Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 然带带带带带带带带带带带状体类 शासनसम्राट विजयनेमिसूरिश्वरजी महाराज गुरुभ्यो नमः प्रकरण रत्नाकर तपगच्छ पूज्यपाद गुरुणीजी महाराज सौभाग्यश्रीजी महाराजना शिष्या चंपाश्रीजी महाराजना प्रथम शिष्या दर्शनश्रीजी महाराजना शिष्या लाभश्रीजी महाराजना सदुपदेशथी. 本本本本本球本本求求求求求求求求求求求求求求求求求 PR 56 छपावी प्रसिद्ध करनार महेता नागरदास प्रागजीभाइ. ठे. दोशीवाडानी पोळ-अमदावाद. AR विर संवत संवत १९९२. विज्यादशमी सने १९३६ मूल्य अमूल्य २४६२ 淡淡染紫米淡茶淡紫淡然淡淡淡茶茶 Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साशनसम्राट विजयनेमीसूरिश्वरजी महाराज गुरुभ्यो नमः प्रकरण रत्नाकर मूल. तपगच्छ पूज्यपाद गुरुणोजी महाराज सौभाग्यश्रीजी महाराजना शिष्या चंपाश्रीजी महाराजना मिष्या दर्शनश्रीजी महाराजना शिष्या लायजा महाराजना सदुपदेशयोः छपावी प्रसिद्ध करनार महेता नागरदास प्रागजोना ठे. दोशीवाडानी पोळ-अमदावाद. संवत १९९२. विज्या दशमी. सने १९३६. वीर संवत २४६२ धी वीरविजय प्रिन्टोग प्रेसमां शा. मणीलाल छगनलाले छाप्यु ठे० रतनपोळ सागरनी खडकी--अमदावाद. मूल्य अमूल्य. Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रगाउथी मदद आपनार गृहस्थोना नाम. रुपिया. नाम ठेकाणु. ५०) शेठ मोहनलाल परसोतमदास. पाटण २५) बेन हरकोर. . खंभात २५) बेन समरत केशवलाल. गुलापारेखनी पोळ अमदावाद ११) बेन शुभी. ११) शेठाणी बाइ मणी. सुरदास शेठदी पोळ. ११) बाइ धीरज वाडीलाल. ११) बेन लक्ष्मी . ११) गंगाबेन वाडीलाल. राजामहेतानी पोळ ,, १०) बेन मेना. शाहपुर , १०) जासुदवेन धोळीदास. काकाबळीआनी पोळ ,, १०) बेन विज्या. सुरदास शेठनी पोळ , १०) बाइ दीवाळो. खंभात ५) शाह खाते. सुरदास शेठनी पोळ अमदावाद ५) बेन मणी. ५) बेन महालक्ष्मी . ५) बेन चंचळ. ५) बेन जीवी. ५) बेन रुखी रतनचंद. ५) बेन सीता. ५) बेन शांता. ५) बाइ चंचळ. ५) बेन चंपा. रुपासुरचंदनी पोळ ५) बेन जासुद. शामळानी पोळ , ५) बेन जासुद. गुसापारेखनी पोळ ५) महेता मणीलाल वेलशीभाइ. साणंद ५) बेन शमु. दहेगाम २६५) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनुक्रमणिका. नंबर. विषय. १ श्री शत्रुंजय लघुकल्प २ श्री लघुक्षेत्र समास ३ श्री बृहत् संग्रहणी ४ श्री अभव्य कुलकम् ५ श्री पुण्य कुलकम् ६ श्री पुण्य पाप कुलकम् ७ श्री गौतम कुलकम् ८ श्री दान कुलकम् ९ श्री शील कुलकम् १० श्री तप कुलकम् ११ श्री भाव कुलकम् १२ श्री मिथ्यात्व कुलकम् १३ श्री आत्म कुलकम् १४ श्री समवसरण प्रकरण १५ श्री प्रहशांन्ति स्तोत्रम पृष्टांक. १ थी ४ थी ३७ ३८ थी ८१ ८१ थी ८२ ८२ थी ८४ ८४ थी ८६ ८६ थी ८९ ८९ थी ९१ ९२ थी ९४ ९४ थी ९७ ९७ थी ९९ ९९ थी १०२ १०३ थी १०८ १०८ थी १११ १११ थी ११२ Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाहेर अमारे त्यांथी जैनधर्मनी हस्तलिखित प्रतो तथा छापेली प्रत आकारनी संस्कृत, प्राकृत, मागधी पोथीओ अने संस्कृत, हिंदी तथा गुजराती भाषानादरेक जातना पुस्तको मळी शकशे. तथा उन, चरवळा, कटासणा, चापडा, नोकारवाळीओ, सिद्धचक्रजीना गटा तथा सामायिक करवानी ४८ मीनीटनी तथा ६० मीनीटनी घडीओ तथा रंगीन रेशम तथा तीर्थोना रंगीन नकशाओ तथा फोटाओ विगेरे छुटक तथा जथ्थाबंध मळो शकशे. लखोः महेता नागरदास प्रागजीना. ठे. डोशीवाडानो पोळ, अमदावाद. __ तथा संघवी मुलजीना जवेरचंद. जैन बुकसेलर, पालीताणा. Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री शजय लघुकल्प. अश्मुत्तय केवलिणा, कहिथं सेत्तुंज तित्थमाहप्पं ॥ नारयरिसिस्स पुरओ, तं निसुणह नाव नविया ॥ १॥ सेत्तुंजे पुमरिओ, सिको मुणिकोमीपंचसंजुत्तो । चित्तस्स पुरिणमाए, सो नएण तेण पुमरियो॥२॥नमिविनमिरायाणो, सिका कोमिहि दोहिं साहूणं । तह दविमवाली खिल्वा, निबुधा दसय कोमिओ ॥३॥ पज्जुन्न संब पमुहा, अछुट्ठायो कुमारकोमीयो। तह पंमवा वि पंच य, सिधिगया नारय रिसीय ॥४॥ थावच्चा सुय सेलगा य, मुणिणो वि तह राममुणि । नरहो दसरह पुत्तो, सिका वंदामि सेत्तुंजे ॥५॥ अन्नेवि खवियमोहा, उसना विसालवंससंजूया । जे सिझा सेत्तुंजे, तं नमह मुणी असंखिजा ॥६॥पन्नास जोयणा,बासी सेत्तुंजे विचमो मूले । दस जोयण सिहरतले, उच्चत्तं Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जोयणा अट्ठ॥७॥ जं लहर अन्न तिने, उग्गेण तवेण बंजचेरेण । तं लहश् पयत्तेणं, सेत्तुंज-गिरिम्मि निवसंते ॥॥ ज कोमीए पुन्नं, कामिय आहारजोश्या जे उ । तं लहर तब पुन्नं, एगो. ववासेण सेत्तुंजे ॥ ए॥ जं किंचि नाम तिबं, सग्गे पायाले माणुसे लोए । तं सत्वमेव दिलं, पुमरिए वंदिए संते ॥ १० ॥ पमिलानंते संघ, दिठ्ठमदिठे य साह सेत्तंजे। कोमिगुणं च अदिढे, दिढे य अणंतयं हो ॥११॥ केवलनाणुप्पत्ती, निवाणं आसि जन साहूणं । पुमरिए वंदित्ता, सवे ते वंदिया तब ॥ १५ ॥ अट्ठावय-संमेए, पावा-चंपार उर्जितनगे य । वंदित्ता पुन्नफलं, सयगुणं तंपि घुमरिए ॥ १३ ॥पूयाकरणे पुन्नं, एगगुणं सयगुणं च पमिमाए। जिणनवणेण सहस्सं, पंतगुणं पालणे होश ॥ १४ ॥ पमिमं चेश्हरं वा, सित्तुंजगिरिस्स मलए कुणश् । जुत्तूण जरहवासं,. वसर सग्गेण निरुवसग्गे ॥१५॥ नवकार १ पोरसीए २, पुरिमढे ३ गासणं ४ च आयामं ५। पुमरियं Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३ च सरंतो, फलकंखी कुणश् अजत्तहं ६ ॥ १६ ॥ बहमदसमवालसाणं, मासझमासखमणाणं । तिगरपसुको लहर, सित्तुजं संनरंतोष ॥१७॥ बढेणं जत्तेणं, अप्पाणेणं तु सत्त जत्ताई। जो कुण सेत्तुंजे, तश्यनवे लहश् सो मुक्खं ॥१७॥ अवि दीस लोए, नत्तं चश्ऊण पुमरीयनगे। सग्गे सुहेण वच्चश्,सीलविहुणो विहोऊणं ॥१५॥ बत्तं जयं पमागं, चामर निंगाण थालदाणेण । विजाहरो थ हवइ, तह चक्की होइ रहदाणा ॥२०॥ दस वीस तीस चत्ताल-पन्नासा पुप्फदामदाणेण ।लहश्चनबबट्टमदसम वालस फलाई ॥२१॥धूवे पक्खुववासो, मासकमणं, कपूरधूवम्मि । कित्तियमासकमणं साहु पमिलानिए सहइ ॥२५॥ नवि तं सुवन्ननूमी-जूसणदाणेण अन्नतिजेसु । जं पावर पुन्नफलं, पूया न्हवणेण सित्तुंजे ॥२३॥ कंतार चोर सावय-समुह दारिद रोग रिउ रुद्दा। मुञ्चति अविग्घेणं, जे सेत्तुंगंधरंति मणे ॥२४॥ सारावली पयन्नग-गाहासूअहरेण Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाणिया । जो पढ५ गुण निसुण, सो लहर सित्तुंजजत्तफलं ॥ २५ ॥ श्रीरत्नशेखरसूरिकृतश्रीलघुक्षेत्रसमासप्रकरणम् वीरं जयसेहरपय-पट्ठियं पणमिऊण सु -(स) गुरुं च । मंत्ति ससरणट्ठा, खित्तविचाराऽणुमुंगमि ॥१॥तिरिएगरज्जुखित्ते, असंखदीवोदहीउ ते सवे । उझारपलिथपणवीस-कोमिकोमीसमयतुवा ॥२॥ कुरुसगदिणाविरंगुल-रोमे सगवारविहिश्रश्रमखमे । बावन्नसयं सहस्सा, सगणनई बीसलरकाणू ॥३॥ ते थूला पद्धे वि हु, संखिजा चेव हुंति सवेऽवि । ते शकिक असंखे, सुहमे खेमे पकप्पेह ॥४॥ सुहमाणुणिचियउस्से -हंगुलचउकोसपब्लिघणवट्टे । पश्समयमणुग्गह नि -द्विअम्मि उझारपलिउ ति ॥५॥ पढमो जंबू Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीजे, धायसंमो अ पुरकरो तर्ज । वारुणिवरो चन्बो, खीरवरो पंचमो दीवो ॥६॥ घयवरदीवो ट्ठो, खुरसो सत्तमो अ अट्ठम । नंदीसरो अ अरुणो, णवमो श्च्चासंखिजा ॥७॥ सुपसलवबुणामा, तिपमोयारा तहाऽरुणाया।गणामेवि असंखा, जाव य सूरावनास त्ति ॥॥ तत्तो देवे नागे, जके नूए सयंजुरमणेथ । एए पंच विदोवा, गेगणामा मुणेथवा ॥ए॥ पढमे लवणो बीए, कालोदहि सेसएसु सवेसु। दीवसमनामया जा, सयंजुरमणोदही चरमो ॥१॥ बीउ तळ चरमो, उदगरसा पढमचनवपंचमगा। बट्ठोऽवि सनामरसा, श्क्खुरसा सेसजलनिहिणो ॥११॥ जंबुद्दीव पमाणं-गुलिजोअणलरकवविकनो। लवणाईया सेसा, वलयाना गुणगुणा य ॥१॥ वयरामर्शहिं णिअणि-दीवोदहिमज्जगणिअमूलाहिं । अड्डुच्चाहिं बारस-चउमूलेउवरिरुंदाहिं ॥१३॥ विबारगविसेसो, उस्सेहविजत्तखर्च चर्म होइ । श्व चूलागिरिकूमा-तुब Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विकंनकरणाहिं ॥१४॥ गाउगुच्चाइ तय-ट्ठला. गरुंदाइ पउमवेईए । देसूणजोअणवर-वणाई परिमंमिअसिराहिं ॥१५॥ वेईसमेण महया, गवककमएण संपरित्ताहिं। अट्ठारसूणचउजत्तपरहिदारंतराहिं च ॥१६॥ अट्ठच्चचसुविचरउपाससकोसकुझदाराहिं । पुवाश्महड्डिय-देवादारविजयाश्नामादि ॥१७॥णाणामणिमयदेहलि -कवामपरिघाश्दारसोहाहिं । जगईहिं ते सत्वे, दीवोद हिणो परिस्कित्ता ॥१७॥ वरतिणतोरणउऊयब-त्तवाविपासायसेलसिलवट्टे । वेश्वणे वरमंमव-गिहासणेसुं रमंति सुरा॥१॥ इह अहिगारो जेसिं, सुराण देवीण ताणमुप्पत्ती । णिच. दीवोदहिणामे, असंखश्मे सणयरीसु ॥३०॥जंबूदीवो बहिँ कुल-गिरिहिं सत्तहिँ तहेव वासेहिं। पुवावरदीहेहिं, परिबिन्नो ते श्मे कमसो ॥१॥ हिमवंसिहरी महहिमव-रुप्पि णिसढोबणीलवंतो थ । बाहिर कुछ गिरिणो, उन वि Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सवेश्या सवे ॥॥ नरहेरवय त्ति उंग, जुगं च हेमवयरएणवयरूवं । हरिवासरम्मयागं, मज्जि विदेहु त्ति सग वासा ॥१३॥दो दीहा च वट्टा, वेअहा खित्तकमज्जम्मि। मेरू विदेहमज्के, पमाण मित्तो कुल गिरीणं ॥२४॥गदोचउसयनच्चा, कणगमया कणगरायया कमसो। तवणिजसुवेरुलिया, बहिमऊनितरा दो दो ॥२५॥ मुगअमतीस अंका, लकगुणा कमेण नग्यसयनश्या। मूलोवरि समरूवं, विहारं बिति जुअलतिगे॥६॥ बावएणहि सहसो, बार कला बाहिराण विहारो। मज्जिमगाण दसुत्तर-बायालसया दस क्ला य ॥७॥ अनितराण मुकला, सोलसहस्समसया सबायला । चउचत्तसहस्स दो सय, दसुत्तरा दस कला सवे ॥२७॥ गचसोलसंका, पुव्वुत्तविही अ खित्तजुथल तिगे । विबारं बिंति तहा,चउसट्टिको विदेहस्स॥श्एापंचसया बबीसा, बच्च कला खित्तपढमजुअलम्मि । बीए गवीससया, पणुत्तरा पंच य कला य ॥३०॥चुलसीसय Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गवीसा, श्क्ककला तश्यगे विदेहि पुणो। तित्ती. ससहस उसय, चुलसीया तहा कला चउरो ॥३१॥ पणपन्नसहस सग सय, गुणणउआ णव कला सयलवासा । गिरि खित्तंकसमासे, जोधणलरकं हवइ पुरणं ॥३॥ पएणाससुद्ध बाहिरखित्ते दलिअम्मि उसय अमतीसा । तिएिण य कला य एसो, खेमचउक्स्स. विस्कंजो ॥३३॥ गिरिउवरि सवेश्दहा, गिरिचत्तान दसगुणा दोहा। दीहत्तअरुंदा, सवे दसजोअणुवेहा ॥३४॥ बहि पउमघुमरीया, मझे ते चेव हुंति महपुवा। तेगबिकेसरीया, अजितरिया कमेणेसुं ॥३५॥ सिरिलछी हिरिबुद्धी, धीकित्तीनामियान देवी। नवणवईपलि-वमाउ वरकमलणिलयान ॥३६॥ जबुवरि कोसगुच्चं, दह विचरपणसयंसविबारं । बाहवे विरकं, कमलं देवीण मूलिवं ॥३७॥ मूले कंदे नाले, तं वयरारिट्ठवेरुलिअरूवं। जंबुणयमज्जतवणी-जाबहिबदलं रत्तकेसरियं ॥३॥कमलपायंपिहुबु-चकणगमयकएिणगोवरिं Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवणं । अझेगकोसपिहुदी-हचउदसयचालधणुहुच्चं ॥३णा पछिमदिसि विणु धणुपण-सय उच्च ढाऊसय पिहुपवेसं। दारतिगं श्ह नवणे, मज्के दहदेविसयणिज॥४०॥ तं मूलकमलप्प-माणकमलाण अमहियसएणं । परिखित्तं तब्नवणेसुनूसणाईणि देवाणं ॥ ४१॥ मूलपउमाउ पुविं, महयरियाणं चनण्ह चल पउमा । अवराश् सत्त पउमा, अणियादिवईण सत्तण्हं ॥४॥ वायव्वाश्सु तिसु सुरि-सामएणसुराण चनसहस पनमा । अट्रदसबारसहसा अग्गेयास तिपरिसाणं॥४३॥ श्व बीअपरिकेवो, तइए चउसु वि दिसासु देवीणं । चउ चन पनमसहस्सा, सोलससहसाऽऽयरकाणं ॥४॥ अनिगा तिवलए, तीसचत्तामयाललरका।गकोमि वीस लरका, सला वीस सयं सत्वे ॥४५॥ पुवावरमेरुमुहं, उसु दारतिगं पि सदिसि दहमाणा । असिईनागपमाणं, सतोरणं णिग्गयणईशं ॥४६॥ जामुत्तरदारगं, सेसेसु दहेसु ताण मेरुमुहा। सदिसि दहासिथ. Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जागा, तयझमाणा य बाहिरिया ॥४॥ गंगा सिंधू रत्ता, रत्तवई बाहिरं पश्चनकं । बहिदहपुवावरदा-रविबरं वह गिरिसिहरे ॥४०॥ पंच सय गंतु णिअगा-वत्तणकूमाउ बहिमुहं वल। पणसयतेवीसेहिं, साहिबतिकलाहिं सिहराउँ ॥४॥ णिवम मगरमुहोवम-वयरामयजिब्जिआश्वयरतले । णिश्रगे णिवायकुमे, मुत्तावलिसमप्पवाहेण ॥५॥ दहदारविराज, विबरपरणासन्नागजमा । जमत्ता चउगुण-दोहा सव्वजिन्नी ॥५१॥ कुंमंतो अमजोश्रण-पिहुलो जलवरि कोसगमुच्चो । वेश्जुन णश्देवी-दोवो दहदेविसमनवणो ॥५॥ जोअणसट्ठिपिहुत्ता, सवायप्पिहुलवेतिवारा । एए दसुम कुंमा, एवं अएणे विणवरं ते ॥५३॥ एसि विडारतिगं, पमुच्च समगुणचनगुणट्ठगुणा । चउसट्ठिसोलचउदो, कुंमा सवेवि श्ह णवई ॥५४॥ एवं च णश्चनकं, कुंमा बहिवारपरिवूढं । सगसहसण:समेअं, वेअलगिरि पिनिंदेश॥॥ तत्तो बाहिर Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खित्त-कमज्फ वलश् पुवयवरमुहं । णश्सत्त. सहससहिलं, जगश्तलेणं उदहिमे ॥५६॥ धुरि कुंमवारसमा, पङते दसगुणाय पिहुलत्ते । सबब महणछ, विचरपएणासन्नागुंमा ॥५॥ पण खित्तमहणजे, सदारदिसि दह विसुङगिरिअहं । गंतूण सजिन्नीहिं, णिमणिकुंमेसु णिवमंति ॥५॥णियजिब्जियपिहुलत्ता, पणवीसंसेण मुत्तु मज्जगिरि । जाममुहा पुवुदहिं, श्वरा अवरोथहिमुर्विति ॥५५॥ हेमव रोहिअंसा, रोहिया गंगगुणपरिवारा। एरएणवए सुवएण-रुप्पकूला ताण समा॥६॥हरिवासे हरिकंता, हरिसलिला गंगचगुणणईया। एसि समारम्मयए, परकंता णारिकंता य ॥६१॥ सीया सीआई, महाविदेहम्मि तासु पत्तेयं । णिवमर पणलक पुतीससहस अमतीस णश्सलिलं ॥६॥ कुरुण चुलसीसहसा, बच्चेवंतरणईज पश्विजयं । दो दो महाण, चउदसहस्सा उ पत्तेयं ॥६३॥ अमसयरि महणजे, बारस अंतरणईल सेसाः । Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिअरणई चनदस, लरका बप्पएण सहसा य ॥६॥ एगारमणवकूडा, कुलगिरिजुअलत्तिगे वि पत्तेयं । ३२ बप्पएण चन चन, वरकारेसु त्ति चउसट्ठी ॥६५॥ सोमणसगंधमाणि, सग सग विज्जुप्पनिमालवंति पुणो । अट्ठट्ठ सयल तीसं, अम णंदणि अट्ठ करिकूमा ॥६६॥ श्य पणसयउच्च बासट्ठि-सउ (य) कूमा तेसु दोहरगिरीणं । पुवण मेरुदिसि, अंतसिझकूमेसु जिणचवणा ॥६॥ ते सिरिगिहा दोसय-गुणप्पमाणा तहेव तिवारा । णवरं अमवीसाहिब-प्लयगुणदारप्पमाण मिहं ॥६॥ पणवीसं कोससयं, समचउरसविचमा पुगुणमुच्चा । पासाया कूमेसु, पणसय उच्चेसु सेसेसु ॥६॥ बलहरिस्सहह रिकूमा, णंदणवणि मालवंति विज्जुपन्ने । ईसाणुत्तरदाहिण-दिसासु सहसुच्च कणगमया ॥७॥ वेअसु वि णव णव, कूमा पणवीसकोसच्चा ते । सवे तिसय बमुत्तर, एसु वि पुवंति जिणकूमा ॥१॥ ताणुवरि चेश्हरा, दहदेवीलवणतुबपरिमाणा। सेसेसु. अ Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पासाया, अछेगकोसं पिहुञ्चत्ते॥७॥गिरिक रिकूडा उच्च-तणाउ समयफमूलुवरिलंदा। रयणमया णवरि विश्र-मज्जिमा तिति कणगरूवा ॥७३॥ जंबूणयरययमया, जगश्समा जंबुसामलीकूमा। अट्ट तेसु दहदेवी-गिहसमा चारुचेश्हरा॥४॥ तेसि समोसहकूमा, चउतीसं चुलकुंमजुअलंतो। जंब्रणएस तेसु अ, वेअरूसं व पासाया ॥५॥ पंचसए पणवीसे, कूमा सव्वे वि जंबुदीवम्मि । ते पत्तेयं वरवण-जुयाहि वेईहिं परिस्कित्ता ॥६॥ बसरिकूमेसु तहा, चूला चनवणतरूसु जिणजवणा। जणिया जंबुद्दीवे, सदेवया सेसगणेसु ॥७॥ करिकुमकुंमणश्दह-कुरुकंचणयमलसमविअसु । जिणलवण विसंवाउँ, जो तं जाणंति गीयबा ॥७॥ पुवावरजलाहिंता, दसुचदसपिहुलमेहलचनका । पणवीसुच्चा परणासतीसदसजोषणपिहुत्ता॥ष्यावेईहिं परिस्कित्ता, सखयरपुरपएणसट्ठिसेणियुगा । सदिसिंदलोगपालो-वनोगि उवरिखमेहलया ॥७॥ खंग Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विहिअन्नरहे-रवया उगुरुगुहा य रुप्पमया । दो दोहा वेअमा, तहा उतीसं च विजएसु ॥१॥ णवरं ते विजयंता, सखयरपणपएणपुरउसेणीया। एवं स्वयरपुरा, सगतीससयाई चालाई ॥२॥ गिरिविबरदीहारी, अमुच्चचलपिहुपवेसदारार्छ । बारसपिहुलाउ असु-चैयाउ वेअर गुहार्ड ॥३॥ तम्मजोश्रणयं-तराउ तितिविबराउ पुणर्छ । उम्मग्गनिमग्गा, कमगाउ महाणईगया ॥७॥ इह परनित्तिं गुणव-एणमंमले लिहश् चक्कि उसमुहे।पणसयधणुहपमाणे, बारेगमजोअणुजोए ॥८५॥ सा तमिसगुहा जीए, चक्को पविसे मज्जखमंतो। उसहं अंकिय सो जी-ए वल सा खमंगपवाया ॥६॥ कयमालनमालय-सुराज वणिबहसलिलाउ । जा चको ता चिटुंति, ता उग्घमियदारा ॥७॥ बहिखमंतो बारस-दीहा नवविचमा अउज्जपुरी। सा लवणा वेअमा, चउदहियसयं चिगारकला Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५ ॥८८॥ चक्किवसणइपवेसे, तिचडुगं मागदो पनासो छ । तातो वरदामो, इह सवे विमुत्तरसयं ति ॥८॥ नरदेव बार- यमयावसप्पिणिउसप्पिणीरुवं । परिजम कालचक्कं, दुवाल सारं सया विकमा || || सुसमसुसमा य सुसमा, सुसम - पुसमा य पुसम सुसमा य । डुसमा य दुसमघुसमा, कमुक्कमा पुसु वि अरबक्कं ॥ ९१ ॥ पुव्वुत्तप सिमसय- अणुग्गहणा पिट्ठिए हवइ पलि | दसको को पिलिए - हिं सागरो होइ कालस्स ॥ ए॥ सागरचन तिडुकोमा -को मिमिए र ति नराण कमा । ऊ तिश्गपलिया, तिडुइगकोसा तच्चतं ॥३॥ तिपुइग दिणेहिं तुबरि-बयरामल मित्तु ते सिमाहारो । पिट्ठकरंगा दोसय, बप्पएणा तद्दलं च दलं ॥ए४|| गुणवरणदिणे तह पनर - पणरा दिए वच्चपालणया । वि सयलजिया जुळाला, सुमण सुरूवा य सुरगइया ॥२॥ तेसि मत्तंग १ जिंगा २ तुमिांगा ३ जोइ ४ दीव Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ ५ चित्तंगा ६ । चित्तरसा ७ मणिभंगा गेहागारा ए अणियरका १० ॥ ए६ ॥ पाणं १ जायण २ पिडण ३, रविपह ४ दीवपह ५ कुसुम ६ माहारो ७ । नूसण गिह ए वबासण १०, कप्पमा दस विहा दिति ॥ए॥ मणुाउसम गयाई, हया चउरंसजाइ अटुंसा। गोमहिसुट्टखराई, पणंस साणाश्दसमंसा ॥ए॥ श्च्चा तिरछाण वि. पायं सवारएसु सारिखं । तश्यारसेसि कुलगर-णयजिणधम्माश् उप्पत्ती ॥एए॥ कालउगे तिचउबा-रगेसु एगूणणवश्परकेसु। सेसि गएसुं सिकं-ति हुंति पढमंतिमजिणिंदा ॥१०॥ बायालसहसवरसू-णिगकोमाकोमियरमाणाए। तुरिए नराउ पुवा-ण कोमि तणु कोसचउरंसं ॥१०॥वरिसेगवीससहस-प्पमाणपंचमरए सगकरुच्चा । तीसहियसयाउ णरा, तयंति धम्माइआणंतो ॥१०॥ खारम्गिविसाईहिं, हाहानूयाकयाश्पुहवीए । खगबीय विश्राश्सु, पराश्वीयं Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिलाईसु॥१०३॥ बहुमछचक्कवहणश्-चउक्कपासेसु णव णव बिलाई । वेअमोजयपासे, चउबालसयं बिलाणेवं ॥१०॥पंचमसमबट्ठारे, करुच्चा वीसवरिसाज गरा। महासिणो कुरूवा,कूरा बिलवासि कुगश्गमा ॥१५॥णिबजा णिवसणा, खरवयणा पिअसुवाशविरहिया। थी उबरिसगन्ना, अश्ह पसवा बहुसुश्रा य ॥१०६॥ श्व अरबकेणवस-प्पिणि तिसप्पिण। वि विवरीया। वीस सागरकोमा-कोमीओ कालचकम्मि ॥१०॥ कुरुपुगिहरिरम्मयपुगि, हेमवएरएणवश्ऽगि विदेहे। कमसो सयावसप्पिणि, अरयचनक्काइसमकालो ॥१०॥ हेमवएरएणवए, हरिवासे रम्मए य रयणमया । सद्दावर विश्रमावश्, गंधावर मालवंतक्खा ॥१०ए॥ चउवट्टविया सा-इअरुणपउमप्पनाससुरवासा।मूलुवरि पिहुत्ते तह, उच्चत्ते जोयणसहस्सं ॥११०॥ मेरू वट्टो सहस्स-कंदो लक्खूसियो सहस्सुवरि । दसगुण नुवि तं सणवर, दसिगारंसं पिहुलमूले ॥१११॥ पुढवुवलवयरसकर Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मयकंदो उवरि जाव सोमणसं। फलिहंकरययकचण-मश्रो अ जंबूणथो सेसो ॥११॥ तवरि चालीसुच्चा, वट्टा मूलुवरि बार चल पिहुला। वे. रुलिया वरचूला, सिरिजवणपमाणचेश्हरा ॥११३॥ चूलातलाउ चनसय, चनणवई वलयरूवविक्खंजं।बहुजलकुंमपंग-वणं च सिहरे सवेश्य॥११४॥ पएणासजोषणेहिं, चूलाओ चदिसासु जिणजवणा। सविदिसि सक्कीसाणं, चउवा विजुथा य पासाया ॥११५॥ कुलगिरिवेशहराणं, पासायाणं चिमे समट्ठगुणा । पणवीसरंदगुणा-यामान श्माउ वा. वीयो ॥११६॥ जिणहरबहिदिसि जोअण-पणसय दीहरूपिहुल चउउच्चा। अफससिसमा चउरो, सिकणयसिला सवेश्या ॥११७॥ सिलमाणट्ठसहस्सं-समाणसीहासणेहिं दोहिं जुया । सिल पंऽकंबला र-तकंबला पुठ्वपबिमयो॥११॥ जामुत्तराउ तायो, गेगसीहासणा अश्पुव्वा । चनसु वि तासु नियासण-दिसि जवजिणमजा. णं हो ॥११॥ सिहरा बत्तीसेहिं, सहसेहिं मे Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९ हलाइ पंच सए । पिहुलं सोमणसवणं, सिलविणु पंगवणस रिचं ॥ १२० ॥ तब्बाहिरि विक्खंजो, बायालसयाई दुसयरि जुएं । अगारसनागा, मज्जे तं चैव सहसूणं ॥ १२१ ॥ तत्तो मसट्ठीसदसेहिं णंदणं पि तह चेव । एवरि जवणपासायं - तरट्ठ दिसि कुमरिकूमावि ॥ १२२ ॥ - वसहस एवसयाई, चनपणा बच्चिगारदाया य । Campe दबहिबिक्खंनो, सहसूलो होइ मज्जम्मि ॥ ॥ १२३ ॥ तदहो पंचसएहिं महिलि तह चेव जसालवणं । णवर मिह दिग्गर चित्र, कूमा वपवित्रं तु इमं ॥ १२४॥ बावीस सहस्सा, मेरू पुवा पछिम । तं चामसी वित्तं, वणमाणं दाहिणुत्तर ॥ १२५ ॥ बव्वीस सहस च सय, पणहत्तरि गंतु कुरुणइपवाया । उनओ विणिग्गया गय-दंता मेरुम्मुहा चउरो ॥ १२६ ॥ इस पयादि ऐण सिरत्तपानी लाना । सोमणस विज्जुप्पह-गंधमायण मालवंतक्खा ॥१२७॥ अहलोयवासिणीच्यो, दिसाकुमारोज अट्ठ ए. Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एसिं । गयदंतगिरिवराणं, हिट्ठा चिट्ठति नवणेसु ॥ १२७ ॥ धुरि अंते चउपणसय, उच्चत्ति पिहुति पणसयाऽसिसमा दोहत्ति श्मे उकला, इसय णवुत्तर सहसतोसं ॥१vणा ताणंतो देवुत्तर-कुराउ चंदझसंठियाउ जुवे । दससहसविसुद्धमहा-विदेहदलमाणपिहुलायो ॥ १३० ॥ णश्पुवावरकूले, कणगमया बलसमा गिरी दो दो। उत्तरकुरा जमगा, विचित्तचित्ता य श्रीए ॥ १३१ ॥ णश्वहदोहा पण पण, हरया उदारया श्मे कमसो । णिसहो तह देवकुरू, सूरो सुलसो य विज्जुपनो ॥ १३ ॥ तह णीलवंत उत्तर-कुरु चंदेरवय मालवंतु ति। पउमदहसमा णवरं, एएसु सुरा दहसमाणा ॥ १३३ ॥ अम सय चउतोस जोय-णाई तह सेगसत्तनागायो । कारस य कलाओ, गिरिजमलदहाणमंतरयं ॥ १३४ ॥ दहपुत्वावरदसजो-यणेहि दस दस विथमृकूमाणं । सोलसगुणप्पमाणा, कंचण गिरिणो उसय सवे ॥ ॥१३५॥ उत्तरकुरूपुबळे, जंबूणय जंबुपीढमतेसु । Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१ कोस डुगुच्चं कमि व - कुमाणु चडवी सगुणं मज्जे ॥ १३६ ॥ पणसयवट्टपित्तं, परिखित्तं तं च पडमवेईए । गाउपुगध्धुच्च पिहु - तचारुचनदारक लिआए ॥ १३७ ॥ तं मज्जे अमवित्थर - चउच्चमणिपी दिखाई जंबुतरू । मूले कंदे खंधे, वरवयरारिट्ठवेरु लिए ||१३|| तस्सय साह पसाहा, दला य बिंटा य पल्लवा कमसो । सोवएणजायरूवा, वेरु लितवणिजजंबुण्या ॥ १३५ ॥ सो रययमयपवालो, राययविमो य रयणपुप्फफलो । कोसगं उब्वे, थुमसाहाविभिभविक्खजो ॥१४०॥ थुमसाह विडिमदीद - ति गाउए अट्ठपणारच - वीसं । सादा सिरिसमजवणा, तम्माणसचेश्चं विमिमं ॥ १४१ ॥ पुलिस तिसु - स पाणि नवणेसु पाढिासुरस्स । सा जंबू बारसवे- इयादि कमसो परिक्खित्ता ॥ १४२ ॥ दद्दपउमाणं जं वि-बरं तु तमिहावि जंबूरुक्खाणं । नवरं महयरियाणं, गणे इद अग्गमहिसी श्रो ॥ १४३ ॥ कोसडुसएहिं जंबू, चउद्दिसिं पुवसा Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ लसमनवणा । विदिसासु सेसतिसमा, चनवाविजुया य पासाया ॥ १४४ ॥ ताणंतरेसु बम जिण-कूमा तह सुरकूरा अवरके। राययपीढे सामलि-रुक्खो एमेव गरुलस्स ॥ १४५ ॥ बत्तीस सोल बारस, विजया वक्खार अंतरणईयो । मे. रुवणायो पुवा-वरासु कुलगिरिमहणयंता ॥१४६॥ विजयाण पिहुत्ति सग-ट्ठनाग बारुत्तरा वीससया। सेलाणं पंच्चसए, सवेश्ण पन्नवीससयं ॥१४७ ॥ सोलससहस्स पणसय, बाणग्या तह य दो कलायो य । एएसिं सवेसि, आयामो वणमुहाणं च ॥ १४ ॥ गयदंत गिरिव्वुच्चा, व. क्खारा ताणमंतरणईणं । विजयाणं च निहाणा'मालवंता पयाहिणयो ॥ १४ए ॥ चित्ते १ य बंजकूमेश णलिणीकूमे ३ य एगसेले ४ य। तिउमे ५ वेसमणे ७ वि य, अंजण ७ मायंजणे ७ चेव ॥ १५० ॥ अंकावर ए पम्हावर १० सीविस ११ तह सुहावहे १२ चंदे १३ । सूरे १४ णागे १५ देवे १६, सोलस क्क्खारगिरिणामा Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ १५१ ॥ गाहावई १ दहवई २, वेगवई ३ तत्त ४ मत्त ५ उम्मत्ता ६ । खीरोय ७ सीयसोया , तह अंतोवादिणी ए चेव ॥ १५२ ॥ उम्मीमा. लिणी १० गंजी-रमालिणी ११ फेणमालिण १५ चेव । सव्व वि दसजोयण-उंमा कुंमुब्नवा एया ॥१५३॥ कच्छ १ सुकलो २ य महा-कहो ३ कजावई ४ तहा। आवत्तो ५ मंगलावत्तो ६, पुक्खलो ७ पुक्खलावई ॥१५४॥ वच्छ ए सुव. बो १० य महा-वल्लो ११ वहावई १२ वि य । रम्मो १३ य रम्मो १४ चेव, रमणी १५ मंगलावई १६ ॥ १५५ ॥ पम्हु १७ सुपम्हो १७ य महा-पम्हो १ए पम्हावई २० तयो । संस्खो १ णलिणणामा २५ य, कूमुयो २३ णलिणावई २४ ॥ १५६ ॥ वप्पु २५ सुवप्पो २६ अ महा-वप्पो २७ वप्पावर २८ त्ति य । वग्गू २९ तहा सुवग्गू ३० य, गंधिलो ३१ गंधिलावई ३२ ॥ १५७ ॥ एए पुवावरगय-विचामृदलिय त्ति णदिसिदलेसु । जरहरूपुरिसमायो, मेहिं णामेहिं Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णयरीयो ॥ १५७ ॥ खेमा १ खेमपुरा २ वि श्र, अरिट्ठ ३ रिट्टावई ४ य णायवा। खग्गी ५ मंजूसा ६ वि य, अोसहिपुरि ७ पुमरिगिणी ज्य ॥१५९॥ सुसोमा ९ कुंमला १० चेव, अवराविथ ११ पहंकरा १२ । अंकव १३ पम्हावर १४, सु. ना १५ रयणसंचया १६ ॥ १६० ॥ आसपुरा १७ सीहपुरा २७, महापुरा १९ चेव हव विजयपुरा २०। अवराश्या २१ य अवरा १२, असोगा २३ तह वीअसोगा २४ य ॥ १६१ ॥ विजया १५ य वेजयंती २६, जयंति २७ अपराजिया २८ य बोधवा । चक्कपुरा २९ खग्गपुरा ३०, होश अवज्जा ३१ अउज्जा ३१ य ॥१६१॥ कुंमनवा न गंगासिंधूयो कछपम्हपमुहेसु । अट्ठसु विजएसुं, सेसेसु य रत्तरत्तवई॥१६३॥ अविवक्खिऊण जगई, सवेश्वणमुहचउक्कपिहुलत्तं । गुणतीससय वीसा, णति गिरिशंति एगकला ॥ १६४ ॥ पणतीस सहस चढ सय, मुत्तरा सयल विजयविखंजो। वणमुहगविक्खंनो, अमवएण सया य Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५ चोयाला ॥१६५॥ सग सय पएणासा णपिहुत्ति चउवएण सहस मेरुवणे । गिरिविचरि चन सहसा, सवसमासो हव लक्खं ॥ १६६ ॥ जोअणसयदसगंते, समधरणीओ अहो अहो. गामा । बायालीससहसहि, गंतुं मेरुस्स पलिम ओ ॥१६७॥ चन चउतीसं च जिणा, जहएणमुकोसया अ हुँति कमा। हरिचकिबला चउरो, तीसं पत्तेअमिह दीवे ॥ १६७ ॥ ससि. गरविगचारो, इह दीवे तेसि चार खित्तं तु। पण सय दसुत्तराई, गसहि हाया (जागा) य अमयाला ॥ १६९ ॥ पणरस चुलसीश्सयं, बप्पएणमयालजागमाणाई। ससिसूरमंगला, तयंतराणिगिगहीणाई॥१७॥ पणतीसजोअणे जागतीस चउरो अ नाग सगहा (ना) या। अंतरमाणं ससिणो, रविणो पुण जोधणे मुएिण ॥ १७१ ॥ दीवंतो असिअसए, पण पणसट्ठी थ मंगला तेसिं । तीसहिअतिसय लवणे, दसिगुणवीस सयं कमसो ॥ १७२ ॥ ससिससिरविरवि Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंतरि, मज्के गलक्खु तिसय साठूणो। साहिअसय रिपणचश्-बहि लक्खो बसय साबहियो ॥ १७३ ॥ साहिश पणसहमतिहुत्तरारं, ससिणो मुहुत्तगइ मज्जे । बावरण हिया सा बहि, पश्मंमल पठणचवुनी ॥ १७४ ॥ जा ससिणो सा रविणो, अमसय रिसएणसीसएण हिया। किंचणाण अट्ठार-सहिहायाण मिह वुढी ॥ १७५ ॥ मुज्जे उदयबंतरि, चजणवश्सहस पणसय बवी. सा । बायाल सहिन्नागा, दिणं च अट्ठारसमुहुत्तं ॥१७६॥ पश्मंगल दिणहाणी, पुण्ह मुहुत्तेगसट्ठिनागाणं। अंते बारमुहुत्तं, दिणं णिसा तस्स वि. वरीया ॥ १७७ ॥ उदयवंतरि बाहिं, सहसा तेसट्टि बसय तेसट्ठा। तह गससिपरिवारे, रिकमवीसामसी गहा ॥१७॥ बासट्टि सहस एवसय, पणहत्तरि तारकोमिकोमीणं । सएणंतरेण वुस्से-हंगुलमाणेण वा हुंति ॥१७॥ गहरिकतारगाणं, संखं ससिसंखसंगुणं काउं। इडियदीवुदाई मि य, गहाइमाणं विधाणेह ॥ १० ॥ Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चल चल बारस वारस, लवणे तह धायम्मि ससिसुरा। परयोदहिदीवेसु अ, तिगुणा पुश्विब्बसंजुत्ता ॥११॥ परखित्तं जा समसे-णिचारिणो सिग्घसिग्घतरगणो। दिट्ठिपहमिति खित्ता-णुमाणयो ते णराणेवं ॥१७॥ पणसय सत्तत्तोसा, चजतोससहस्स लकश्गवीसा। पुरकरदीवणरा, पुत्रेण अवरेण पिठंति ॥ १३ ॥ णरखित्तबहिं ससिरवि-संखा करणंतरेहिं वा हो। तह तब य जोइसिया, अचलरूपमाण सुविमाणा ॥१॥ श्ह परिहि तिलरका, सोलसहस्स सयपुरिण पजणअमवीसा। धणुहमवीससयंगुल-तेरससला समहिया य ॥ १५ ॥ सगसय णऊयाकोमी, लरका बप्पएण चजणवश्सहसा। ससयं पगणउकोस, सम्वास ट्ठिकर गणिथं ॥ १६ ॥ वट्टपरिहिं च गणिचं, अंतिमखंमा उसु जिअं च धणुं । बाहुं पयरं च घणं, गणेह एएहिं करणेहिं ॥१७॥ विरकंनवग्गहगुण-मूलं वट्टस्स परिरयो हो। विकंजपायगुणियो, परिरयो तस्स गणिय Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૮ पयं ॥ १०८ ॥ श्रोगाहु उसू सुच्चि, गुणवी सगुणो कलाउ होइ । विजसु पिहुत्ते च गुण - उसुगुलिए मूल मिह जीवा ॥ १८९ ॥ इसुवग्गि बगुपि जीवा - वग्गजुए मूल होइ धणुपिट्ठे । धणुगविसेससेसं, दलित्रं बाहानुगं होइ ॥ १०० ॥ अंतिमखंमस्सुसुणा, जीवं संगुणि चउहिं नईऊणं । लमि वग्गिए दस - गुणम्मि मूलं हवइ पयरो ॥ १०१ ॥ जीवावग्गा डुगे, मिलिए दलिए अ होइ जं मूलं । वेडाई तयं, सपित्तगुणं नवे पयरो ॥१९२॥ एयं च पयरगणि, संववहारेण दंसि तेण । किंचूणं होइ फलं, हिां पि हवे सुहमगणणा ॥ १०३ ॥ पयरो सोस्सेहगुणो, होइ घणो परिरयाइ सव्वं वा । करणगणणालसेहिं, जंतग लिहियाउ दट्ठवं ॥ १०४ ॥ ाथ लवणसमुद्र अधिकार द्वितीयः गोतिरं लवणोजय, जोखण पण नवइसहस जा तच। समनूतलायो सगसय - जलवुमी सहसमोगाहो ॥ १०५ ॥ तेरा सिएए मज्जिल - रासिया Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सगुणिज अंतिमगं। तं पढमरासिनश्वं, उवेहं मुणसु लवणजले ॥१६॥ हिटुवरि सहसदसगं, पिहला मूलाउ सतरसहस्सुच्चा । लवणिसिहा सा तवरि, गानपुगं वमृश् ज्वेलं ॥१७॥ बहुमज्जे चनदिसि चन, पायाला वयरकलससंगणा। जोधणसहस्स जमा, तहसगुण हिट्ठवरि रुंदा ॥१ए॥ लकं च मज्जि पिहुला, जोअणलखं च नूमिमोगाढा । पुवाश्सु वमवामुह-केजुवजूवेसरनिहाणा ॥ १५ ॥ अएणे लहुपायाला, सग सहसा अम सया सचुलसीया। पुवुत्तसयंसपमाणा, तब तब प्पएसेसु ॥२०॥ कालो अ महाकालो, वेलंबपनंजणे अ चउसु सुरा । पलियो. वमाउणो तह, सेसेसु सुरा तयझाऊ ॥ २०१ ॥ सवेसिमहोजागे, वाऊ मज्जिल्लयम्मि जलवाऊ। केवलजलमुवरिले, नागपुगे तब सासुब्व ॥२०॥ बहवे उदारवाया, मुछति खुहंति पुरिण वाराओ। एगबहोरत्तंतो, तया तया वेलपरिवुझी ॥२०३॥ बायालसट्टिासयरि-सहसा नागाण मज्जुवरि Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाहिं । वेवं धरंति कमसो, चहत्तरुखक्खु ते सव्वे ॥ २०४ ॥ बायालसहस्सेहिं, पुवेसाणादिसिविदिसि लवणे । वेलंधराणुवेलं-धरराईणं गिरिसु वासा ॥२०५॥ गोथूले दगनासे, संखे दगसीम नामि दिसि सेले । गोथूलो सिवदेवो, संखो अ मणोसिलो राया ॥२६॥ ककोमे वि. ज्जुपने, केनास रुणप्पहे विदिसि सेले। कक्कोमयु कदमयो, केलास रुणप्पहो सामी ॥ २० ॥ एए गिरिणो सवे, बावीसहीया य दससया मूले । चसय चनवीसहिया, विहिएणा हुंति सिहर• तले ॥ २० ॥ सतरस सय गवीसा, उच्चत्ते ते सवेश्या सवे। कणगंकरययफालिह, दिसासु विदिसासु रयणमया ॥ २०९ ॥ णव गुणहत्तरि जोश्रण, बहि जलुवरि चत पणणवश्नाया। एए मज्के णव सय, तेसट्ठा नाग सगसयरि ॥ १० ॥ हिमवंतंता विदिसी-साणाश्गयासु चठसु दाढासु । सग सग अंतरदीवा, पढमचउकं च जगईयो॥११॥ जोअणतिसएहिं तो, Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सयसयवुमो थ बसु चउक्केसु । अएणुएणजगश्अंतरि, अंतरसमविचरा सवे ॥ १२ ॥ पढमचउकुच्च बहि, अमाश्यजोअणे अ वीसंसा । सय. रिसवुझि परयो, मज्जदिसिं सवि कोसगं ॥ २१३ ॥ सवे सवेश्वेता, पढमचक्कम्मि तेसि नामाइं। एगोरुड आनासिस, वेसाणिय चेव लंगूले ॥ १४ ॥ बीअचउक्के हयगय-गोसक्कुलिपुवकएणणामाणो। आयंसमिढगअओ-गोपुबमुहा थ तश्यम्मि ॥ १५ ॥ हयगयह रिवग्घमुहा, चजबए असकएणु हारकएणा । अकएण कएणयावरणु, दीओ पंचमचनकाम्म ॥१६॥ उक्कमुहो मेहमुहो, विमुमुहो विज्छुदंत उट्ठम्मि। सत्तमगे दंतंता, घणलट्ठनिगूढसुका य ॥ १७ ॥ एमेव य सिहरिम्मि वि, अमवीसं सवि हुंति बप्पएणा । एएसु जुअलरूवा, पलियासंखंसान णरा॥१॥ जोअणदसमंसतणू, विट्ठिकरंमाणमेसि चसट्ठ। असणं च चग्लाओ, गुणसीदिण वच्चपालणया ॥ २१९॥ पबिम Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ રૂર दिसि सुविथालवण-सामिणो गोअमु (त्त श्गु दीवो । उन्नयो वि जंबुलावण, कु रविदीया य तेसिं च ॥१०॥ जगश्परुप्परअंतरि, तह विबर बारजोयणसहसा । एमेव य पुवदिसिं, चंदचनकस्स चल दीवा ॥२१॥ एवं चित्र बाहिरो, दीवा अट्ठ पुवपछिमयो। कुछ लवण बब धायश्-संग ससीणं रवीणं च ॥ ॥ एए दीवा जनुवरि, बहिं जोअण सहअसी तहा। नागा वि अ चालीसा, मज्जे पुण कोसगमेव ॥२३॥ कुलगिरिपासायसमा, पासाया एसु णिअणिअपहणं । तह लावणजोसिया, दगफालीह उरलेसागा ॥ २२४ ॥ अथ तृतीय धातकीखंडीप अधिकार. __ जामुत्तरदोहेणं, दससयसमपिहुल पणसयुच्चेणं । उसुयारगिरिजुगेणं, धायसंमो हविहत्तो ॥२२५ ॥ खंमउगे उ गिरिणो, सग सग वासा अरविवररूवा। धुरि अंति समा गिरिणो, वासा पुण पिहुलपिहुलयरा ॥ २५६ ॥ दहकुंमुमुत्तममे Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रुमुस्सयं विस्थरं विधवाणं । वट्टगिरीणं च सुमेरुवजमिह जाण पुव्वसमं ॥ २७ ॥ मेरुगं पि तह चित्र, णवरं सोमणसहिठ्वरिदेसे। सगश्रमसहसणु त्ति, सहसपणसी उच्चत्ते ॥ २० ॥ तह पणणवई चउणज्य, अचजण अट्ठतीसा य । दस सया कमेणं, पणट्ठाण पिहुत्ति हिट्ठायो॥शए ॥ णकुंमदीववणमुह-दहदी. हरसेलकमलविवारं। णश्छमत्तं च तहा, दहदी. हत्तं च श्ह उगुणं ॥ २३० ॥ गलक्खु सत्तसहसा, अमसिय गुणसी नदसालवणं । पुवावरदोहंत, जामुत्तर अट्ठसीनश्यं ॥२३१॥ बाह गयदंता दोहा, पणलक्खूणसय रिसहस गुणट्ठा। श्यरे तिलरकाप्पएण-सहस्स सय सुएिण सगवीसा ॥ ३५ ॥ खित्ताणुमाणो सेस-सेलणविजयवणमहायामो। चजलरकदीह वासा, वास. विजयविनरो उ श्मो ॥२३३॥ खित्तंकगुणधुवंके, दो सय बारुत्तरेहिं पविनत्ते । सबब वासवासो, हवे इह पुण श्य धुवंका ॥२३४ ॥ धुरि चन्द Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लक सहस, दोसगणना धुवं तहा मज्के । उसय अमुत्तर सतस-द्विसहस बीस लरका य ॥ २३५ ॥ गुणवीस सयं बत्तीस, सहस गुणयाल सरक धुवमंते। णगिरिवणमाण विसु-चखित्त सोलंसपिहु विजया ॥२३६ ॥ णव सहसा उ सय तिल-त्तरा य बच्चेव सोल नाया य । विजयपिहुत्तं णगिरि-वण विजयसमासिचजलरका॥२३॥ पुवं व पुरी अ तरू, परमुत्तरकुरूसुधाई महधाई। रुका तेसु सुदंसण-पियदसणनामया देवा ॥२३॥ घुवरासीसु थ मिलिया, एगो लरको थ अमसयरी सहस्सा । अट्ठ सया बायाला, परिहितिगं धार्यसंमे ॥ २३ ॥ अथ कालोदधि अधिकार चतुर्थः __ कालोश्रो सबक वि, सहसंमो वेलविरहियो तब । सुबियसमकालमहा-कालसुरा पुवपलिम ओ ॥ २४० ॥ सवणम्मि व जहसंनव,ससिरविदीवा हं पि नायव्वा । णवरं समंतयो ते, कोसउगुच्चा जलस्सुवरि ॥ २४१ ॥ Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५ it काथ पुष्करद्वीपार्थ काधिकार पंचमः चुरकरदलब हिजगर, व संवियो माणुसुन्तरो सेलो । वेलंधर गिरिमाणो, सीह पिसाई पिसढवणो ॥ २४२ ॥ जह खित्तणगाई, संगणो धाइए तदेव इहं । डुगुणो का जहसालो, मेरुसुयारा तहा चैव ॥ २४३॥ इह वाहिरगयदंता, चउरो दीदत्ति वीससय सहसा । तेालीस सहस्सा, उवीसदिया सया डुएि ॥ २४४ ॥ किंनंतर गयदंता, सोलस लरका य सहस बद्दीला । सोल हिसयमेगं दीहत्ते हुंति चउरो वि ॥ २४५ ॥ सेसा पमाण जह, जंबूदीवाउ धाइए जगिया । डुगुणा समा य ते तह, भाइअसंमाज इह ऐखा श्ह ॥ २४६ ॥ अमसी लरका चनदस, सहसा तह णव सया य इगवोसा । निंतर घुवरासो. पुवृत्तविहीइ गवि ॥ २४७ ॥ इग कोमि तेर लरका, सहसा चउचत्त सग सय तियाला । पुकरवरदीवडे, धुवरासी एस मज्जम्मि ॥ २४८ ॥ एगा को किमती - सलक चउत्तरी सदस्सा " Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ य। पंच सया पणसट्ठा, धुवरासो पुस्करते ॥ ॥४ए ॥ गुणवीस सहस सग सथ, चउणनथ सवाय विजयविकंनो । तह इह बहिवहसलिला, पविसंति अ णरणगस्साहो ॥ २५० ॥ पुकरदलपुत्वावर-खमंतो सहस पुग पिहु उकुंमा। नणिया तट्ठाणं पुण, बहुस्सुया चेव जाणंति ॥ २५१ ॥ इह पउममहापामा, रुरका उत्तरकु. रूसु पुवं व । तेसु वि वसंति देवा, पउमो तह पुंमरीओ अ ॥ २५२॥ दोगुणहत्तरि पढमे, अम लवणे बीअदिवि तश्य। पिहु पिहु पण सय चाला, श्ग पर खित्ते सयलगिरिणो ॥२५३॥ तेरह सय सगवएणा, ते पणमेरूहि विरहिया सवे ।उस्सेहपायकंदा,माणुससेलो वि एमेव ॥२५॥ धुवरासीसु तिलरका, पणपएण सहस्स उ सय चुलसीया। मिलिया हवंति कमसो, परिहितिगं पुरकरछस्स ॥ २५५ ॥ पश्दहघणथणियागणि-जिणाश्णरजम्ममरणकालाई । पणयाललकजोश्रण-णरखित्तं मुत्तु णो पु(प)रो ॥२५६॥ Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउसु वि उसुधारेसुं, शकिकं णरणगम्मि चत्ता. हर । कूमोवरि जिणनवणा, कुलगिरिजिण लवणपरिमाणा ॥२५॥ तत्तो गुणपमाणा, चउदारा थुत्तवरिणअसरूवे । णंदीसरि बावएणा, चन कुंमलि रुथगि चत्तारि ॥ २५ ॥ बहूसंखविगप्पे रुड-गदीवि उच्चत्ति सहस चुलसीई। णरणग. सम रुगो पुण, विरि सयवाणि सहसंको ॥ २५॥ ॥ तस्स सिहरम्मि चदिसि, बीअसहसोगिगु चलचिअट्ठट्ठा। विदिसि चकश्य चत्ता, दिसिकुमरी कूमसहसंका ॥ २६० ॥ २ कश्वयदीवोदहि-विवारलेसो मए विमणावि । लिहियो जिणगणहरगुरु-सुअसुअदेवीपसाएण ॥ ॥ २६१ ॥ सेसाण दीवाण तहोदहीणं, विचारविबारमणोरपारं। सया सुयाओ परिनांवयंतु, सवं पि सव्वन्नुमश्कचित्तां ॥ २६ ॥ सूरीहि जं रयणसेह्रनामएहिं, अप्परमेव रश्यं पर खित्तविकं । संसोहियं पयरणं सुअणेहि लोए, पावेज तं कुसलरंगमई पसिाद्धं ॥ २६३ ॥ ॥ इति श्रीलघुक्षेत्रसमासप्रकरणमूलगाथाः ॥ Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रम वृहत्सग्रहणीसूत्राणि ॥ नमि थरिहंताई विश्नघणो गाहणा य पत्तेयं ॥ सुरमारयाण वुलं, नरतिरियाणं विणा नवणं ॥१॥ नववायचवण विरहं, संखं गसमश्वं गमागमणे॥ दसवाससहस्सा, नवणवईणं, जहन्नविई॥२॥ चमर बलि सार महिलं, तदेवीणं तु तिएिण चत्तारि ॥ पलियाई सट्टाई, सेसाणं नवनिकायाणं ॥ ३ ॥ दाहिण दिवट्टपलियं, उत्तर हुँति पुन्नि देसूणा ॥ तदेवि मझ पलियं, देसूणं आजमुक्को. सं॥४॥वंतरियाण जहन्नं, दसवाससहस्स प. लिअमुक्कोसं ॥ देवीणं पलिअर्क, पलिअं अहियं ससिरवीणं ॥५॥ लरकेण सहस्सेण य, वासाण गहाण पलिअमेएसि ॥ विश् अहं देवीणं । कमेण नरकत्तत्ताराणं ॥६॥ पलिअहं चउजागो, चन अमन्नागाहिगान देवीणं ॥ चउजुअले चनजागो, जहन्नममनाग पंचमए ॥ ७॥ दोसाहि सत्तसाहिय, दस चमदस सतर अयर जा सुक्को ॥ ३किक महिय मित्तो, जा गतीसुवरि मेविजोगा Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तितीस मुत्तरेसु, सोहम्माश्सु श्मा विश जिहा ॥ सोहम्मे ईसाणे, जहन्न लिई पलिश्च महियं च ॥ए॥ दोसाहि सत्त दस चउदस, सत्तर अयराई जा सहस्सारो ॥ तप्पर शकिकं, अहिथं जा णुत्तर चउके ॥१०॥ गतीससागराशे, सबछे पुण जहन्नठि ननि ॥ परिगहियाणिय राणिय, सोहम्मीसाणदेवीणं ॥११॥पलियं अहियं च कमा, निजहन्ना अ उक्कोसा ॥पलिश्राइंसत पएणा, स तहय नव पंचवन्ना य ॥ १२ ॥ पण उचज चल अह य, कमेण पत्तेय मग्गम हिसी ॥ असुर नागा वंतर, जोश्स कप्पऽगिंदाणं ॥ १३ ॥ उसुतेरस उसुबारस, ब प्पण चढ चउ पुगे युगे अचल ॥ गेविज णुत्तरे दस, बिसहि पयरा उवरि लोए ॥१४॥ सोहमुको सहिश, निअपयरविदत्त श्वसंगुणिया॥पयरकोस हिज, सबबजहन्नपलियं ॥१५॥ सुरकप्पशिविसेसो, सगपयरविहत्त श्वसंगुणि ॥ हिहिरिश्सहिर्ज, इलियपयरम्मि उक्कोसा ॥१६॥ सोमजमाएं स तिजा, Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग पलिय वरुणस्सन्निदेसूणा ॥ वेसमणे दोपलिया, एसटिई लोगपालाणं ॥ १७ ॥ कप्पस्स अंतपयरे, निय कप्पर्मिसया विमाणा ॥ इंद. निवासातेसिं, चकदिसिंलोगपालाणं ॥१७॥ (सुरेसु विश्दारं सम्मत्तं, एएसु चेव लवणदारं नएण३) असुरा नाग सुवन्ना, विजू अग्गीह दोव उदहोय ॥ दिसि पवण थणिय दस विह, नवपवई तेसु पुछ इंदा ॥ १५ ॥ चमरे बलीय धरणे, नूयाणं देश वेणुदेवे य॥ तत्तो अवेणु दालो, हरिकंत हरिस्सहे चेव ॥ २० ॥ अग्गिसिह अग्गिमाणव, पुरण विसिके तहेव जलकते ॥ जलपह तह अमिअगई, मियवाहण दाहिणुत्तर ॥ १॥ वेलंबेथ पन्नंजण, घोस महाघोस एसि मन्नयरो॥जंबु दीवं बत्तं, मेरे दंमं पहुकाउं॥२॥ चउतीसा चउचत्ता, अहत्तीसा य चत्तपंचएहं ॥ पन्ना चत्ता कमसो, लरका नवणाण दाहिण ॥ २३ ॥ चउचउलकविहूणा, तावश्या चेव उत्तरदिसाए॥ सवे वि सत्तकोमो, बावत्तरि हुति Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१ लरका य ॥ २४ ॥ चत्तारियकोमोर्ड, लरका छचैत्र दाहिणे जवणा ॥ तिएव य कोमीट, लस्का वावधि उत्तरउं ॥ २५ ॥ रयणाए हिदुवरिं, जोयणसहसं विमुत्तु ते जवणा ॥ जंबुद्दीवसमा तह, संख मसंखित विचारा ॥ २६ ॥ चूकामफिणि गरुमे, वजे तह कलस सीह अस्से का ॥ गय मयर वर्द्धमाणे, असुराई मुणसु चिंधे ॥ २७॥ सुरा काला नागुद, हि पंकुरा तह सुवरण दिसि यलिया ॥ कणगान विज्जु सिहि दी, व अरुण वाऊ पिअंगुनिना ॥ २८ ॥ असुराणवचरत्ता, नागो दहि विज्जु दोत्र सिहि नीला ॥ दिसि या सुवन्नाणं, धवला वाऊण संऊरुई ॥ २० ॥ चसहि सहि सुरे, बच्च सहस्साई धरण माईणं ॥ सामाणिया इमेसिं, चनग्गुणा आयरस्काय || ३० ॥ रयणाए पढमजोयण, सहस्से हिदुवरिं सय सय विदू ॥ वंतरियाणं रम्मा, जोमा नगरा असंखिता ॥ ३१ ॥ बाविहा तो, चरंस हो करिण्यायारा ॥ जवणवईणं Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सह कं, तराण इंदनवणाउ नायबा ॥ ३॥ तहिं देवा वंतरिया, वरतरुणीगीयवाश्यरवेणं । निचं सुहिया पमुश्या, गयंपि कालं न याति ॥३३॥ ते जंबूदीव नारद, विदेह सम गुरु जहन्न मजिमगा ॥ वंतर पुण अहविहा, पिसायजूया तहा जरका ॥ ३४ ॥ रकस किंनर किंपुरिसा, महो. रगा बहमा य गंधवा ॥ दाहिणउत्तरनेत्रा, सोलस तेसिं श्मे इंदा ॥ ३५ ॥ काले अ महाकाले, सुरूव पमिरूव पुरणनदेय ॥ तह चेत्र माणिनद्दे, नीमे अ तहा महाजीमे ॥ ३६ ॥ किंनर किंप्पुरिस सप्पुरिस, महापुरिस तहय अ. श्काए ॥ महाकाए गीअरई, गीअजसे पुन्नि पुन्नि कमा ॥ ३७॥ चिंधं कलंब सुलसे, वम खटुंगे असोग चंपयए ॥ नागे तुंबरुवाए, खटुंगविवजिया रुका ॥ ३० ॥ जख पिसाय महोरग, गंधवा साम किंनरा नीला ॥ रकस किंपुरिसा वि अ. धवला नुथा पुषो काला ॥३५॥ अणपन्नी पणपत्री, इसिवाइ अ जुधवाश्ए चेव ॥ कंदी व Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाकंदी, कोहंमें चेव पयए अ॥४०॥ इयपढम जोयणसए, रयणाए अट्ठ वंतरा अवरे॥ तेसु श्ह सोलसिंदा, स्थग अहो दाहिणुत्तरर्च ॥ १ ॥ संनिहिए सामाणे, छाइ बिहाए इसिय इसिवाले ॥ ईसर महेसरे विय, हव सुवबे विसावे य ॥ ४२ ॥ हासे हास र विय, सेएय नवे तहा महासेए ॥ पयगे पयगवईविय, सोलसइंदाण नामाइं॥ ४३ ॥ सामाणियाण चउरो, सहस्स सो. लसय थायरकाणं ॥ पत्तेयं सवेसि, वंतरवर ससरवीणं च ॥ ४४ ॥ इंद सम तायतीसा, परिसतिया रकलोगपाला य ॥ अणिय पक्षणा अनिगा, किब्बिसं दस नवण बेमाणी ॥ ४५ ॥ गंधव नह हय गय, रह नम अणियाणि सब इं. दाणं ॥ वेमाणियाण घसहा, महिसा य अहो. निवासीणं ॥ ४६॥ तित्तीस तायतीसा, परिसतिया लोगपाल चत्तारि ॥ अणिआणि सत्त सत्तय, अणियादिव सबइंदाणं ॥४७॥ नवरं वंतर जोइस, इंदाण न हुत्ति लोगपालार्च ॥ तात्तिंस Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ निहाणा, तियसावियतेसि नहु हुति ॥ ४८ ॥ समतला काहिं, दसूण जोयण सएहिं - रन ॥ उवरि दसुत्तर जोयण, सयम्मि चिति जोइसिया ॥ ४९ ॥ तचरवी दस जोयण, असीइ रिससी यरिके ॥ श्रह नरणि साइ उवरिं, बहिमूलो पिंनंतरे निई ॥ ५० ॥ तार रवि चंद रिका, बुह सुक्का जीव मंगल सथिया । सगसय नजय दस असिर, चट चट कमसो तिया चउसु ॥ ५१ ॥ इकारस जोयाणसय इग वीसि कारसाहिया कमसो ॥ मेरुलोगाबाहिं, जोइसचक्कं चरई ठाई ॥ ५१ ॥ विट्ठागारा, फलिमया रम्म जोइस विमाणा ॥ वंतरनयरे हिं तो, संखितगुणा इमे हुंति ॥ ५३ ॥ ताई विमालाई पुण, सवाई हुंति फालिहमयाई ॥ दगफाली हमया पुण, लवणे जे जोइस विमाणा ॥ ५४ ॥ जोय सिट्ठि जागा, बप्पन्नमयाल गाउडु इगऊं ॥ चंदाइविमाणाया, म विवरा श्रद्ध मुच्चत्तं ॥ ५५ ॥ पयाल लरक जोयण, नरखित्तं Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५ तबिमे सया नमिरा ॥ नरखित्ता बहिं पुण, अउपमाणा ग्थिा निच्चं ॥ ५६ ॥ ससिर विगहनकत्ता, ताराहुंति जहुत्तरं सिग्धा ॥ विवरीयाउ महट्टीअ, विमाणवहगा कमेणेसिं ॥५॥ सोलस सोलसअम चन, दो सुरसहसा पुगेय दाहिण॥ पलिम उत्तर सीहा, हबी वसहा हया कमसो ॥५॥ गहअट्ठासी नरकत, अमवीसं तार कोमि कोमोणं ॥ बास द्विसहस्स नवसय, पणसत्तरि एगससि सिन्नं ॥ ५५ ॥ कोमा कोमी सन्नं, तरंतु मन्नंति खित्त थोवतया ॥ केई अन्ने उस्से, हंगुलमाणेण ताराणं ॥६० ॥ किएहं राहु विमाणं, निच्चं चंदेण हो अविरहियं ॥चजरंगुल मप्पत्तं, हिट्ठा चंदस्स तं चर ॥६१॥ तारस्स य तारस्स य जंबुद्दीवम्मि अंतरं गुरुयं ॥ बारस जोयण स. इसा, पुन्निसया चेव बायाला ॥ ६ ॥ निसढो य नीलवंतो, चत्तारिसयउच्च पंचसय कूमा ॥ अऊंउवरिं रिका, चरंति उन्नय? बाहाए ॥६॥ बावट्ठा पुन्निसया, जहन्नमेयं तु होइ वाघाए । Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६ मिघाघाए गुरु लहु, दोगालय धणुसया पंच ॥ ६४॥ माणुसनगार्ड बाहिं, चंदासूरस्स सूरचंदस्स || जोयणसहस्स पन्ना, स गुणगा अंतरं दिट्टं ॥ ६५॥ ससिसिरविरवि साहिय, जोयण सरकेण - तरं होई || रविांत रिया समिणो, ससि अंतरिया रखी दित्ता ॥ ६६ ॥ बढ़ियाउ माणुसुत्तर, चंदा सूरा वट्टोया ॥ चंदा जीयजुत्ता, सूरा पुए हुंति पुस्तेहिं ॥ ६७ ॥ उद्धार सागरडुगे, सट्टे समएहिं तुल दो बुदही ॥ डुगुणा डुगुण पविवर, वलया गारा पढमत्रं ॥ ६८ ॥ पढमो जोयण लकं, वट्टो तं बेढि ठिया सेसा ॥ पढमो जंबुद्दीवो, सयंजुरमोदही चरमो ॥ ६५ ॥ जंबु धाय पुक्खर, वारुणिवर खोरघय खोय नंदिसरा | अरुण रुवाय कुंमल, संख रुयग जु यग कुसकुंचा ॥ ७० ॥ पढमे लवणोजल हि, बीए कालो य पुरकराई ॥ दोत्रेसु हुंति जलही, दी - वस माहिं नामेहिं ॥ ७१ ॥ नर वह गंधे, उप्पल तिलएय पउम निहि रयणे ॥ वासहर दह Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नई, विजया वक्खार कप्पिदा ॥२॥ कुरु मंदर श्रावासा, कूमा नक्खत्त चंद सूरा य ॥ अन्ने वि एवमाश्, पसल वरूण जे नामा ॥७३॥ तं नामा दीवु दही, तिपमोयायार हुँति थरुणाई॥जंबू लवाईया, पत्तेयं ते असंखिजा ॥ ४ ॥ ताणं तिम सूरवरा, वजास जलहो परं तु इकिका ॥ देवे नागे जक्खे, चूए य सयंजुरमणे य ॥ ५॥ वारुणिवर खीरवरो, घयवर लवणो य हुँति निनरसा ॥ कालो य पुरकरोदहि, सयंजुरमणो य उदगरसा ॥ ७६ ॥ इक्कुरस सेसजलहो, लवणे कालो य चरिम बहुमबा॥पण सग दस जोयण सय, तणु कमा थोवसेसेसु ॥ ७॥ दो ससि दो रवि पढमे, जुगुणा लवणम्मि घायसंमे॥ बारससि बारस रवि, तप्पनिय निदिट्ठ ससिरविणो ॥ ७ ॥ तिगुणा पु विल्व जुया, अणंतराणंतरंमि खितंम्मि ॥ कालोए बायाला, बिसत्तरी पु. क्खरकंमि ॥ ए ॥ दो ससि दो रवि पंती, ए गंतरिया बसट्टि संखाया ॥ मेरु पयाहिणंता, मा Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णुसखिते परियमंति ॥ ७० ॥ बप्पएणं पंती, नक्खत्ताणं तु मणुयलोगंमि ॥ बावट्ठी बावठीए, होई इकिकिया पंती ॥१॥ एवं गहाणो विहु, नवरं धुव पासवत्तिणो तारा ॥ तंचिय पयाहिणं. ता, तमेव सया परिजमंति॥८॥ चयाल सयं पढमि, वयाए पंतीए चंदसुराणं ॥ तेणपरं पतीज, चनरुत्तरिया वुड्डाणं ॥ ७३ ॥ बावत्तरि चंदाणं, बावत्तरि सूरियाण पंतीए॥पढमाए अंतरं पुण, चंदचंदस्स लक्ख पुगं ॥४॥ जो जावर लक्खाई, विबर सागरो य दीवो वा ॥ तावश्आय तहिं, चंदासूराण पंती ॥५॥ पनरस चुलसी सयं,हससि रवि मंमलाई तक्खित्तं॥ जोयण पणसय दसहिय, नागा अमयाल इगसट्ठा ॥६॥तिसिगसट्ठा चउरो, गगसट्ठस्स सत्तनश्यस्स ॥ पणतीसं च छ जोयण, ससिरविणो मंगलं तरयं ॥७॥ पणसट्ठी निसलंमिय, तत्तिय बाहा छ जोयणं तरिया ॥ एगुणवोसं च सयं, सूरस्स य मंमला लवणे ॥ ७ ॥ मंगलद Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सगं लवणे, पणगं निसढम्मि होश चंदस्स ॥मंमल अंतरमाणं, जाण पमाणं पुरा कहियं ॥८॥ ससिरविणोलवणं मि य, जोयण सय तिएिणतोस यहियाई॥ असिई तु जोयणसयं, जंबुद्दीवम्मिप. विसंति ॥ए ॥ गह रिक्ख तार संखं, जबसि नाउ मुदहिदीवे वा ॥ तस्ससिहि एग ससिणो, गुणसंखं होश् सव्वग्गं ॥१॥ बत्तीसट्ठावीसा, बारस अम चल विमाण लक्खाई॥पन्नास चत्त ब सहस, कमेण सोहम्म माईसु ॥ए॥ सु सयचउ सु सयतिग, मिगारसहियं सयं तिगेहिट्ठा ॥ मज्जे सत्तुत्तरसय, मुवरि तिगे सयमुवरि पंच ॥ ए३॥ चुलसी लक्ख सत्ता, एव सहस्सा विमाण तेवीसं ॥ सबग्ग मुखलोग, मिरंदया बिसट्टि पयरेसु ॥ए४ ॥ चनदिसि चउपंतीउ, बासविविमाणिया पढमपयरे ॥ उवरि इकिकहीणा, अणुत्तरे जाव इक्विकं ॥ ५५॥ इंदयवहा पंतिसु, तोकमसो तंस चउरंसा वट्टा ॥ विविहा पुप्फवकिला, तयंतरे मुत्तुं पुत्वदिसि ॥ ए६ ॥ वर्ल्ड वढेसुवरिं, Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५० तसं तंसेसु उवरिमं हो ॥ चतरंसे चरंस, उडूंतु विमाण सेढोए ॥ ए ॥ सवे वट्टविमाणा, एगवारा हवंति नायवा ॥ तिमिय तंस विमाणे, चत्तारि य हुँति चउरंसे ॥ एG ॥ श्रावलिय विमाणाणं, अंतरं नियमसो असंखिऊ ॥ संखि. जमसंखिहां, नणियं पुप्फावकिल्लाणं ॥ एए ॥ एगं देवे दीवे, वे य नागोदहीसु बोधव ॥ चत्तारि जरकदीवे, नूय समुद्देसु अहेव ॥१०॥ सोलस सयंजुरमणे, दीवेसु पहिया य सुरन. वणा ॥ इगतीसं च विमाणा, सयंजुरमणे समुद्दे य ॥ ११ ॥ अञ्चंत सुरहिगंधा, फासे नवणीय मजय सुह फासा ॥ निचुङोया रम्मा, सयंपहा ते विरायंति ॥१२॥ जे दरिकणेण इंदा, दाहिण श्रावली मुणेयवा ॥ जे पुण उत्तर इंदा, उत्तर थावली मुणे तेसिं ॥ १०३ ॥ पुत्रेण पछिमेण य, जे वट्टा तेवि दाहिणिबस्स ॥ तंस चउरंसगा पुण, सामला हुंति पुण्हंपि ॥ १०४ ॥ पुवेण पत्रिमेण य, सामला बावली मुणेयवा ॥ Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जेपुण वट्ट विमाणा, मजिल्ला दाहिणवाणं ॥१०॥ पागारपरिस्कित्ता, वट्टविमाणा हवंति सवेवि ॥ चजरंस विमाणाणं, चउदिसिं वेश्या हो ॥१६॥ जत्तो वट्टविमाणा, तत्तो तंसस्स वेझ्या हो ॥ पागारो बोधवो, अवसेसेमुत्तु पासेसु ॥ १० ॥ पढमं तिम पयरा वलि, विमाण मुहनूमि तस्स मासहं॥पयरगुण मिहकप्पे, सव्वग्गं पुप्फकिमयरे ॥ १७ ॥ गदिसि पंति विमाणा, तिविनत्ता तंस चउरसा वट्टा ॥ तंसेसु सेसमेगं, खिव सेस उगस्स शकिकं ॥१०॥ तंसेसु चनरंसेसु य, तो रासितिगंपि चउगुणं काळं ॥ वट्टेसु इंदयं खिक, पयरधणं मोलियं कप्पे ॥ ११० ॥ कप्पेसुय मिय महिसो, वराह सीहाय बगल साबूरा ॥ हय गय नयंग खग्गी, वसहा विमिमा चिंधाई ॥१११॥ चुलसी असिश् बावत्तरि, सत्तरि सहो य पन्न चत्ताला ॥ तुलसुर तीस कोसा दस संहा आध रक चउगुणिया ॥११५॥छुसु तिसुतिसुकप्पेसु घणुदहि घणवाय तनयं च कमा ॥ सुरजवण Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२ पठाण, आगास पइंडिया उवरिं ॥ ११३ ॥ सतावीस सयाई, पुढवी पिंको विमाण उच्चसं ॥ पंचसया कप्पडुगे, पढमे तत्तोय इक्विकं ॥ ११४ ॥ हायइ पुढवीस सयं, व जवणेसु 5 5 5 कप्पेसु ॥ चगे नवगे पणगे, तदेव जाणुत्तरसु नवे ॥ ११५ ॥ इगवीस सया पुढवी, विमाण मिक्कारसेवय सयाइ ॥ बत्तीस जोयणसया, मिलिया सबब नायवा ॥ ११६ ॥ पण च ति पु वस विमा, ण सधय सु सुय जा सहस्सारो ॥ उवारि सिय जवण वंतर, जोइ सियाणं विविदवसा ॥ ११७ ॥ रविणो उदयचंतर, चढणवइसहस पणसय बवीसा ॥ बायाल सहिजागा, कक्कम संकंति दियहं मि ॥११८॥ एयंमि पुणो गुणिए, तिपंच सग नवहि होइ कममाणं ॥ तिगुणंमि य दोलरका तेसीइ सहस्स पंचसा ॥ ११ ॥ असिई बस विनागा, जोयण लरक बिसतरि सहस्सा ॥ बच्चया तेत्तीसा, ती सकला पंचगुणियम्मि ॥ १२० ॥ सत्तगुणे बलका, इस हिसदस्स बसय बासीया ॥ चउपन्न Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कला तह नव, गुणंमि अमलरक सट्टा ॥११॥ सत्तसया चत्ताला, अहारसकला य श्यकम्मा चउरो ॥ चंमा चवला जयणा, वेगाय तहा गश् चउरो ॥१२॥श्चयगउंचविं, जयणयरिं नाम केश मन्नंति॥ एहिं कमोहिं मिमाहिं, गईहिं चउरो सुरा कमसो ॥ १५३ ॥ विरकंजं आयामं, परिहिं अप्रिंतरिं च बाहिरयं ॥ जुगवं मिणंति उम्मा, साजाव न तदावि ते पारं ॥ १४ ॥ पावंति विमाणाणं, केसिपिहु अहव तिगुणियाईए ॥ कमचनगे पत्तेयं, चमाईगई जोश्जा ॥ १२५ ॥ जोयण लरक पमाणं, निमिस मित्तेण जाश् जो देवा ॥ बम्मासे णय गमणं, एग र जिणा बिति ॥ १२६ ॥ तिगुणेण कप्पचगे, पंचगुणेणं तु अहसु मुणिका ॥ गेविङो सत्तगुणेणं, नवगुणे णुत्तरचनके ॥ १७ ॥ पढमपयरम्मि पढमे, कप्पे जमुनामदयविमाणं ॥ पणयाल लस्कजोयण, लकं सब्रुवरि सबकं ॥ २२७ ॥ उम् चंद रयणवग्गु, वारिय वरुणे तहेव आणंदे ॥ बंजे कंचण Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रुश्ने, चंद अरुणे य वरुणे य ॥ १२ए ॥ वेरुलिय रुयग सरे, अंके फलिहे तहेव तवणिडो॥ मेहे अग्ध हलिद्दे, नलिणे तहलोहियकेय ॥ १३० ॥ व अंजण वरमा, ल रिह देवेय सोम मंगलए॥ बल नद्दे चक्क गया, सोवछिय एंदियावत्ते ॥१३१॥ आनंकरेय गिझी, केन गरुले य होइ बोधवे ॥ बंने बंन्नहिए पुण, वंनुत्तर संतए चेव ॥१३५ ॥ महसुक्क सहस्सारे, आणय तह पाणएय बोधवे॥ पुप्फे लंकार धारण, तहा बिय अञ्चुए चेव॥१३३॥ सदसण सुपमिबके ॥मणोरमे चेव होइ पढमतिगे ॥ तत्तोय सवनद्दे, विसालए सुमणे चेव ॥ १३५ ॥ सोमणसे पीश्करे, आश्च्चे चेव होश तश्य तिगे ॥ सकळ सिछि नामे, इंदया एए बासही ॥ १३५ ॥ पणयालीसं लका, सीमंतय माणुसं उस सिर्वच ॥ अपयहाणो सब, 5 जंबुहीवो मं लकं ॥ १३६ ॥ अह नागा सग पुढवी, सु रज्जु शकिक तह य सोहम्मे ॥ माहिद लंत सहसा, र अञ्चुय गेविज लोगते ॥ १३७ ॥ सुरेसु Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जवण दारं सम्मत्तं ॥ इण्हि उगाहणा दारं नम ॥ जवण वण जोइ सोह, म्मीसाणे सत्तहब तणुमाणं ॥ चउक्केगे वि, जाणुत्तरे हाणि इक्विकं ॥ १३० ॥ कप्पडुग चउगे, नवगे पणगे य जिहग्इि अयरा॥दो सत्त चन्दछारस, बावीसिगतीस तित्तीसा ॥ १३ए ॥ विवरे ताणि कूणे, कारसगाउ पामिए सेसा ॥ हबिकारसनागा, अयरे अयरे समहियम्मि ॥ १४० ॥ चयपुवसरीराई, कमेणएगुत्तराश्वुडीए॥एवंहिएविसेसा, सणंकुमारा तणुमाणं ॥ १४१ ॥ नवधारणिज एसा, उत्तरविजवि जोयणालकं ॥ गेविज णुत्तरेसु, उत्तरवेउविधा नहि ॥ १४ ॥ साहाविय वेविय, तणू जहला कमेण पारने ॥ अंगुल असंख जागो, अंगुल संखिऊ लागो य ॥ १४३ ॥ सुरेसु उगाहणा दारं सम्मत्तं, इण्विं विरहकालोववाय उवट्टणाणं दारं जम॥ सामनेणं चनविह, सुरेसु बारस मुहुत्त उकोसा। उववायविरहकालो, अहलवणाईसुपत्तेयं ॥१४॥ Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६ भवण वण जोइ सोह, म्मी सासू मुहुत्त चडवीसं ॥ तो नवदि वीसमुहू, बारसदिए दस मुहुसा य ॥ १४५ ॥ बावीस सड़दीहा, पणयाल सीइ दिसयंतत्तो ॥ संखिता दुस मासा, डुसु वासा तिसु तिगेसु कमा ॥ १४६ ॥ वासाणसया सहसा, लरका तह चसु विजयमाईसु || पलिया संखजागो, सब संखनागो य ॥ १४७ ॥ सवेसिं पि जहन्नो, समर्ज एमेव चत्रण विरहोवि । इग पुति संख मसंखा, इग समए हुंति ा चवंति ॥ १४८ ॥ नरपंचिंदिय तिरिया, गुप्पत्ती सुरजवे पजुत्ताणं ॥ जवसाय विसेसा, तेसिंगइ तारतम्मंतु ॥१४८॥ नर तिरिसंखजीवी, सवे नियमेण जंति देवेसु ॥ नियम हीला, उपसु ईसाप अंतेसु ॥ १५० ॥ जंति समुच्छिम तिरिया, जवण वर्णसु नजोइमाईसु ॥ जं तेसिं नववार्ड, पलिया संखंस आऊसु ॥ १५१ ॥ बालतवे परिबद्धा, उक्कम रोसा तवेण गारविया ॥ वेरेणय पम्बिका, मरिजं असुरेस जयंति ॥ १५२ ॥ रजुगाड़ विस जरकण, Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जल जमण पवेस तमह बुह पुहर्ड ॥ गिरिसिर परुणाउ मुया, सुहनावा, हुंति वंतरिया ॥१५३॥ तावस जा जोइसिया, चरग परिवाय बंजलोगो जा ॥ जासहस्सारो पंचिं, दितिरिख जा अच्चुठे सदा ॥ १५४ ॥ जइ लिंगमिछदिहि, गेविजा जाव जंति नकोसं ॥ पयमवि असदहंतो, सुत्त मिलदिनी ॥ १५५ ॥ सुत्तं गणहररइयं, तहेव पत्तेयबुद्ध रश्वं च ॥सुयकेवलिणा रइयं, अनिल दस पुविणा रश्शं ॥ १५६ ॥ बनम संजयाणं, उचवा उक्कोस अ सबछे ॥ तेसिं सट्ठाणंपिथ, जहण हो सोहम्मे ॥१५७ ॥ दंतंमि चउद. पुविस्स, तावसाईण वंतरेसु तहा॥ एसिं उववाय विहि, नियकिरियठियाण सबोवि ॥ १५७ ॥ वारिसहनारायं, पढमं बीअं च रिसहनाराय ॥नारायमझनाराय, कीलिया तह य वठं॥१५॥ एए स्संघयणा, रिसहोपट्टोय कीलिया वजां। उनमक्कमबंधो, नारा हो विन्ने ॥ १६० ॥ ब गप्ततिरीनराणं, संमुखिम पणिदि विगतदेवळं Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ सुरनेरश्या एगि, दियाय सवे असंघयणा ॥ ॥ १६१॥ अवहेणोगम्मर, चउरो जा कप्प कोलियाईसु ॥ चउसु 5 कप्पवुढी, पढमेणं जाव. सिद्धीवि ॥ १६ ॥ समचरंसे नग्गो, हसा वा. मणय खुऊ हुंमेय ॥ जीवाण उ संगणा, सवत्र सुलरकं पढमं ॥१६३॥ नाहीए उवरि बियं, तई अमहो पिहि उयर उरवङ ॥ सिर गाव पाणि पाए, सुलकणं तं चनबं तु ॥ १६४॥ विव. रीयं पंचमगं, सबब अलरकणं नवे ॥ गप्नय नर तिरिय बहा, सुरा समा हुंमया सेसा ॥१६५॥ इति देवानां गतिछारं, अधुना आगतिहार माह ॥ जति सुरा संखाउ य, गप्पय पजात मणुयतिरिएसु ॥ पजात्ते सुय बायर नूदग पत्तेयग वणेसु ॥ १६६ ॥ तबवि सणं कुमारं, प्पनिई एगिदि. एसु नो जंति ॥ आणय पमुहा चविलं, मणुए. सु चेव गळंति ॥ १६७ ॥ दोकप्प कायसेवी, दो दो दो फरिस रूव सद्देहिं ।चउरो मणेणु वरिमा अप्पवियारा अणंतसुहा ॥ १६० ॥ जं च काम Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुहं लोए, जं च दिवं महासुहं ॥ वीयराय सुहस्सेय, शंतनागंपिनग्घई ॥१६॥ उववाउँ देवीणं, कप्पगंजा परो सहस्सारो ॥ गमणा गमणं नही, अच्चुय पर सुराणंपि ॥ १७० ॥ तिपलिय तिसार तेरस, साराकप्प उग त्तश्य लंत अहो । किब्बिसिय नहुँति उवरिं, अच्चुय पर निर्जगाई ॥ १७१॥ अपरिग्गह देवीणं, विमाण लका ब हुँति सोहम्मे ॥ पलियाई समया ठिय, ति:जासिं जाव दसपलिया ॥ १७२ ॥ ताठ सणं कुमारा, ऐवं वळति पलिय दसगेहिं ॥ जा वन सुक्क आणय, आरण देवाण पन्नासा ॥ १७३ ॥ ईसाणे चउलरका, साहिथ पलिया समय अहि यदिई ॥ जा पनर पलिय जासिं, ताऊँ माहिंददेवाणं ॥ १४ ॥ एएण कमेण नवे, समयाहिय पलिय दसग वुढ्ढीए ॥ लंत सहसार पाणय, अ चुय देवाण पणपन्ना ॥ १७५ ॥ किण्हा नीला काऊ, तेऊ पम्हाय सुक्कलेसा ॥ लवण वण पढम चउले, सजोइस कप्पगे तेक ॥ १७६ ॥ Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६० कप्पतिय पम्हलेसा, संतासु सुक्कलेस हुंति सुरा ॥ कणगान पचमकेसर, वसाडुसु तिसु उवरि धवला ॥ ११७ ॥ दसवास सहस्साईं, जहन्नमा धरंति जे देवा ॥ तेसिं चढ़था हारो, सत्तहि थोवेदि ऊसासो ॥ १७८ ॥ हि वाहि विमुक्कस्स, नीसासूसास एगगो ॥ पाणू सत्तइमो थोवो, सोवि सत्तगुणो लवो ॥ १७९ ॥ लवसन्तहत्तरीए, होइ मुहुत्तो इमम्मि ऊसाला ॥ सगतीस सय तिहुत्तर, ती सगुणाते होते ॥ १०० ॥ लरकं तेरस सहसा, नजयसयं कायरसंखयादेवे ॥ परकेडिं ऊसासो, वास सदस्सेहिं श्राहारो ॥ १०१ ॥ दसवास सदस्सुवरिं, समयाई जाव सागरं कणं ॥ दिवसमुहुत्त पहूत्ता, श्राहारूसास सेसाणं ॥ १८२ ॥ सरिरेणो उयाहारो, तयाइफ़ासेण लोमयाहारो ॥ परकेवादारोपुण, कावलि होई नायो ॥ १०३ ॥ या हारासंबे, अपजन्त पजत लोमश्राहारो ॥ सुरनिरय एगिंदविणा, सेस जवडा सपरके वा ॥ १८४ ॥ सबित्ता चित्तोजय, रूवो Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आहार सबतिरियाणं । सवनराणं च तहा. सुरनेरझ्याण अञ्चितो ॥ १५ ॥ श्रानो गाणा जोगा, सव्वेसिं होई लोम आहारो ॥ निरयाणं श्रमणुन्नो, परिणम सुराण समणुलो ॥ १६ ॥ तह विगल नारयाणं, अंतमुहुत्ता सहोश उक्कोसो पंचिंदि तिरि नराणं, साहाविय 6 अहम ॥ १७ ॥ विग्गहगमावन्ना, केवलिणो समुहया अजोगी य ॥ सिझा य श्रणाहारा, सेसा आहारगा जीवा ॥ १७ ॥ केस6ि मंस नह रो, म रुहिर वसचम्म मुत्त पुरिसेहिं ॥ रहिया निम्मल देहा, सुगंध निस्सास गय सेवा ॥ १७॥ ॥ अंतमुहुत्तेणं चिय, पात्ता तरुण पुरिस संकासा ॥ सवंगजूषणधरा, अजरानिरुया समा देवा ॥१०॥ अणि मिस नयणामणक, ऊ साहण पुप्फदाम अमिलाणा ॥ चनरंगुलेण नमि, न लिबिंति सुरा जिणा विति ॥ ११ ॥ पंचसुजिणकल्हाणे, सु चेव महरिसि तवाणुलावा ॥ जम्मं तरनेहेण य, आगछति सुरा श्हयं ॥ १५ ॥ संकंति दिवपे Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मा, विसय पसत्ता समत्त कत्तवा ॥ अणहीण मणुय कडा, नरजव मसुहं न ति सुरा ॥१॥३॥ चत्तारि पंचजोयण, सया गंधोय मणुय लोगस्त ॥ उ8 वच्चश् जेणं, नहु देवा तेण आवंति ॥ ॥१४॥ दो कप्प पढम पुढवी, दो दो दो बीय तश्यगं चनथिं ॥ चन उवरिम उहीए, पासंती पंचमं पुढविं ॥१५॥ही डग्गे विजा, सत्तमीयरे अणुत्तर सुरा ॥ किंचूण लोगनालिं, असंखदीवुदहि तिरियं तु ॥ १६ ॥ बहुअरगं उवरिमगा, नद सविमाण चूलिय धया॥ कणक सागरे सं, ख जोयणा तप्पर मसंखा ॥ १ ॥ पण वीस जोयण लहु नारय नवणवण जोश कप्पाणं ॥गेविज्र णुत्तराणय, जहसंखं उहियागारा ॥ १७ ॥ तप्पागारे परग, पमहग जसरि मु. हंग पुप्फजवे ॥ तिरिय मणुएसु उहि, नाणाविह सग्निणियो॥१एए। उढुं लवण वणाणं,बहुगो. वेमाणियाण होउँही ॥ नारय जोइस तिरियं, नर तिरिगाणं अणेगविहो ॥ २० ॥ श्यदेवाणं ज Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णियं, विश् पमुहं नारयाण वुहामि ॥ गतिन्नि सतदससतर, अयर बावीस तित्तीसा ॥ २०१ ॥ सत्तसु पुढवीसुविई, जिहोवरिमा हिउ पुहवीए ॥ हो कमेण कषिघा, दसवास सहस्स पढमाए ॥ २० ॥ नव सम सहस लरका, पुवाणं कोकि अयरदस नागा ॥ इकिक नाग बुढी, जा अयरं तेरसे पयरे॥२३॥श्य जिह जहला पुण, दसवास सहस्स लरक पयर उगे ॥ सेसेसु उवरि जिहा, अहो कणिघाउ परं पुढवी ॥१०४ ॥ नवरि खिइ विश विसेसो, सगपयर विहत्तु श्वसं. गुणि॥ उवरिम खिश विश सहिर्ज, इलिय पयरम्मि उक्कोसा ॥ २०५ ॥ सत्तसु खित्तज वेयण, अन्नन्न कयावि पहरणेहिं विणा ॥ पहरण कया वि पंचसु, तिसु परमाहम्मिय कयाविं ॥२०६ ॥ बंघण गश् संबाणा, नेया वमा य गंध रस फासा ॥ अगुरु लहु सद्द दसहा असुहाविय पुग्गला निरिए ॥ २०७॥ नरया दस विह वेयण सीसिण खुद्द पिवास कहिं ॥ परवस्सं जरदाई, जय Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोगं चेव वेयंति ॥२०॥ पण कोमि अह सही, बरका नब नव सहस. पंचसया ॥ चुलसी अहीयरोगा, बही तह सत्तमी नरए । २०९ ॥ रयण प्पह सक्कर पह, वालय पह पंक पहय धूमपहा ॥ तमपहा तम तमपहा, कमेण पुढबोण गोत्ताइ ॥१० ॥ घम्मा वंसा सेला, अंजण रिहा मघा य माधवई ॥ नामेहिं पुढवी, बत्ताश् उत्त संगणा ॥ २११ ॥ असीय बत्तिस अमविस, वीसा अहार सोल श्रम सहसा॥ लरकुवरि पुढवि पिंको, घणुदहि घण वाय तणुवाया ॥२१२॥ गयणं च पहाणं, वीस सहस्साई घणुदही पिंमो ॥ घणतणुवाया गासा, असंख जोयण जुया पिंमो॥ ॥ २१३ ॥ न फुसंतिथलोगं चड, दिसंपि पुढवीय बलयसंगहिया ॥ रयणाए वलयाणं,बध पंचम जोयणं सहूं ॥२१४ ॥ विस्कंनो घणउदही, घणतणु वायाण हो जहसंखं ॥ सत्तिनाग गाऊयं, गाऊयं तह गाउय तिनागो ॥ २१५ ॥ पढम महीवलएसु, खिविङ एयं कमेण बीयाए ॥3 Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५ तिचज पंच , गुणं, तश्या इसु तंपि खिव कमसो ॥१६॥ मचिय पुढवि अहे, घणुदहि पमुहाण पिंम परिमाणं ॥ जणियं, तवो कमेणं, हाय जा वलय परिमाणं ॥ १७ ॥ तीस पणवीस पणरस, दसतिमि पणूण एगलरकाई॥ पंचय निरया कमसो, चुलसी लरकार सत्तसु वि ॥१७॥ तेरिकारस नव सग, पण तिन्निग प.. यर सवि गुणवन्ना ॥ सोमंताई अप्पड़, गणंता इंदया मशे ॥ २१ ॥ सोमंतनपढमो, बीड पुण रोस्य ति नामेण ॥ रंजो य त तर्ज, होश चउडो य उनंतो॥१२॥संनंतमसंनंतो बिनतो चेव सत्तमो निरठ॥ अहम तो पुण, नवमो, सोनत्ति णायवो ॥ २१ ॥ वकंतणु वुक्कतो, विकलो तह चेव रोरुङ निरर्ख ॥ पढमाए पुढवीए, इंदिया एएबोधवा ॥ २५ ॥ थणिए थणए य तहा, मणए मणए य होइ नायवे ॥ घट्टे तह संघट्टे, जिप्ने अव जिपए चेव ॥ २२३ ॥ लोले खोलावत्ते, तहेव घण लोबुए य बोधव्वे ॥बीयाए Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुढवीए, कारस इंदिया एए ॥ २४ ॥ तत्तो तविठ तवणो, तावप्लो पंचमो य निहो ॥ बहो पुण पजलि, उप्पऊलियसत्तमः ॥ २२५ ॥ संजलिअहम, संपऊलि य नवम नणि ॥ तश्याए पुढवीए, नवदिय नारया ए ए ॥२६॥ आरे तारे मारे, वच्चे तमए यहोश नायवे ॥खाम खमे खंमखमे, इंदय नरया य चमबीए ॥२२॥ खाए तमए य तहा, ऊसे ऊसंधए तहा तिमिसे ॥ श्ह पंचम पुढवीए, पंच निरइंदया हुँति ॥ ॥२७॥ हिमवद्दल लबके, तिणिउनिर इंदयाय हो ए ॥ एगो य सत्तमाए, अपश्हाणो उ ना. मेणं ॥ २२ए ॥ पुवेण होश्कालो, अवरेण पश्हि महाकालो ॥ रोरो दाहिणपासे, उत्तर पासे महारो रो ॥ ३० ॥ तेहिंतो दिसि विदिास, विणिग्गया अठ निरय श्रावलिया ॥ पढमे पयरे दिसि गुण, वन्ना विदिसासु अमयाला ॥२३१ ॥ बीयाश्सु पयरेसु, ग ग हीणाउ हुँति पंती ॥ जा सत्तमि महि पयरे, दिसि शकिको विदिति Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नति ॥ ३५ ॥ श्प्प यरेग दिसि, संखअमगुणा चन विण ग संखा । जह सीमंतय पयरे, एगुणनग्या सया तिन्नी ॥२३३॥ अपयहाणे पंचन, पढमो मुहमंतिमो हव भूमी ॥ मुह नूमि समासहं, पयरगुणं हो सबधणं ॥ २३४ ॥ बलव सय तिवमा, सत्तसु पुढवोसु ावली निरया ॥ सेस तियासो लरका, तिसय सियाला नवश् सहसा ॥२३५॥ तिसहस्सुच्चा सवे, संखमसंखिड़ विचमा यामा ॥ पणयाल लरक सीमं, तय लरकं अपश्वाणो ॥ २३६ ॥ हिहा घणो सहस्सा, उप्पिसे कुछमे सहस्सं तु॥ मझे सहस्स सुसिरा तिलि सहस्सुस्सिया निरया ॥२३७ ॥ उसु हि. होवरि जोयण, सहस्स बावन्न सढचरिमाए ॥ पुढवीए निरय रहिय, निरया सेसम्मि सवासु॥२३॥ बिसहस्सूणा पुढवी, तिसहस गुणिएहिं नियय पयरेहिं ॥ ऊणा रुवुण निय पयर, नाश्या पबमंतरयं ॥२३ए ॥ तेसीया पंचसया, श्कारस चेव जोयण सहस्सा ॥ रयणा य पलमंतर, मेगोचिय Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૬૮ जोयण तिजागो ॥ २४० ॥ सत्ताणवइ सयाई, बीयाए पञ्चमंतरं होई || पण हत्तरि तिन्निसया, बारसहस्सा य तझ्याए ॥ २४९ ॥ बावसयं सोलस, सहस्स पंका य दोति जागा य ॥ अढाइसयाई, पणवीस सहस्स धूमाए ॥ २४२ ॥ बावन्नसढ्ढ स इसा, तमप्पापचतरं होइ ॥ एगो चित्रप मर्ज, अंतररहिने तमतमाए ॥ २४३ ॥ पठणठ धणु व अंगुल, रयणाए देहमाणमुक्कोसं ॥ सेसासु डुगुणं, डुगुणं पणधणुसय जावचरिमाए ॥ २४४ ॥ रयणाय पढमपयरे, हबतियं देहमाणमणुपयरं ॥ बप्पणंगुलसढा बुढीजातेरसे पुषं ॥ २४५ ॥ जं देहपमाण उवरि, माए पुढवोइ तिमे पयरे ॥ तं चिय हिहि म पुढवी, पढमं पयरम्मि बोधवं ॥ २४६॥ तं चेगूणग सगपयर, जश्यं बीयाइ पयर बुद्विनवे ॥ तिकरत्ति अंगुल करसत, अंगुला सढि गुण वीसं ॥ २४७ ॥ पण अंगुलवीसं, पणरसधणुडूरिहर सढाय ॥ बासहिघणुसढा, पण पुढवी पयर वुढिश्मा ॥ २४८ ॥ इय साहा Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९ वि देहो, उत्तर वे िय तद्दुगुणो ॥ डुविदो वि जहए कमा, अंगुल असंख संखंसो ॥२४॥ सत्तसु चजवीस मुहू, सग, पनरदिखेग 5 च उम्मासा ॥ उववाय चत्रणविरहो, उद्देवारस मुहुत्त गुरू ॥ २५० ॥ लहु हावि सम, संखा पुण सुरसमा मुणेया ॥ संखान पजत्त पणि, दितिरि नरा जंति निरएसु ॥ २५१ || मिठादिठि महारं, न परिगो तिवको निस्सोलो | नरयाजयं निबंघई, पावमई, रुद्द परिणामो ॥ २५२ ॥ सन्निरिसिव परको, ससीह रगिं बि जंति जा बहिं ॥ कमसोउक्कोसेणं, सत्तम पुढवी मय मा ॥ २५३॥ वाला दाढी परकी, जलयर नरया गया उ श्कूरा ॥ जंतिपुणो नरएसु, बाहुले न उण नियमो || ||२४|| दो पढम पुढवि गमणं, बेवठे की लियाइ संघयणे ॥ इक्विक पुढविवुट्टो, या तिलेसाठ नरसु ॥ २५५ ॥ सु काऊ तइया, काउ नोला य नील पंकाए ॥ धुमा य नील किएहा, डुसु किएह हुति लेस्सा ॥ २५६॥ सुर नारयाण तार्ज, दवल्लेस्सा Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवहिया जणिया ॥ नाव परावत्तीए, पुणएसि हुंति बबेस्सा ॥ २५७ ॥ निर उबट्टा गप्नय, पजत्तसंखाउ लकिए एसि ॥ चकि हरिजुअल अरिहा, जिण जइ दिसि सम्मपुह विकमा ॥ २५७ ॥ रयणाएहि गाउय, चत्तारि कुछ गुरु लहु कमेण ॥ पश्पुढविगायचं हायश्जासत्तमि गछ।२५॥ ( नरय दारं सम्मत्तं, मणुयदारं जम)॥ गप्ननर ति पलियाऊ, ति गाऊ नकोस ते जहलेणं ॥ मुबिम हावि अंत मु, हु अंगुल असंख ना. गतणू ॥ २६० ॥ बारस मुहुत्त गप्ने, श्यरे चनवीस विरह उक्कोसो ॥ जम्म मरणे सुसमर्ड, ज. हमसंखा सुरसमाणा ॥ ३६१ ॥ सत्तमि महि नेरइए, तेऊ वाऊ असंख नर तिरिए । मुत्तूण से. सजीवा उप्पऊति नरनवम्मि ॥२६२ ॥ सुर नेरश्एहिंचिय, हवंति हरि अरिह चकिबलदेवा ॥ चविह सुर चकिबला, वेमाणिय हुँति हरि अरिहा ॥२६३॥ हरिणो मणुस्स रयणा, ६ हुंति नाणुत्तरेहिं देवेहिं । जह संनव मुववा, हयगय Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगिदि रयमाणं ॥२६४ ॥ वामपमाणं चक्र, उत्तं दं मुहबयं चम्मं । बत्तीसंगुल खग्गो, सुवम कागिणि चउरंगुलिया ॥ २६५ ॥ चउरंगुलो मुआंगुल, पिहुलोय मणी पुरोहि गय तुरया ॥ सेणावगाहाव, वद थी चकि रयणाई॥२६६॥ चनरो आयुज गेहे नंमारे तिन्नि पुन्नि वेयढे ॥ एगरायगिह म्मिय, नियनयरे चेव चत्तारि॥१६॥ नो सप्पे पंडूए, पिंगलए सवरयण महपनमे ॥ कालेय महाकाले, माणव गया महासंखे ॥२६॥ जंबुद्दीवे चउरो, सया वीसुत्तरा उक्कोसं ॥ रय. णा जहां पुण, हुंति विदेहमि उप्पएणा॥६॥ चकं धणुहं खग्गो, मणगया तय हो वणमाला ॥ संखो सत्तश्माई, रयणा वासुदेवस्स ॥ ॥ ७० ॥ संखनरा चनसुगर, सु जति पंचसु वि पढम संघयणे ॥ ग उति जा अहसयं, गस. मए जंति ते सिधि ॥ २७१ ॥ वीसि वि दसनपुंसग, पुरिसहसयं तुएग समएणं ॥सिस गिहियन्न सलिं, ग चबदस अहाहिय सयं च ॥ Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥२७२ ॥ गुरु लहु मसिम दोचन, अहसयं उ हो तिरि य लोए चल बावीस सयं, पुसमुद्दे तिन्नि सेसजले ॥७३॥ नरय तिरिया गयादस, नरदेवगईल वीस अहसयं ॥ दसरयणा सक्कर वा, बुथाउ चज पंक नू दगउँ ॥२७३ ॥ बच्च वणस्स दस तिरि, तिरि कि दस मणुय वीस नारी ॥ असुरा वंतरा दस, पण तद्देवीउ पत्तेयं ॥ २७५ ॥ जो दस देविवीस, विमाणियहसय वोसदेवी ॥ तह पुवेएहिंतो, पुरिसोहोऊण अउसयं ॥ २७६ ॥ सेसनंगएसु, दसदस सिझंति एगसमएणं ॥ विरहो बमास गुरुङ, लहु समर्ड चवण मिह नबि ॥२७॥ अम सग ब पंच चल ति, नि सुन्नि कोय सिङमाणेसु ॥ बत्तीसारसुसमया, निरंतरं अंतरं उवरि ॥॥ बत्तीसा अमयाला, सही बावत्त य बोधवा ॥ चुलसीई बएणवई, पुरहियमछुत्तरसयं च ॥ श्ए ॥ पणयाल लकजोयण, विस्कंजा सिफिसिल फलिह विमला ॥ तवरि गजोयणंते, लोगंतो तब सि. Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३ विई ॥ २८० ॥ बहुमऊदेसनाए, ठेवय जोयाइ बाहिलं ॥ चरिमंते सुय तणुई, अंगुलर्सखिमई नागं ॥ २८९ ॥ तिन्निसया तित्तीसा, घएत्ति जागोय कोस नागो ॥ जं परमो गाहणाय तंते कोसस्स नागो ॥ २८२ ॥ एगा य होइ र यणी, वय अंगुलेहिं साहीया ॥ एसा खलु सिद्धाणं, जहणण जंगाणा जलिया || २०३ ॥ मथदारं समत्तं ॥ तिरियदारं नगरं ॥ बावीस सग ति दस वा स सहस गिपि तिदिए बेइंदियाई ॥ बारस वासु पण दिए, बम्मास तिपलिय विई जिहा ॥ २८४ ॥ सहाय सुद्ध वालुय, मणोसिला सक्कराय खर पुढवी ॥ इग बार चउदसोलस, द्वारस बावीस समसहसा ॥ २८५ ॥ गन जुय जलयरो जय, गनोरग पुव कोमि उक्कोसा ॥ गप्नचउप्पय परिकसु, तिपलिय पलियासंखंसो ॥ २८७ ॥ पुवस्स उपरिमाणं, सय्यरि खलु वास को मि लस्काय ॥ उप्परणं च सदस्सा, बोधवा वासकोकी ॥ २८७ ॥ संमुहिम Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४ पणिदि थलखयर, उरग नूयगा (जह विश कमसो ॥ वास सहस्सा चुलसी, बिसत्तरि तिपम बायाला ॥॥ एसा पुढवाईणं, नव 6िईसंपरंतु कायपि ॥ चन एगिदिसु णेया, उसप्पिणी असंखिजा ॥२॥ तान वणं मिश्रणंता, संखिजा वास सहस विगलेसु॥ पचिंदि तिरिनरेसु, सतह नवान उकोसा, ॥श्ए०॥ सवेसिपि जहमा, अंत. मुहुत्तं नवेय काए य॥जोयण सहस्त महियं, एगिदि य देह मुक्कोसं,॥२१॥ बिति चरिदिसरीरं, बारस जोयण तिकोस चउकोसं॥जोयण सहस्सपप्रिंदिय, उहे वुद्धं विसेसंतु ॥राए॥ अंगुल असंख नागो सहम निगो असंख गुणवाऊ ॥तो अगणित आऊ, तत्तो सुहमा नवेपुढवी ॥श्ए३॥ तो बायर वाऊ गणी, आऊ पुढवी निगोय अणुकमसो ॥ पत्तेयवणसरीरं, अहियं जोयणसहस्संतु ॥श्ए॥उस्सेहंगुलजोयण,सहस्समाणे जलासए ने. यातं वल्लि पम पमुहं,अर्ड परंपुढविरूवंतु॥ए॥ बारस जोयण संखो, तिकोस गुम्मोय जोयणं Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५ जमरो ॥ मुबिम चउपयजयगुरग, गाऊधणु जोयण पहुत्तं ॥ २९६ ॥ गप्न चनप्पय बग्गा, उयाई नुयगान गाउय पुहत्तं ॥ जोयण सहस्स मुरगा, मला उनए विय सहस्सं ॥ २ए ॥ परिक जुग धणुपुहुत्तं, सवाणंगुलअसंखन्नागलहू॥विरहो विगला सन्नी, ण जम्म मरणेसुअंतमुह ॥ २ ॥ गप्ने मुहुत्त बारस, गुरु लहु समय संखसुर तुला ॥ अणुसमय मसंखिजा, एगिदिय हुँतिय चति ॥ श्एए ॥ वणका अणंता, इविका विजं निगोया ॥ निच्चमसंखो नागो, अणंतजीवो चय३ ए३ ॥ ३०० ॥ गोलाय असंखिजा, असंख निग्गोय हवश्गोलो॥किकमि निगोए, अणंत जीवा मुणेयवा ॥ ३०१ ॥ अलि अणंता जीवा, जेहिं न पत्तो तसा परिणामो ॥ उप्पजांति चयंति य, पुणोवि तमेव तनेवा ॥ ३० ॥ सबोवि किसलः खलु, उगाममाणो अणंत नणि ॥ सोचेव विवढतो, होश परित्तो अणंतो वा ॥ ३०३ ॥ जया मोहोद तिवो, अन्नाणं खु. Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६ महप्जयं ॥ पेलवं वेयणीयं तु, तया एगिदियत्तणं ॥ ३० ॥ तिरिएसुति संखा, अतिरिनराजापु कप्पदेवा ॥ पजात्तसंख गप्नय, बायर जूदगपरित्तेसु ॥३०५॥ तो सहसारंतसुरा, निरया पऊत्तसंख गप्नेसु ॥ संखपणि दिय तिरिया मरिखं चसु वि गश्सु जंति ॥ ३०६ ॥ थावर विगला नियमा, संखाउ य तिरि नरेसु गति ॥ विगलालनिहाविर, सम्मपि न तेन वान चुया ॥३०॥ पुढवी दग परितवणा, बायर पछत्त हुँति चउलेसा ॥ गप्नय तिरिय नराणं, बलेसा तिमिसेसाणं ॥ ३०७ ॥ अंतमुहुत्तंमिगए, अंतमुहत्तं मिसेसए चेव ॥ लेसाहिपरिणयाहिं, जीवावच्चंति परलोयं ॥३०॥ तिरिनरयागामि नवे, लेस्साए अइ गए सुरा निरया ॥ पुधनव ले. स्ससेसे, अंतमुहुत्ते मरणमिति ॥ ३१० ॥ अंतमुहुत्तहिश्न, तिरिय नराणं हवंति लेस्सा ॥ चरिमा नराण पुण नव, वासूणा पुवकोमोवि ॥२११॥ तिरियाण वि विश्पमुहं, जणिय मसेसंपि संपर्क Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वुद्धं ॥ अनिहिय दारपहियं, चगइ जीवाण सामएणं ॥ ३१ ॥ देवा असंख नर तिरि, स्लीपुं वेय गप्न नर तिरिया॥ संखाउया तिवेया, नपुंसगा नारयाया ॥३१३ ॥ श्रायंगुलेण वg, सरीरमुस्सेह अंगुलेण तहा ॥ नग पुढवि विमाणाई, मिणसु पमाणंगुलेणं तु ॥३१४॥ सबेण सुतिकेण वि, बिनुं नित्तु च किर न सका ॥ तं परमाणु सिद्धा, वयंतियाई पमाणाणं ॥३१५ ॥ परमाणू तसरेणू , रहरेणू वालअग्गलिरका य ॥जूय जवा अहगुणो, कमेण उस्सेह अंगुलयं ॥ ६१६ ॥ अंगुलबकं पार्ड, सो गुण विहडि सा गुण हबो ॥ चउहवं धणु 5 सहस, कोसो ते जोयणं चनरो ॥३१७ ॥ चउसयगुणं पमाणं, गुलमुस्सेहंगुलाउ बोधवं ॥ उस्सेहंगुलगुणं वीरस्सायंगुलं नणियं ॥३१॥ पुढवाश्सु पत्तेयं, सग वणपत्तेय एंतदस चउद ॥ विगले सुर नारय, तिरिचउ चल चउदस नरेसु ॥३१५ ॥ जोणीण हुंति लरका, सवे चुलसी श्हेव घिप्पंति ॥ समवन्नाईनेया, ए Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८ गत्तेणेव सामन्ना ॥ ३० ॥ एगिदिएसु पंचसु, बार सग तिसत्त अठवीसा य ॥ विगलेसु ‘सत्त अम नव, जल खह चम्पय उरग जुयगे ॥३२॥ अहत्तेरस बारस, दस दस नवगं नरामरे निरए ॥ बारस बवीत पण विस, हुंति कुले कोमि ल. का ॥३२२ ॥ ग कोमि सत्तणवई, लरका सड्ढा कुलाण कोमोणं ॥ संवुम जोणि सुरेगिं, दि नारया वियम विगल गप्नु नया ॥ ३५३॥ अचित्त जोणि सुरनिरय, मीसग्गप्ने तिनेय सेसाणं ॥ सी जसिण निरय सुर गन, मीसत्ते, उसिण सेस तिहा ॥३२॥ हय गप्न संखवत्ता, जोणी कुम्मुनयाई जायंति ॥ अरिह हरि चकिरामा, वंसी पत्ता सेसनरा ॥३२५ ॥ आउस्स बंधकालो, अ. बाह कालोय अंत समठ य॥अपवत्तण णपवत्तण, उवकम णुवकमा नणिया ॥३२६ ॥ बंधंति देव नारय, असंख नर तिरि उमाल सेसाऊ ॥ परजविया ऊसेसा, निरुवक्कमतिनागसेसाउ ॥३२॥ सोवकमा उया पुण, सेसतिजागे अहव नवम Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नागे ॥ सत्तावीस श्मे वा अंतमुहत्तं तिमे वा वि ॥३२॥ जश्मे जागे बंधो, बाउस्स नवे अबाकालो सो ॥ अंतेउजुग ग सम, य वक चउ पंच समयंता ॥ ३श्ए ॥ उखु गइ पढम समए, परजवियं बाउयं तहा हारो ॥ वका बीय समए, परनविया उदयमेई ॥३३०॥ ग उति चउ बकासु, उगाश् समएसु परजवाहारो ॥ उग का सु समया, ग दो तिन्नी अणाहारा ॥ ॥ ३३१ ॥ बहुकाल वेयणि, कम्मं अप्पेण जमिह कालेणं ॥ वेश्जार जुगवंचिय, उन्न सवप्पएसग्गं ॥ ३३ ॥ अपवत्तणिजमेयं, आलं अहवा असेसकम्मंपि॥ बंध समए विबळं, सिढिलं चिय तं जहाजोगं ॥३३३॥जं पुण गाढ निकायण, बंधेणं पुवमेव किस बधं ॥ तं होश् अण पवत्तण, जुगं कम वेयणिज फलं ॥ ३३४ ॥ उत्तम चरम सरीरा, सुर नेरश्या असंख नर तिरिया ॥ हृति निरुवकमार्ग, हावि सेसा मुणेयवा ॥ ३३५ ॥ केणाउ मुवकमि जर, अप्पसमडेण श्यर गेणावि Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ सो अङावसाणाई, उवक्कम णुवकमो श्यरो ॥ ॥ ३३६ ॥ अऊवसाण निमित्ते, आहारे वेयणा परागाए ॥ फासेबाणा पाणू, सत्तविहं फिजाए आलं ॥ ३३७ ॥ आहार सरीरिं दिय, पजत्ती आणपाण नासमणे ॥ चन पंच पंच बप्पिय, ग विगला सन्नि सन्नीणं ॥ ३३७ ॥ हारसरीरिदिय, ऊसास वऊ मणोनिनिवत्ती ॥ हो जउँ दलियाऊ, करणं पश्साउ पजात्तो ॥३३ए॥ पण इंदिय तिबलूसा, साऊ दस पाण चल ब सग अ॥ ग 5 ति चरिंदीणं, असन्नि सन्नीण नव दस य ॥ ३४० ॥ आहारे जय मेहुण, परिग्गहा कोह माण माया य ॥ लोने उहे लोगे, दस सप्ला हुंति सव्वेसिं ॥ ३४१॥ सुह उह मोहा सन्ना, वितिगिला चउदमा मुणेयवा ॥ सोए तह धम्म सणा, सोल समा हवक्ष मणुएसु ॥३४॥ संखित्तासंघयणी, गुरुतर संघयणि मजा एसा॥ सिरि सिरि चंद मुणिंदे, ण निम्मिया अप्प पढपहा ॥ ३४३ ॥ संखित्तयरीउ श्मा, सरीरमोगो Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हणा य संघयणा ॥ सन्ना संगम कसा, य लेसिंदिय 5 समुग्धाया ॥३४४ ॥ दिही सण नाणे, जोगुवगो ववाय चवण ठि॥ पङत्ति किमाहारे, सन्निगई आगई वेए ॥३४५॥ तिरिया मणुया काया, तह गाबीया चनक्कगा चउरो ॥ देवा नेरश्या वा, अहारस नावरासी ॥३४६॥ एगा कोमी सत सहि, लरका सतहत्तरी सहस्साय ॥ दोय सया सोलहिया, श्रावलियाणं मुहुत्तंमि ॥ ३४७ ॥ पणसहि सहस पणसय, बत्तीसा ग मुहुत्त खुमनवा ॥ दोय सया बप्पमा, आवलिया एग खुमनवे ॥ ३४ ॥ मलहारि हेमसूरि, ण सोसलेसेण विरश्यं सम्मं ॥ संघयणि रयण मेयं, नंदउ जा वीरजिण तिथं ॥३४॥ ॥ इति श्री त्रैलोक्यदीपिका नामसंग्रहणीसंपुर्णा ॥ ॥ अथ श्री अलव्य कुलकम् लिख्यते ॥ जह अनविय जीवेडिं, न फासिया एव माश्या नावा ॥ इंदत्तमनुत्तरसुर, सिलायनर Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नारयत्तं च ॥१॥ केवलिगणहरह, पवळा तिलवबरं दाणं ॥ पवयण सुरी सुरत्तं, लोगंतिय देवसा मित्तं ॥॥ तायत्तीससुरत्तं, परमाहम्मिय जुयलमणुयत्तं॥संनिन्नसोय तह, पुवकरा हारय पुलायत्तं ॥३॥ मश्नाणाश्सुलझी, सुपत्तदाणं समाहिमरणत्तं ॥ चारण फुग महुसिप्पय, खीरासव खीणगणतं॥४॥ तिबयर तिपमिमा, तणु परिजोगाइकारणेवि पुणो॥ पुढवाश्य जावंमि वि, अजवजीवेहिं नो पत्तं ॥५॥चनदस रयणतंपि, पत्तं न पुणो विमाणसामित्तं ॥ सम्मत्त नाण संयम, तवा नावा न नावगे ॥६॥ अणुनवजुत्ता जत्ती, जीणाण साहम्मियाण वबा ॥ नय साहेश अनबो, संविग्गत्तं न सुप्परकं ॥७॥ जिणजणय जणणि जाया, जिणजरका जरकणी जुगपहाणा ॥ आयरियपया दसगं, परमल गुणढ मप्पत्तं ॥७॥ अणुबंध हेड सरूवा, तब अहिंसा तिहा जिणुदिहा ॥ दव्वेणय जावेणय, उहावि तेसिं न संपत्ता ॥ ए॥ Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ अथ श्री पुण्यकुलकम् ५५ बोल ॥ संपुन्न इंदियत्तं, माणुसत्तं च आय रिय खित्तं ॥जाइ कुल जिणधम्मो, लब्नंति पय पुन्नेहिं॥१॥ जिण चलणकमल सेवा,सुगुरुपायपज्जुवासणं चेव॥ सज्जाय वाय वमत्तं, लग्नंति पभूयपुन्नेहिं ॥२॥ सुको बोहो सुगुरुहिं, संगमो उवसमं दयालुतं ॥ दाखिन्नं करणंज, लब्नंति पयपुन्नेहिं ॥३॥ समत्तं निच्चलत्तं, वयाण परिपालणं अमायत्तं ॥ पढणं गुणणं विण, लब्नंति पभूयपुन्नेहिं ॥४॥ उस्सग्गे अववाये, निछह विवहारंमि निजणत्तं ॥ मणवयणकायसुखी, लब्नंति पभूयपुन्नहिं ॥५॥ अवियारं तारुन्नं, जिणाणं रा परोवियारत्तं ॥ निकंपयाय काणे, खब्नंति पभूयपुन्नेहिं ॥ ६ ॥ परनिंदापरिहारो, अप्पसंसा अत्तणो गुणाणं च ॥ संवेगो निव्वेयो, लग्नंति पभूयपुन्नेहिं ॥ ७ ॥ निम्मलसीलान्जासो, दाणुल्हासो विवेगसंवासो॥ चजगई दुह संतासो, खन्नंति पभूयपुन्नेहिं ॥७॥ Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दुक्कम गरिहा सुक्कमा-णु मोयणं पायचित्त तव चरणं ॥