Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 23
________________ सेतुबन्धे 21 20. अहिणवणिद्धालोआ उद्देसासारदीसमाणजललवा / णिम्माअमज्जणसुहा दरवसुआअच्छविं वहन्ति व दिअहा / / 20 / / 21. सुहसंमाणिअणिद्दो विरहालुजिअसमुद्ददिण्णुक्कण्ठो / असुवन्तो वि विबुद्धो पढमविबुद्धसिरिसेविओ महुमहणो // 21 // 22. सोहइ विसुद्धकिरणो गअणसमुद्दम्मि रअणिवेलालग्गो / तारामुत्तावअरो फुडविहडिअमेहसिप्पिसंपुडमुक्को // 22 // 23. सत्तच्छआणं गन्धो लग्गइ हिअए खलइ कलम्बामोओ। कलहंसाण कलरओ ठाइ ण संठाइ परिणअं सिहिविरुअम् // 23 // 24. पीणपओहरलग्गं दिसाण पवसन्तजलअसमअविइण्णम् / सोहग्गपढमइण्ह पम्माअइ सरसणहवअं इन्दधणुम् / / 24 //

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