Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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७६
महप्जयं ॥ पेलवं वेयणीयं तु, तया एगिदियत्तणं ॥ ३० ॥ तिरिएसुति संखा, अतिरिनराजापु कप्पदेवा ॥ पजात्तसंख गप्नय, बायर जूदगपरित्तेसु ॥३०५॥ तो सहसारंतसुरा, निरया पऊत्तसंख गप्नेसु ॥ संखपणि दिय तिरिया मरिखं चसु वि गश्सु जंति ॥ ३०६ ॥ थावर विगला नियमा, संखाउ य तिरि नरेसु गति ॥ विगलालनिहाविर, सम्मपि न तेन वान चुया ॥३०॥ पुढवी दग परितवणा, बायर पछत्त हुँति चउलेसा ॥ गप्नय तिरिय नराणं, बलेसा तिमिसेसाणं ॥ ३०७ ॥ अंतमुहुत्तंमिगए, अंतमुहत्तं मिसेसए चेव ॥ लेसाहिपरिणयाहिं, जीवावच्चंति परलोयं ॥३०॥ तिरिनरयागामि नवे, लेस्साए अइ गए सुरा निरया ॥ पुधनव ले. स्ससेसे, अंतमुहुत्ते मरणमिति ॥ ३१० ॥ अंतमुहुत्तहिश्न, तिरिय नराणं हवंति लेस्सा ॥ चरिमा नराण पुण नव, वासूणा पुवकोमोवि ॥२११॥ तिरियाण वि विश्पमुहं, जणिय मसेसंपि संपर्क

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