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________________ माउँ ॥ माया नयंकिंसरणंतु सचं, लोहो हो किंसुहमाहतुह॥४॥बुछियचं नयए वीणीयं, कुडं कुशीलंजयए अकित्ती ॥ संनिन्नचितं नयए अलबी, सच्चेहीयं संजयए सिरीय ॥५॥ चयंति मित्ताणि नरं कयग्धं, चयंति पावा मुणिं जयंत॥ चयंति सुक्काणिसराणिहंसा, चएइ बुद्धीकुवियंमणुस्सं ॥ ६ ॥ असंपहारे कहिए विलावो, अईयअत्थेकहिये विलावो ॥ विरिकतचित्ते कहिएविलावो, बहु कुसीसेकहिएविलावो ॥ ७॥ उठा हीवा दंमपरा हवंति, विजाहरा मंतपरा हवंति॥ मुस्का नरा कोवपरा हवंति, सुसाहुणो तत्तपरा हवंति॥॥सोहा नवे जग्गतवस्स खंती, समा हिजोगो पसमस्ससोहा ॥ नाणं सुकाणं चरणस्ससोहा, सीसस्स सोहा विणएपवित्ती॥ ए॥ अजूसणोसोहर बनयारी, अकिंचणो सोदश दिक. धारी ॥ बुद्धिजुर्म सोहर रायमंती, लजाजुर्ड सोहर एगपत्ति॥१०॥ अप्पायरीहोश्यणवट्टियस्स, अप्पा जसो सीलमर्डनरस्स । अप्पाजुरप्पा
SR No.022320
Book TitlePrakaran Ratnakar Mool
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Nagardas Pragjibhai
PublisherMehta Nagardas Pragjibhai
Publication Year1936
Total Pages118
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size7 MB
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