Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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सवेश्या सवे ॥॥ नरहेरवय त्ति उंग, जुगं च हेमवयरएणवयरूवं । हरिवासरम्मयागं, मज्जि विदेहु त्ति सग वासा ॥१३॥दो दीहा च वट्टा, वेअहा खित्तकमज्जम्मि। मेरू विदेहमज्के, पमाण मित्तो कुल गिरीणं ॥२४॥गदोचउसयनच्चा, कणगमया कणगरायया कमसो। तवणिजसुवेरुलिया, बहिमऊनितरा दो दो ॥२५॥ मुगअमतीस अंका, लकगुणा कमेण नग्यसयनश्या। मूलोवरि समरूवं, विहारं बिति जुअलतिगे॥६॥ बावएणहि सहसो, बार कला बाहिराण विहारो। मज्जिमगाण दसुत्तर-बायालसया दस क्ला य ॥७॥ अनितराण मुकला, सोलसहस्समसया सबायला । चउचत्तसहस्स दो सय, दसुत्तरा दस कला सवे ॥२७॥ गचसोलसंका, पुव्वुत्तविही अ खित्तजुथल तिगे । विबारं बिंति तहा,चउसट्टिको विदेहस्स॥श्एापंचसया बबीसा, बच्च कला खित्तपढमजुअलम्मि । बीए गवीससया, पणुत्तरा पंच य कला य ॥३०॥चुलसीसय

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