SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सोगं चेव वेयंति ॥२०॥ पण कोमि अह सही, बरका नब नव सहस. पंचसया ॥ चुलसी अहीयरोगा, बही तह सत्तमी नरए । २०९ ॥ रयण प्पह सक्कर पह, वालय पह पंक पहय धूमपहा ॥ तमपहा तम तमपहा, कमेण पुढबोण गोत्ताइ ॥१० ॥ घम्मा वंसा सेला, अंजण रिहा मघा य माधवई ॥ नामेहिं पुढवी, बत्ताश् उत्त संगणा ॥ २११ ॥ असीय बत्तिस अमविस, वीसा अहार सोल श्रम सहसा॥ लरकुवरि पुढवि पिंको, घणुदहि घण वाय तणुवाया ॥२१२॥ गयणं च पहाणं, वीस सहस्साई घणुदही पिंमो ॥ घणतणुवाया गासा, असंख जोयण जुया पिंमो॥ ॥ २१३ ॥ न फुसंतिथलोगं चड, दिसंपि पुढवीय बलयसंगहिया ॥ रयणाए वलयाणं,बध पंचम जोयणं सहूं ॥२१४ ॥ विस्कंनो घणउदही, घणतणु वायाण हो जहसंखं ॥ सत्तिनाग गाऊयं, गाऊयं तह गाउय तिनागो ॥ २१५ ॥ पढम महीवलएसु, खिविङ एयं कमेण बीयाए ॥3
SR No.022320
Book TitlePrakaran Ratnakar Mool
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Nagardas Pragjibhai
PublisherMehta Nagardas Pragjibhai
Publication Year1936
Total Pages118
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy