडिअब्भंतर-वण-णिवेस-दर-दंतुरो अहरो // 13 // 14. मुच्चंति पेल्लिउव्वेल्ल-केसरा मूल-लुलिअ-मअरंदा / ‘णिहुअं लीला-कुवलअ-पडित्थिआ कह वि णीसासा // 14 // 15. वाम-कराअड्डिअ-सुण्ण-मलिअ-विक्खित्त-कुंतल-सिहाण / . अरई-विलास-विसुराविआण णिव्वडइ सोहग्गं // 15 // 16. अग्घइ मंगल-गहिएक्क-कुसुम-पेसिअ-पसाहणामेलं / विमुह-णअणावहीरिअ-दर-वंदिअ-चंदणं वअणं // 16 // 17. इअ जस्स समर-दसण-लीला-णिम्मविअ-वम्मह-विआरा / तिअस-तरुणीओ अज्जवि मण्णे णिहुअंकिलम्मति // 17 // अहवा 18. सिहर-णपहुत्त-गअणा दिसा-पडिप्फलिअ-कडअ-विणिअत्ता / डझंति दरुप्पइआ अलद्ध-गमणंतरा गिरिणो / / 18 / / 19. तं स-गुहा-मुह-णिव्वडिअ-धूम-वलआवलंबिअ-णिअंबा / वज्जाणल-धम्मंता लोहं व मुअंति धरणि-हरा // 19 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124