सुह काण नमुक्कारो, लब्नंति पभूयपुन्नेहि ॥ ए॥श्य गुणमणिनंमारो, सामग्गी पाविजण जेणकर्ड ॥ विछिन्नमोहपासा, लहंति ते सासयं सुरकं ॥ १० ॥ ॥ अथ श्री पुण्यपाप कुलकम् ॥ बत्तीस दिन सहसा, बाससए होश आउ परिमाणं ॥ फिनंतं पईसमयं, पिब: धम्मंमि जश्वं ॥१॥ज पोसहसही, तवनियमगुणेहिं गमइ एगदिणं ॥त्ता बंधश् देवान, इतिय मित्ताई पलिया ॥ ॥ सगवीसंकोमो सया, सतहत्तरी कोमिलरक सहसाय ॥ सत्तसया सतहुत्तरि, नवनागा सत्त पलियस्स ॥३॥अहासीई सहस्सा, वाससए पुन्नि लरक पहराणं ॥ एगोवित्र जश् पहरो, धम्मजु ता श्मो लाहो ॥४॥ तिसय सगं चत्त कोमि, लरकाबावीस सहस बावीसा । पुसय वीस पुजागा, सुराउ बंधोय गपहरे Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥५॥दसलखअसोय सहसा, मुहुत्त संखाय होश वास सए ॥ जश् सामाश्यसहिजे, एगोवियता श्मो लाहो ॥६॥ बाणवय कोमो, लरका गुणसहि सहस पणवीसं ॥ नवसय पणवीस जूश्रा, सतिहा अमनाग पलिअस्स ॥ ७॥ वाससए घमियाणं, लखिगवीसं सहस्स तह सही ॥एगाविध धम्म जुया, जश्ता लाहो श्मोहो॥७॥ बायाल कोमी गुणतीस-लक बासही सहस्ससयनवगं ॥ तेसही किंचूणा, सुरा बंधोई गघमिए ॥ ए॥ सही अहोरत्तेणं, घमीया जस्स जंति पुरिसस्स ॥ निअमेणवि रहीआर्ज, सो दियह निष्फलोतस्स ॥१०॥ चत्तारी कोमिसया, कोमी सतलक अमयाला ॥ चालीसं च सहस्सा, वाससय हुंती ऊसासा ॥ ११ ॥ श्क्को वित्र ऊसासो, नय रहि होई पूण्यपावेहिं । जश् पुणेणं सहिर्ज, एगोविथ ताश्मो लाहो ॥१॥ लक जुग सहस पण चत्तं, चउसया अठ चेव पलियाई ॥ किंचूणा चलनागा, सुरा बंधो ईगु Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सासे ॥ १३ ॥ एगुणवीसं लका, तेसही सहस्स उसय सत्तहो ॥ पलियाई देवालं, बंघ नवकार उस्सगो ॥ १४ ॥ लकिगसही पणती-स सहस. उसय दस पलिथ देवाजं ॥ बंधश्यहिथं जीवो, पणवीसुसास उस्सगो॥१५॥एवं पावई परायाणं, हवे निरयाउ अस्स बंधोवि॥अनाउंसिरिजिण कि-त्तिमि धम्ममि उजामंकुणह ॥१६॥ ॥ अथ श्री गौतमकुलकम् लिख्यते ॥ बुझानरा अत्थपरा हवंति, मूढा नरा कामपरा हवंति ॥ बुझानरा खंतिपरा हवंति, मिस्सा नरा तिनिवि श्रायरंति ॥१|| ते पंमिया जे विरया विरोहे, ते साहुणो जे समयंचति ॥ ते सत्तिणो जे न चयंति धम्म, ते बंधवा जे वसणेहवंति ॥ ५॥ कोहानिशा न सुहं लहंति, माणंसीणो सोयपराहवंति ॥ मायाविणो हुंति परस्सपेसा लुछामहिबानरयंजविति ॥३॥ कोहो विसं किं अमयंअहिंसा, माणोयरीकिं हियमप्प Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माउँ ॥ माया नयंकिंसरणंतु सचं, लोहो हो किंसुहमाहतुह॥४॥बुछियचं नयए वीणीयं, कुडं कुशीलंजयए अकित्ती ॥ संनिन्नचितं नयए अलबी, सच्चेहीयं संजयए सिरीय ॥५॥ चयंति मित्ताणि नरं कयग्धं, चयंति पावा मुणिं जयंत॥ चयंति सुक्काणिसराणिहंसा, चएइ बुद्धीकुवियंमणुस्सं ॥ ६ ॥ असंपहारे कहिए विलावो, अईयअत्थेकहिये विलावो ॥ विरिकतचित्ते कहिएविलावो, बहु कुसीसेकहिएविलावो ॥ ७॥ उठा हीवा दंमपरा हवंति, विजाहरा मंतपरा हवंति॥ मुस्का नरा कोवपरा हवंति, सुसाहुणो तत्तपरा हवंति॥॥सोहा नवे जग्गतवस्स खंती, समा हिजोगो पसमस्ससोहा ॥ नाणं सुकाणं चरणस्ससोहा, सीसस्स सोहा विणएपवित्ती॥ ए॥ अजूसणोसोहर बनयारी, अकिंचणो सोदश दिक. धारी ॥ बुद्धिजुर्म सोहर रायमंती, लजाजुर्ड सोहर एगपत्ति॥१०॥ अप्पायरीहोश्यणवट्टियस्स, अप्पा जसो सीलमर्डनरस्स । अप्पाजुरप्पा Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घणवयिस्स, अप्पाजीअप्पा सरणं गईय ॥११॥ न धम्मकजा परमत्थि कहां, न पाणिहिंसा परमं अकळां ॥ न पेमरागा परमत्थि बंधो, न बोहिलाना परमथिलाभो ॥ १२ ॥ न सेवियवा पमया परका, न सेवियत्वा पुरिसा अविका ॥न सेवियवा अहिमाणी हिणा, न सेवियव्वा पिसणा मणुस्सा ॥ १३ ॥ जे धम्मिया ते खलुसे वियवा, जे पंमिया ते खलु पूछियवा ॥ जे साहणोतेअनिवंदियवा, जे निम्ममा ते पमिला. नियवा॥१५॥ पूत्ताय सोसाय समं विनंत्ता, रिसी य देवाय समं विजत्ता ॥ मुकातिरिकाय समं विनत्ता, मुयादरिदाय समं विनत्ता ॥१५॥ सवाकलाधम्मकला जिणाई, सवाकहाधम्मकहा जिणाई ॥ सवं बलं धम्मबलं जिणाई, सवं सुहं धम्मसुहं जिणाई ॥१६॥ जूए पसत्तस्स धणस्स नासो, मंसं पसत्तस्स दयाश्नासो ॥ मऊंपसत्तस्स जसस्स नासो, वेसा पसत्तस्स कुलस्स नासो॥१७॥ हिंसा पसत्तस्स सुधम्मनासो, चोरोपसत्तस्स सरी. Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८९ रनासो॥ तहा.परत्योसु पसत्तयस्स, सवस्स नासो अहमा गश्य॥१७॥ दाणं दरिदस्स पहुस्स खंती, श्वा निरोहोर सुहोश्यस्स ॥ तारुन्नए इंदिय निग्गहो य, चत्तारि एयाणि सुदुक्कराणि ॥ १५॥ असासयं जीवियमाहु लोए, धम्मंचरे साहुजिणोव ॥ धम्मो य ताणं सरणं गई य,धम्मं निसेवित्तुसुहं लहंति ॥२०॥ ॥ अथ श्री दानकुलकम् लिख्यते ॥ परिहरिय रङसारो, उप्पामियसंजमिकगुरुजारो॥खंधा देवदूस, वियरतो जय वीरजिणो ॥१॥ धम्मत्थकामनेया, तिविहं दाणं जयंमि विस्कायं ॥ तहवि य जिणंदमुणिणो, धम्मियदाणं पसंसंति ॥२॥ दाणं सोहग्गकरं, दाणं आरुग्गकारणं परम। दाणं नोगनिहाणं,दाणं गणं गुणगुणाणं ॥३॥ दाणेण फुर कित्ती, दाणेण य हो निम्मला कंती ॥ दाणावडिय हिय, वयरी वि हु पाणियं वह ॥४॥ धणसबवाह Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जम्मे, जं घयदाएं कय सुसाहूणं ॥ तक्कारणमुसनजिणो, तेलुक्कपियामहो जाई ॥ ५ ॥ करुणाइ दिन्न दाणं, जम्मंतर गहिय पुन्न किरियाएं ॥ तिचयर चक्क रिद्धिं, संपत्तो संतिनाहोवि ॥ ६॥ पंचसय साहु जोठाण, दाणावकिय सुपुन्नपनारो ॥ छरिय चरिय जरिनु, जरहो जरहा हिवो जार्ज ॥ ७ ॥ मुलं विमावि दानं, गिलाण परिण जोगवपि ॥ सिद्धो रयणकंबल, चंद विणि वि तंमि जवे ॥ ८ ॥ दाऊण खीर दाणं, तवेण सुसिांग साहुणो धणि ॥ जण जणिय चमकारो, संजार्ज सालिनदोवि ॥ ए ॥ जम्मंतर दाणा, उल्लसिया पुव कुसल काणा ॥ कयउन्नो कयपुन्नो, नोगाणं जाणं जार्ज ॥ १० ॥ घयपूस वत्थपूसा, महरिसिणो दोस लेस परिहीषा ॥ लीई सयल गछो, वग्गगा सुग्गई पत्ता ॥११॥ जीवंत सामिपमिमाई, सासणं वियरिऊण जत्तीए ॥ पवईऊण सिद्धो, उदाइणो चरम रायरिसी ॥ १२ ॥ जिहरमं मियवसुदा, दानं व्यणुकंपन Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्तिदाणा ॥ तिन्छपनावगरेहिं, संपत्तो संपराया ॥१३ ॥ दालं सझा सुके, सुके कुम्मासए महामुणिणो ॥ सिरि मूखदेव कुमरो, रजासिरिं पावि गुरुइं ॥ १४ ॥ अश्दाण मुहर कविश्रण, विरश्य सय संख कव विवरियं ॥ विकमनरिंद चरिश्र, अवि लोए परिप्फुर ॥ १५॥ तियलोथ बंधवेहि, त्तप्नव चरिमहिं जिणवरिंदोहिं॥ कय किच्चेहि वि दिन्नं । संवरियं महादाणं ॥१६॥ सिरिसेयंसकुमारो, निस्सेयस सामि कहं न हो। ॥ फासूअदाणपवाहो, पयासि जेण नरहंमि ॥ १७ ॥ कह सान पसंसिजर, चंदणबाला जिणंहृदाणेणं ॥ बम्मासिय तवत विजे, निव्वविङ जेहिं वीरजिणो ॥ १७॥ पढमाई पारणा, अकरिंसु कति तह करिस्संति ॥अरिहंता जगवंतो,जस्स घरे तेसिं धुव सिहि ॥ १७॥ जिणनवणबिंबपुत्थय-संघसरूवेसु सत्तखित्तेसु ॥ वविशंधणंपि जायर, सिवफलय महो अणंतगुणं ॥ २० ॥ Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९२ ॥ अथ श्री शीलकुलकम् लिख्यते॥ सोहग्ग महा निहिणो, पाए पणमामि नेमिजिणवश्णो ॥ बालेण जुअबलेण, जणादणो जेण निजिणि॥१॥सीलं उत्तम वित्त,सोलं जीवाण मंगलं परमं ॥ सीलं दोहग्गहरं, सीलं सुकाण कुलनवणं ॥२॥ सीलं धम्म निहाणं, सोलं पावाण खंगण नणियं॥सीलं जंतुण जए, अकित्तिमं मंगणं पवरं ॥३॥ नरय वार निरंजण, कवाम संपुम सहोअर बायं॥ सुरलोअधवलमंदिर, आरुहणे पवर निस्सेणिं॥४॥सिरिजग्गसेणधूया, रायमई लहज सोलवर रेहिं ॥ गिरि विवर गर्छ जीए, रहनेमी गवि मग्गे ॥ ५॥ पऊलिवि हु जलणो, सोलपत्नावेण पाणियं हव॥ सा जय जए सीआ, जीसे पयमा जसपमाया ॥६॥ चाणिजलेण चंपाए, जोइउग्धाभियं वारतियं॥ कस्स न हरेश चित्तं, तीय चरियं सुनहाए । ७॥ नंदउ नमया सुंदरि, सा सुचिरं जो पालियं Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलं ॥ गहिलत्तणंपि कालं, सहियाय विमंबणा विविहा ॥ ७ ॥ जई कलावईए, जोसणरन्नंमि रायचत्ताए ॥ जं सा सीलगुणेण, बिनंग पुणन्नवा जाया ॥ ए ॥ सीलवश्ए सोलं, सकइ सकोवि वन्निजं नेव ॥ रायनिजत्ता सचिवा, चउरोवि पवंचिया जीए ॥ १० ॥ सिरि वझमाण पहुणा, सुधम्मलाजुत्ति जो पहवि ॥ सा जयन जए सुखसा, सारयससिविमलसीलगुणा ॥११॥ हरिहरबंनपुरंदर-मयनंजणपंचबाणबलदप्पो॥लोलाइ जेण दलिउँ, स थूलनदो दिसर्व नदं ॥ १५ ॥ मणहरतासन्नजरे, पछिअंतोवि तरुणि नियरेणं ॥ सुरगिरिनिचलचित्तो, सो वयरमहारिसी जय ॥ १३ ॥ थुणियं तस्स न सका, सढुस्स सुदंसणस्स गुण निवहो॥ जो विसमसंकमेसुवि, पमिवि अखंमसीलधणो ॥ १४ ॥ सुंदरि सुनंद चिपणा, मणोरमा अंजणा मिगावश्य ॥ जिणसासणसुप. सिझा, महासळ सुहं दिंतु ॥ १५ ॥ अञ्चकारिअचरित्रं, सुणिऊणं को न धुणई किरसीसं ॥ Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जा अरकंमिश्र सीला, निसव कयलियाविदढं ॥१६॥ निय मित्तं निय नाया, निय जण निय पियामहो वा विनियपुत्तोवि कुसीलो, न ववहो होश लोआणं ॥१७॥ सवेसिपि क्याणं, नग्गाणं अलि कोइ पमियारो ॥ पकधमस्सव कन्ना, न होइ सील पुणो जग्गं ॥१७॥ वेवाल जूअरकस -केसरिचित्तयगइंदसप्पाणं ॥लीलाई दल दप्पं, पालंतो निम्मलं सीलं ॥१५॥जे के कम्ममुक्का, सिझा सियंति सिकिहिंति तदा ॥ सवसिं तेसिं बलं, विसालसीलस्स माहप्पं ॥ २० ॥ ॥ अथ श्री तपकुलकम् लिख्यते ॥ सो जयउ जुगाइजिणो, जस्संसे सोहए जमामनमो ॥ तवाणग्गिपलिविय-कम्मिधण धूम पंत्तिव ॥१॥ संवरियतवेणं, कासगंमि जो नि जयवं ॥ पूरियनिययपन्नो, हरउ पुरियाई बाहुबली ॥२॥ अथिरंपि थिरं वंक-पि उजुधे Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुल्लहंपि तद सुलहं ॥ फुस्स पि सुसद्यं, तवेण संपजाए कऊं ॥ ३ ॥ बरं बठेण तवं, कुणमाणो पढम गणहरो जयवं । छा की ए महाणसीर्ड, सिरि गोामसामि जय ॥ ४ ॥ बइ सकुमारो, तवबल खेलाइल द्धिसंपन्नो ॥ नि हुन्छ खवलि अंगुलि, सुवन कंति पयासंतो ॥ ५ ॥ गो बॅज गन गनिणि, बंजण घायाइ गुरुय पावाई ॥ काऊवि कणयंपिव, तत्रेण सुद्धो दढपहारी ॥ ६ ॥ पुवनवे तिव तवो, तवि जं नंदिसेण महरिसिया ॥ वसुदेवो तेल पिर्ज, जार्ज खयरो सहस्ताणं ॥ ७ ॥ देवावि किंकरतं, कुणंति कुलजाइ विरदिआपि ॥ तवमंतपजावेणं, हरिकेसबलस्स वरिसिस्स ॥ ८ ॥ पमसयमेगपदेणं, एगेण घण घमसहस्साई ॥ जं किर कुति मुणिणो, तवकष्पतरुस्तत्तंक्खू फलं ॥९॥ नियाणस्स विदीए, तवस्स तत्रियस् किं पसंसामो ॥ किजइ जे विलासो, निकाश्यापि कम्माणं ॥ १० ॥ इडुक्करतवकारी, जगगुरुणा कन्दपुछिए तथा ॥ वाहरिजं स Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६ महप्पा, समरिजाउ ढंढणकुमारो ॥ ११ ॥ पदिवस सत्तजणे, वहिऊणं गहियवीर जिए दिरका ॥ दुग्गा निग्गह निरर्ट, अनुप मालि सिद्धो ॥ १२ ॥ नंदी सररुागे सुवि, सुरगिरिसिहरेसु एगफालाए || जंघाचारण मुलिलो, गति तवप्पजावेण ॥१३॥ सेणियपुर जेसिं, पसं सित्र्यं सामिया तवोरुवं ॥ ते धन्ना धन्नमुणि, पुन्नवि पंचुत्तरे पत्ता ॥ १४ ॥ सुणिं तव सुंदरि, कुंमरीए अंबि - लाणि वरयं ॥ सठिवास सहस्सा, जण कस्स न कंपए हिययं ॥ १५ ॥ जं विहिश्रमं बिलतवं, बारस व रिसाई सिवकुमारेण ॥ तं दतु जंबुरूवं, विम्ह कोणि राया ॥ १६ ॥ जिएकप्पिय परिहारिका, पमिमा परिवन्न लंदयाई ॥ सोऊण तवसरूवं, को अन्नो वह तवगवं ॥ १७ ॥ मास मासखवर्ड, बलजद्दो रुवपि हु विरत्तो ॥ सो जय रन्नवासी, परिबो हिसावयसहस्सो ॥१८॥ थरहरि धरं कलह लिय - सायरं चलियसयल - कुलसेलं ॥ जमका सिजयं विएहु, संघकए तं तवस्स Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .२७ फलं ॥ १५ ॥ किं बहुणा नणिएणं, जं कस्सषि कहवि कबक्सुिहाई ॥ दीसंति जवणमये, तन्न तवो कारणं चेव ॥ २० ॥ ॥ अथ श्री नावकुलकम् लिख्यते ॥ कमठासुरेण रश्यं-मिनीसणे पलयतुलजलबोले ॥ नावेण केवललविं, विवाहि जयउ पासजिणो ॥ १॥ निचुन्नो तंबोलो, पासेण विणा न होइ जह रंगो॥ तह दाणसीलतवना-वणाउ, अहलाउ नावविणा ॥२॥ मणि मंत उसहीणं, जंतयतंताण देवयाणंपि ॥ नावेण विणा सिद्धी, न हु कस्स दोसई लोए ॥ ३ ॥ सुहनावणावसेणं, पसन्नचंदो मुहुत्तमित्तेण ॥ खविऊण कम्मगंहिं, संपत्तो केवलं नाणं ॥४॥ सुस्सूसंती पाए, गुरुणीणं गरहिऊण नियदोसे ॥ उप्पन्नदिवनाणा, मिगावई जयन सुहनावा ॥ ५॥जयवं श्लाइपुत्तो, गुरुए वंसंमि जो समारूढो ॥ दवूम मुणिवरिंदे, सुहनावा केवली जा ॥ ६॥ कविलोअबनण Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुणी, असोगवणिशाश्मद्ययारंमि ॥ लाहालोहत्तिपयं, कायंत्तो जायजाइसरो ॥ ७॥ खवगनिमतणपुवं, वासियनत्तेण सुचनावेण ॥ मुंजतो वरनाणं, संपत्तो कूरगम ॥ ७ ॥ पुवनवसूरिविरश्य -नाणासायण पन्नाव उम्मेहो॥ नियनामंकायंतो, मासतुसो केवलीजा ॥ ए ॥ हछिमि समारूढा, रि िदखूण उसनसामिस्स ॥ तकण सुहकाणेणं, मरुदेवी सामिणी सिझा ॥ १० ॥ पमिजागरमाणीए, जंघाबलखीणमनियापुत्तं ॥ संपत्त केवलाए, नमो नमो पुप्फचूलाए ॥११॥ पनरसय तावसाणं, गोमनामेण दिन दिरकाणं॥उप्पन्न केवलाणं, सुहनावाणं नमो ताणं ॥ १५ ॥ जीवस्स सरीराजे, नेचं नावं समाहिपत्ताणं ॥ चप्पामियनाणाणं, खंदगसीसाण तेसि नमो ॥ १३ ॥ सिरि वझमाणपाए, पूछी सिंवारकुसुमेहिं ॥ जावेणं सुरलोए, उग्गश्नारी सुहं पत्ता ॥ १४ ॥ नावेण जुवणनाहं, वंदेउ उद्दरोवि संचलि ॥ मरिऊण अंतराले, नियनामको सुरो जाउँ ॥१५॥ Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९९ विरयाविरयसहोअर, उदगस्स नरेण नरिथसरि आए ॥ नणियाश् सावित्राए, दिन्नो मग्गुत्ति जाववसा॥१६॥सिरिचमरुदगुरुणा, तामिळांतोवि दंमघाएहिं ॥ तकालं तस्सीसो, सुहलेसो केवली जाउँ ॥१७॥ नहुनणि बंछो, जीवस्स. वहेवि समिश्गुत्ताणं ॥नावो तबपमाणं, न पमाणं कायवावारो ॥१८॥ नाव च्चिय परमबो, नावो धम्मस्स साह जणि ॥ सम्मत्तस्सवि बीअं, नाव चित्र बिति जगगुरुणो ॥१५॥ किं बहुणा नणिएणं, तत्तं निसुणेह नो महा सत्ता ॥ मुकसुहबीयभूर्ज, जीवाण सुहावहो जावो॥२०॥ श्यदाण सील तव ना-वणाउजो कुण सत्ति नत्ति परो॥ देविंदविंदमहिलं, अझरा सोलह सिधिसुहं ११ ॥ अथ मिथ्यात्वकुलकं लिख्यते ॥ लोश्य लोउत्तरियं, देवगयं गुरुगयं च उन्नयंपि ॥ पत्तेयं नायवं, जाह कम सुत्तन एवं ॥१॥ हरिहर बंजाईणं, गमणं जुवणेसु पूच Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० नमणाई॥ वहिजोसमदिही,तउत्तमेकंपि निबयत्रं ॥२॥ मंगल नाम गहणं, विणाय गाईण का पारंने ॥ ससि रोहिणी गेयाई, विणायग ववणं च विवाहे ॥ ३॥ बही पुश्रण माउणविणं, बीयाई चंद दसियं च॥ऽग्गाईणो वाईया, तोतलया गहाय महिमं च ॥४॥ चित्तमि माहनवमी, रविरह निरकमण सुरगहणाई॥होलीय पयाहिणं, पिंम पामण थावरे पूया ॥५॥ मि संकंति, पूजा रेवंत पंथ देवाण ॥ सिवरत्ति वह बारसी, खित्ते सीआइ अञ्चयं ॥६॥देवय सत्तमि नाग्गण. पंचमी मलगाइ माऊण ॥रवि ससिवारेसु तवो, कुदिवि गुत्ताई सुरपूला ॥७॥ नवरत्तासुतत् पूध माई, बुहाअमिरिंग होम च॥ सुन्निणिरूपिणिरंगिणि, पूंजाधय कंबलो माहे ॥७॥ काल तथा तिल, दऊदाणं मय जलंजली दाणं ॥ सावण चंदण बविं, गो पूजाइसु करस्सलेउ ॥ए ॥ अक्की गौरी जत्त च, सवति पियर पमिमा ॥उत्तरयण भूयाण, मग Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोमय तश्या ॥ १० ॥ देवस्स सुश्रण उगवणं, आमलीकण पंझवाणं च ॥ इकारसी तवाई, परति गमण खण करणं ॥११॥ सह मासिब बम्मासियाई, पवदाण कन्नहलति ॥ हल जल घमदाणा, लोहणयदाणं विय मिछादिठीणं ॥१॥ कौमारि बार जत्तं, धम्म ववरील चित्तंमि ॥ असंजयणो याणा, अखयतईया अकत्तणायं ॥१३॥ संमविवाहो जिरिणि, अमावासाए विसेसन ॥ भूजं कुवाइ खणण, गोअरस हिंमण पियर हंताई ॥ १४ ॥ वायसबिमाल मार्पिमो, तरूरोवण पवित्तपन ॥ तालायर कहसवणं, गोधणमह इंदजालं च ॥१५॥ धम्मग्गिदय नट पि. बण च, पायकफुज्झ दरसणयं ॥ एवं लोअगूरू. णवि, नमणं दिश तावसाईणं ॥१६॥मूले सोसा जाए, बालेनवणं मि बंजगोहवणं ॥ तकह सवणं दाणं, गिहिगमणे नोयणोश्य ॥१७ ॥ एवं लोश्य गिळं, देवगयं गुरूगयंतु परिहरियं ॥ लोउत्तरे विवऊरं, परतिवं संगहियबिंबे ॥ १७॥जब जि Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ णमंदिरंमिवि, निप्पवेसो अबलसमणाणं॥वासो. अनंदि बलिदाण, नाहणनट्ट पयदाय ॥१५॥ तंबोलाई पासायणाउ, जलकेलि देवयंदोलं ॥ लोश्य देवगिहेसुव, वदृशं असमंजसं एवं ॥२०॥ तस्सवि सम्मदिन सायरंसम्मररकण पराणं॥ उस्सुत्त वजग्गाणं, कप्पई सवसाणनोगमणं ॥१॥ जो लोगोत्तम लिंगा, लिंगिय देहावि पुप्फ तंबोल ॥ श्राहाकम्मं सवं, जलं फलं चेव सञ्चितं ॥२५॥ लुजति बो पसंगं, ववहारं गंथसंगहं भूसं ॥ एवागित्तज गमणं, सबंद चेग्यि वयण ॥३॥ चेश्यं मढाइ वासं, वसहीसु वि निच्चमेव संगणं ॥ गेयं नेअं चरणाणं, अच्चावण मवि कणयकुसुमेहिं ॥२४॥तिविहंतिविहेणमिबत्तं, जेहित्ति वजियं पुरं ॥ निबयल ते सझा, अन्नेजण नामचेव ॥ २५ ॥ जिणवय मयाणु सारं, एयं पालंति जेन संमत्तं ॥ ते सिध्धं निविघ्धं, पावंति धुवं सिवं सुइयं ॥ २६ ॥ Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३ ॥ अथ यात्मकुलकं लिख्यते ॥ धम्म प्पह रमजि जो, पणामितु जिणे महिंद नमणिों ॥ अप्पा वबोह कुलयं, वुद्धं जवपुक कय पलयं ॥१॥अत्ता वगमो तऊई, सयमेव गुणेहिं किं बहु जणसि ॥ सूर दल लरिकआई, पहाइनल सवह निवहेण ॥२॥ दम सम सत्तम मित्ति, संवेए विवेय तिवनिवेया ॥ एए पगूढ अप्पा, वबोह बीयस्स अंकुरा ॥३॥ जो जाण अप्पाणं, अप्पाणं सो सुहाणं नहु कामी ॥ पत्तंमि कप्परूरके, रूरके किं पत्रणा असणे ॥४॥ नियविन्नाणे निरया, निरयाश्ऽहं लहंति न कयावि जोहो मग्ग लग्गो, कह सो निवमेश कूवंमि ॥५॥ तेसि रेसिझी, रिकी रणरणय कारणं तेसिं ॥ तेसि मपुन्ना आसा, जेसिं थप्पा न विन्नाउ ॥६॥ ता उत्तारो जवजलहो, ता उजेड महाल मोहो॥ता अश् विसमो लोहो, जाजाउ नो निउबोहो ॥७॥जेण सुरवसुर नाहा, हाहा अणाहुव्व बाहियासोवि ॥ अऊप्पकाणं ज. Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ लणो, इए पयंगुत्तणं कामो ॥७॥जं बहंपिनचिठई, वारिडांतं विस असेसा ॥ जाण बलेणं तंपिहु, सयमेव विलिऊश् चित्तं ॥ ए॥ बाहि रंतरंग जेया, विविहवाही नदिति तस्सऽहं ॥ गुरुवयणाउजेणं, सुहकाण रसायणं पत्तं ॥१०॥ जिअमप्प चिंतणपरं, न कोई पोमेई अहवा पी. मेई ॥ ता तस्स नवि पुकं, रिण मुकं मन्नमाणस्स ॥११॥ पुकाणखाणीखनु रागदोसो, तेलं. तिचित्तमि चलाचलंमि ॥ अप्नप्पजोगेण चए चित्तं, चलेतमालाणिय कुंजरुवं ॥ १२ ॥ एसोमित्तम मित्तं, एसो सग्गो तहेव नरउअ॥ एसो राया रंको, अप्पातुगे अतुगे वा ॥१३॥लकासुरनर रिद्धी, विसया वि सयानिसेवित्रा णेण ॥ पुण संतोसेण विणा, किं कवि निबुजाया॥१५॥ जीवसयंचित्र निम्मिय, तणु धणु रमणी कुटंब नेहेणं ॥ मेहेण वि दिणनाहो, बाइजासिं तेजवंतोवि ॥ १५ ॥ जं वाहिवाल वेसानराण, तुहवे. रोयाण साहीणं ॥ देहेतन ममत्तं, जिअकुणमा Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५ णोवि किं लहसि ॥ १६ ॥ वरजत्त पाणन्हाणाय, सिंगार विलेवणेहिं पुगेवि ॥ निथ पहुणो विहमंतो, सुणदेण वि न सरिसोदेहो ॥ १७ ॥ कठा कमुत्र बहुया, जं धण मावजिथं तएजीव ॥ कलं तुऊ दाजं, तं अंते गहिअमन्नेहिं ॥१७॥ जहजह अन्नाण वसा, धणधन्न परिग्गरं बहुं कुण सि ॥ तहतह लहु निमऊसि, नवेनवे नारिथ तरिव ॥ १५ ॥ जा सुविणे विहु दिठी, हरे देहिण दिह सव्वस्सं ॥ सानारी मारी श्व, चयसु तुह मुबलत्तेणं ॥ २०॥ अहिलससि चि. त्तशुद्धि, रऊसि महिलासु अहह मुढत्तं ॥नीलीमिलीए कमि, धवलिमा किं चिरंगई ॥१॥ मोहेण नव दुरिए,बंधि खित्तोसिनेह निगमेहिं॥ बंधव मिसेण मुक्का, पहरीया तेसु कोराउ ॥२॥ धम्मोजणउ करूणा, माया नायाविवग नामेण ॥ खंति पिया सुपुन्ना, गुणो कुटंबश्मकुणसु ॥२३॥ अझ पालियाई पगर, जं नामीउसि बंधेज ॥ संतेवि पुरिसकारे, न लजसे जीव तेणंपी ॥४॥ Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६ सयमेव कुणसि कम्मं, तेणय वाहिकासि तुमंचेव ॥ रे जीव अप्प वेरिया अन्नस्सय देसि किं दोसं ॥ २५॥ तं कुणसि तं च जंपसि, तं चिंतसि जेण वसणोहे ॥ एय स गिहरहस्सं, नसक्किमो कहिल मन्नस्स ॥ २६ ॥ पंचिंदिअ परा चोरा, मण जुवरन्नो मिलित्तु पावस्स ॥ नियनिअयन निरत्ता, मुलग्गिं तुफ बुपंति ॥ १७ ॥ हणित विवेकग मंती, जिन्नं चनरंग धम्म चकंपि ॥ मुहं नाणार धणं, तुमंपि बूढो कुगश्कूवे ॥२०॥ इतिश्र कालं हंतो, पमा निदाइ गलीचे अन्नो ॥ जश् जग्गिठसि संपक्ष, गुरूवयणा ता नवेएसि ॥२॥ लोग पमाणोसि तुम,नाणमनणंत विरिसितुमं॥ निय राठियं चिंतसु, धम्मजाणा सणासीणे ॥ ३० ॥ कोवमणो जुवराया, कोवा रायाइ रफापऊसो ॥ जश् जग्गिसि संपर, परमेसर पश्स चे अन्ने ॥ ३१ ॥ नाणम वि जमोविव, पुजब चोरूवजजाउसि ॥ जवग्गामे किं तब, वससि साहिण सिवनयरे ॥ ३२ ॥ जब कसाय चोरा, Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७ महवाया सावया सया घोरा ॥रोगा व अंगा, आसा सरीया घण तरंगा ॥ ३३ ॥ चिंता मवी स कठग, बहुलतमा सुंदरी दरी दिठा ॥ खाणो गश्य नेया, सिहराई अठ मय नेत्रा ॥३४॥ रयणिअरोमिछत्तं, मण मुक्कमल सिलाजु ममत्तं ॥ तंनिदसु नवसेलं, काणासणिणा जिथ सहेलं ॥ ३५ ॥ जब विश्राय नाणं, नाणंपि वियाणं सिक सुहयं तं ॥ सेसं बहुंपी अहियं, जाणसु आजिविया मित्तं ॥३६ ॥ सुबह अहिरं जह जह, तहतह गवण पूरियं चित्तं ॥ हिय अप्प बोह रहीअस्स, उसहाउ नहि वाहो ॥ ३० ॥ अप्पाण म बोहंता, परं विबोहंती केई तेवि जमा जण परियणंमि बूहिए, सत्तु गारेकिं कळां ॥३॥ बोहंति परं कीवा, मुणंति कालं खरा पढति सुझं ॥ गण मुशंति सयावि हु, विणा य बोहं पुणन सिधि ॥ ३५ ॥ अवरो न नंदिअवा, पसंसि अवो कयावि नहु अप्पा ॥ समन्नावो कायवो, बोहस्स रहस्स मिणमेव ॥ ४० ॥ पर सस्कित्तं Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - जजसु, रंजसु अप्पाण मप्पणा चेव ॥ बासु विकहाए, जश्श्चसिअप्प विन्नाणं ॥४१॥ तं नणसु गणसु वायसु, जायसुउवशसिसुशायरेसु ॥ जिथ खण मित्तंपि विश्रखण, आयारामे रमसि जेणं ॥ ४२ ॥ श्यजाणिहुण तत्तं, गुरू वश्वं परं कुण पयत्तं ॥ लहिऊण केवल सिरिं, जेणं जयसेहरो होसि ॥ ४३ ॥ ॥ अथ श्रो समवसरणप्रकरण लिख्यते ॥ थुणिमो केवलि वळ, वरविजाणंद धम्मकितिद्धं ॥ देविंद नय पयर्छ, तियरं समवसरणलं ॥१॥ पयमिथ समबनावो, केवलि नावो जिणाणजबनवे ।। सोहंति सव्वज तहिं,महिमा जोयण मनिल कुमारा ॥२॥ वरसंति मेद कुमरा, सुरहि जलं रिउ सुरा कुसुमपसरं ॥ विरयंति वणामणि कणग, रयण चित्तं महीअलं तौ ॥३॥ अजिंतर मऊबहिं, तिवप्पमणिरयणकणयकवीसीसा ॥ रयण ज्जुण रूप्पमया, वेमाणिव जोश्जवण कया Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०९ ॥४॥ वहमि पुत्तीस गुल, तातिस धणुपिहुल पणसय धणुश्च ॥ धणु सय गकोसं, तराय रयणमय चनदारा ॥५॥ चनरंसे ग धणुसय, पिह वप्पा सड कोसं अंतरिया ॥ पढम बिश्राबिद्याविअतश्या, कोसंतर पुवमिवसेसं ॥ ६ ॥ सोवाण सहसदसकर, पिहु च गंतुं जुषो पढम वप्पो ॥ तो पन्ना धणु पयरो, तय सोवाण पण सहसा॥७॥ तो बिअ वप्पो पनधणु, पयर सोवाण सहस पणतत्तो ॥ तई वप्पो उसय, धणु इगकोसेहिं तोपीढं ॥ ॥ चनदार ति सोवाणं, ममणिपीठयं जिणतणुच्चं ॥ दो घणुसय पिहु दीहं, सह कोसेहिं धरणीयला ॥ ए ॥ जिणतणुबारगुणुच्चो, समहिअजोश्रण पिहूयसोगतरू ॥ तयहोश् देव बंदो, चल सीहासण स पयपीढा ॥ १० ॥ तवरिचऊत्ततया, पमिरूव तिगं तहअथव चमरधरा ॥ पुर कणय कुसेसय विश्र, फालिह धम्म चक्क चहु ॥ ११ ॥ जयवत्त मयरमंगल, पंचाली दाम वेश् वर कलसे ॥ पश्दारं Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११० मणि तोरण, तिय धुवघमी कुणंति वणा ॥१॥ जोया सहस्स दंगा, चलऊया धम्म माण गय सींहा ॥ कुकुनाइ आसवं, माणमिणं निय निय करेण ॥ १३ ॥ प विसि पुवाइ पहु, पयादिणं पुवासनिविठो ॥ पयपीढ वविा पार्ट, पण मिातिष्ठं कद धम्मं ॥ १४ ॥ मुणि वैमाणिणि समणि, सजवणजोइ पणदेविदेव तियं ॥ कप्प सुर नर ि तिळां, बंतिगो इ विदिसासु ॥ १५ ॥ च देवि समजिठिया, निविठा नरिडिसुर समणा ॥ इ पण सगपरिस सुणंति, देसणं पणम वप्पतो ॥ १६ ॥ इ आवस्सय वीति वुत्तं, चुन्निय पुणमुणि निविठा ॥ वेमाणिय समणी दो, उठ्ठ सेसा विद्यान नव ॥ १७ ॥ बीांतो तिरि ईसाणि, देवछंदोळा जाण तयंतो ॥ तह चरंसे डुडुवावि, कोणन वद्दि इक्किका ॥ १८ ॥ पीछा सिका रत्त सामा, सुरवण जोइ न वणारयणप्पे ॥ घणु दंग पास गय दवा, सोम जमवरूण धणजरका ॥ १७ ॥ जय विजया जि Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपराजियत्ति, सिय अरूणपोयनी लाना॥ बीए देवीज्जुअला, अजयं कुस पास मगर करा ॥२॥ तश्व बहि सुरा तुंबरू, खदंगिकपालि जम मनमधारी ॥ पुवाइ दारपाला, तुंबरू देवोथ पमिहारो ॥२१॥ सामन्न समोसरणे, एस विही ए जश् महड्ढि सुरो ॥ सब मिणं एगोवि हु, सकु. ण नयणेय रसुरेसु ॥२२॥ पुव मजायंजबउ, जलेश सुरो महहिमघवाई। तब सरणं नियमा, सययं पुण पामि हेराई॥ २३॥ सुबिध समब अडिय, जण पविथ अब सुसम्बो॥ श्वं थुर्ड बहुजणं, तीबयरो कुणउ सुपयलं ॥ १४ ॥ ॥ श्री ग्रहशान्तिस्तोत्रम् ॥ जगद्गुरुं नमस्कृत्य, श्रुत्वा सद्गुरु नाषितम् ॥ ग्रहशान्ति प्रवदयामि, जव्यानां सुखहेतवे ॥१॥ जन्मलग्ने च राशौ च, यदापीमन्ति खेचराः ॥ तदा संपूजयेशीमान्, खेचरैः सहितान् जिनान् ॥२॥ पुष्पैर्गधै पदी पैः, फलनैवेद्यसंयुतैः ॥ वर्ण Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सदृशदानैश्च, वस्त्रेश्च दक्षिणान्वितैः ॥ ३ ॥ पद्मप्रनस्य मार्तम, श्चन्द्रश्चन्द्रप्रजस्य च॥वासुपूज्यो नूसुतश्च, बुधोऽप्यष्टजिनेश्वराः ॥४॥ विमलानन्तधर्माऽराः, शान्तिः कुन्थुन मिस्तथा ॥ वर्षमानो जिनेन्द्राणां, पादपद्मे बुधो न्यसेत् ॥५॥ रुषलाजित सुपा, श्वानिनन्दनशीतलौ ॥ सुमतिः संजवस्वामी, श्रेयांसश्च बृहस्पतिः॥६॥सुविधेः कथितः शुक्रः, सुव्रतस्य शनैश्चरः ॥ नेमिनाथस्य राहुः स्यात् , केतुः श्रीमहीपार्श्वयोः॥७॥ जिनानामग्रतः कृत्वा, ग्रहाणां शान्ति हेतवे।नमस्कारशतं नक्त्या, जपेदष्टोत्तरं शतम् ॥णानाबाहुरुवाचैवं, पंचमश्रुत केवली ॥ विद्याप्रवादतः पूर्वाद, ग्रहशान्तिविधिशुनम् ॥ ए॥ ___ ॐ ह्रो श्री ग्रहाश्चन्छ सूर्याङ्गारक बुध बृहस्पति शुक्र शनैश्वर राहु केतुसहिताः खेटा जिनपतिपुरतो वस्तिष्ठन्तु, मम धन धान्य जयविजयसुखसौनाग्यधृतिकीर्तिकान्तिशांति तुष्टि पुष्टि बुद्धि लदमी धर्मार्थ कामदाः स्युः स्वाहा ॥ Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन धर्मना दरेक जातना पुस्तको मळवार्नु मथक महेता नागरदास प्रागजीभाइ ठे, दाशीवाडानी पोळ अमदावाद. संघवी मुलजीभाइ झवेरचंद जैन बुकसेलर पालीताणा.