Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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पणिदि थलखयर, उरग नूयगा (जह विश कमसो ॥ वास सहस्सा चुलसी, बिसत्तरि तिपम बायाला ॥॥ एसा पुढवाईणं, नव 6िईसंपरंतु कायपि ॥ चन एगिदिसु णेया, उसप्पिणी असंखिजा ॥२॥ तान वणं मिश्रणंता, संखिजा वास सहस विगलेसु॥ पचिंदि तिरिनरेसु, सतह नवान उकोसा, ॥श्ए०॥ सवेसिपि जहमा, अंत. मुहुत्तं नवेय काए य॥जोयण सहस्त महियं, एगिदि य देह मुक्कोसं,॥२१॥ बिति चरिदिसरीरं, बारस जोयण तिकोस चउकोसं॥जोयण सहस्सपप्रिंदिय, उहे वुद्धं विसेसंतु ॥राए॥ अंगुल असंख नागो सहम निगो असंख गुणवाऊ ॥तो अगणित आऊ, तत्तो सुहमा नवेपुढवी ॥श्ए३॥ तो बायर वाऊ गणी, आऊ पुढवी निगोय अणुकमसो ॥ पत्तेयवणसरीरं, अहियं जोयणसहस्संतु ॥श्ए॥उस्सेहंगुलजोयण,सहस्समाणे जलासए ने. यातं वल्लि पम पमुहं,अर्ड परंपुढविरूवंतु॥ए॥ बारस जोयण संखो, तिकोस गुम्मोय जोयणं

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