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एगिदि रयमाणं ॥२६४ ॥ वामपमाणं चक्र, उत्तं दं मुहबयं चम्मं । बत्तीसंगुल खग्गो, सुवम कागिणि चउरंगुलिया ॥ २६५ ॥ चउरंगुलो मुआंगुल, पिहुलोय मणी पुरोहि गय तुरया ॥ सेणावगाहाव, वद थी चकि रयणाई॥२६६॥ चनरो आयुज गेहे नंमारे तिन्नि पुन्नि वेयढे ॥ एगरायगिह म्मिय, नियनयरे चेव चत्तारि॥१६॥ नो सप्पे पंडूए, पिंगलए सवरयण महपनमे ॥ कालेय महाकाले, माणव गया महासंखे ॥२६॥ जंबुद्दीवे चउरो, सया वीसुत्तरा उक्कोसं ॥ रय. णा जहां पुण, हुंति विदेहमि उप्पएणा॥६॥ चकं धणुहं खग्गो, मणगया तय हो वणमाला ॥ संखो सत्तश्माई, रयणा वासुदेवस्स ॥ ॥ ७० ॥ संखनरा चनसुगर, सु जति पंचसु वि पढम संघयणे ॥ ग उति जा अहसयं, गस. मए जंति ते सिधि ॥ २७१ ॥ वीसि वि दसनपुंसग, पुरिसहसयं तुएग समएणं ॥सिस गिहियन्न सलिं, ग चबदस अहाहिय सयं च ॥