Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology
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________________ उत्तराध्ययनसूत्र 13 8. एयम₹ निसामित्ता, हेउकारणचोइओ। तओ नमी रायरिसी, देविन्दं इणमब्बवी // 8 // 9. मिहिलाए चेइए वच्छे, सीयच्छाए मणोरमे / पत्तपुप्फफलोवेए, बहूणं बहुगुणे सया // 9 // 10. वाएण हीरमाणम्मि, चेइयम्मि मणोरमे / दुहिया असरणा अत्ता, एए कन्दन्ति भो! खगा // 10 // 11. एयमद्वं निसामित्ता, हेउकारणचोइओ। तओ नमि रायरिसिं, देविन्दो इणमब्बवी // 11 // 12. एस अग्गी य वाऊ य, एयं डज्झ्इ मन्दिरं / भयवं ! अन्तेउरं तेणं, कीस णं नावपेक्खह / / 12 / / 13. एयमटुं निसामित्ता, हेउकारणचोइओ। तओ नमिं रायरिसिं, देविन्दं इणमब्बवी // 13 // 14. सुहं वसामो जीवामो, जेसिं मो नत्थि किंचणं / मिहिलाए डज्झ्माणीए, न मे डज्झइ किंचणं // 14 // 15. चत्तपुत्तकलत्तस्स, निव्वावारस्स भिक्खणो। पियं न विज्जई किंचि, अप्पियं पि न विज्जई॥१५॥ . बहुं खु मुणिणो भई, अणगारस्स भिक्खुणो। सव्वओ विप्पमुक्कस्स, एगन्तमणुपस्सओ // 16 // 17. एयमद्वं निसामित्ता, हेउकारणचोइओ। तओ नमिं रायरिसिं, देविन्दो इणमब्बवी // 17 // 18. पागारं कारइत्ता णं, गोपुरट्टालगाणि य / उस्सूलगसयग्घीओ, तओ गच्छसि खत्तिया // 18 // 19. एयमटुं निसामित्ता, हेउकारणचोइओ। तओ नमी रायरिसी, देविन्दं इणमब्बवी / / 19 / /
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