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तितीस मुत्तरेसु, सोहम्माश्सु श्मा विश जिहा ॥ सोहम्मे ईसाणे, जहन्न लिई पलिश्च महियं च ॥ए॥ दोसाहि सत्त दस चउदस, सत्तर अयराई जा सहस्सारो ॥ तप्पर शकिकं, अहिथं जा णुत्तर चउके ॥१०॥ गतीससागराशे, सबछे पुण जहन्नठि ननि ॥ परिगहियाणिय राणिय, सोहम्मीसाणदेवीणं ॥११॥पलियं अहियं च कमा, निजहन्ना अ उक्कोसा ॥पलिश्राइंसत पएणा, स तहय नव पंचवन्ना य ॥ १२ ॥ पण उचज चल अह य, कमेण पत्तेय मग्गम हिसी ॥ असुर नागा वंतर, जोश्स कप्पऽगिंदाणं ॥ १३ ॥ उसुतेरस उसुबारस, ब प्पण चढ चउ पुगे युगे अचल ॥ गेविज णुत्तरे दस, बिसहि पयरा उवरि लोए ॥१४॥ सोहमुको सहिश, निअपयरविदत्त श्वसंगुणिया॥पयरकोस हिज, सबबजहन्नपलियं ॥१५॥ सुरकप्पशिविसेसो, सगपयरविहत्त श्वसंगुणि ॥ हिहिरिश्सहिर्ज, इलियपयरम्मि उक्कोसा ॥१६॥ सोमजमाएं स तिजा,