Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 104
________________ ९९ विरयाविरयसहोअर, उदगस्स नरेण नरिथसरि आए ॥ नणियाश् सावित्राए, दिन्नो मग्गुत्ति जाववसा॥१६॥सिरिचमरुदगुरुणा, तामिळांतोवि दंमघाएहिं ॥ तकालं तस्सीसो, सुहलेसो केवली जाउँ ॥१७॥ नहुनणि बंछो, जीवस्स. वहेवि समिश्गुत्ताणं ॥नावो तबपमाणं, न पमाणं कायवावारो ॥१८॥ नाव च्चिय परमबो, नावो धम्मस्स साह जणि ॥ सम्मत्तस्सवि बीअं, नाव चित्र बिति जगगुरुणो ॥१५॥ किं बहुणा नणिएणं, तत्तं निसुणेह नो महा सत्ता ॥ मुकसुहबीयभूर्ज, जीवाण सुहावहो जावो॥२०॥ श्यदाण सील तव ना-वणाउजो कुण सत्ति नत्ति परो॥ देविंदविंदमहिलं, अझरा सोलह सिधिसुहं ११ ॥ अथ मिथ्यात्वकुलकं लिख्यते ॥ लोश्य लोउत्तरियं, देवगयं गुरुगयं च उन्नयंपि ॥ पत्तेयं नायवं, जाह कम सुत्तन एवं ॥१॥ हरिहर बंजाईणं, गमणं जुवणेसु पूच

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