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मिघाघाए गुरु लहु, दोगालय धणुसया पंच ॥ ६४॥ माणुसनगार्ड बाहिं, चंदासूरस्स सूरचंदस्स || जोयणसहस्स पन्ना, स गुणगा अंतरं दिट्टं ॥ ६५॥ ससिसिरविरवि साहिय, जोयण सरकेण - तरं होई || रविांत रिया समिणो, ससि अंतरिया रखी दित्ता ॥ ६६ ॥ बढ़ियाउ माणुसुत्तर, चंदा सूरा वट्टोया ॥ चंदा जीयजुत्ता, सूरा पुए हुंति पुस्तेहिं ॥ ६७ ॥ उद्धार सागरडुगे, सट्टे समएहिं तुल दो बुदही ॥ डुगुणा डुगुण पविवर, वलया गारा पढमत्रं ॥ ६८ ॥ पढमो जोयण लकं, वट्टो तं बेढि ठिया सेसा ॥ पढमो जंबुद्दीवो, सयंजुरमोदही चरमो ॥ ६५ ॥ जंबु धाय पुक्खर, वारुणिवर खोरघय खोय नंदिसरा | अरुण रुवाय कुंमल, संख रुयग जु यग कुसकुंचा ॥ ७० ॥ पढमे लवणोजल हि, बीए कालो य पुरकराई ॥ दोत्रेसु हुंति जलही, दी - वस माहिं नामेहिं ॥ ७१ ॥ नर वह गंधे, उप्पल तिलएय पउम निहि रयणे ॥ वासहर दह