SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९६ महप्पा, समरिजाउ ढंढणकुमारो ॥ ११ ॥ पदिवस सत्तजणे, वहिऊणं गहियवीर जिए दिरका ॥ दुग्गा निग्गह निरर्ट, अनुप मालि सिद्धो ॥ १२ ॥ नंदी सररुागे सुवि, सुरगिरिसिहरेसु एगफालाए || जंघाचारण मुलिलो, गति तवप्पजावेण ॥१३॥ सेणियपुर जेसिं, पसं सित्र्यं सामिया तवोरुवं ॥ ते धन्ना धन्नमुणि, पुन्नवि पंचुत्तरे पत्ता ॥ १४ ॥ सुणिं तव सुंदरि, कुंमरीए अंबि - लाणि वरयं ॥ सठिवास सहस्सा, जण कस्स न कंपए हिययं ॥ १५ ॥ जं विहिश्रमं बिलतवं, बारस व रिसाई सिवकुमारेण ॥ तं दतु जंबुरूवं, विम्ह कोणि राया ॥ १६ ॥ जिएकप्पिय परिहारिका, पमिमा परिवन्न लंदयाई ॥ सोऊण तवसरूवं, को अन्नो वह तवगवं ॥ १७ ॥ मास मासखवर्ड, बलजद्दो रुवपि हु विरत्तो ॥ सो जय रन्नवासी, परिबो हिसावयसहस्सो ॥१८॥ थरहरि धरं कलह लिय - सायरं चलियसयल - कुलसेलं ॥ जमका सिजयं विएहु, संघकए तं तवस्स
SR No.022320
Book TitlePrakaran Ratnakar Mool
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Nagardas Pragjibhai
PublisherMehta Nagardas Pragjibhai
Publication Year1936
Total Pages118
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy