Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 103
________________ मुणी, असोगवणिशाश्मद्ययारंमि ॥ लाहालोहत्तिपयं, कायंत्तो जायजाइसरो ॥ ७॥ खवगनिमतणपुवं, वासियनत्तेण सुचनावेण ॥ मुंजतो वरनाणं, संपत्तो कूरगम ॥ ७ ॥ पुवनवसूरिविरश्य -नाणासायण पन्नाव उम्मेहो॥ नियनामंकायंतो, मासतुसो केवलीजा ॥ ए ॥ हछिमि समारूढा, रि िदखूण उसनसामिस्स ॥ तकण सुहकाणेणं, मरुदेवी सामिणी सिझा ॥ १० ॥ पमिजागरमाणीए, जंघाबलखीणमनियापुत्तं ॥ संपत्त केवलाए, नमो नमो पुप्फचूलाए ॥११॥ पनरसय तावसाणं, गोमनामेण दिन दिरकाणं॥उप्पन्न केवलाणं, सुहनावाणं नमो ताणं ॥ १५ ॥ जीवस्स सरीराजे, नेचं नावं समाहिपत्ताणं ॥ चप्पामियनाणाणं, खंदगसीसाण तेसि नमो ॥ १३ ॥ सिरि वझमाणपाए, पूछी सिंवारकुसुमेहिं ॥ जावेणं सुरलोए, उग्गश्नारी सुहं पत्ता ॥ १४ ॥ नावेण जुवणनाहं, वंदेउ उद्दरोवि संचलि ॥ मरिऊण अंतराले, नियनामको सुरो जाउँ ॥१५॥

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