Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 94
________________ ८९ रनासो॥ तहा.परत्योसु पसत्तयस्स, सवस्स नासो अहमा गश्य॥१७॥ दाणं दरिदस्स पहुस्स खंती, श्वा निरोहोर सुहोश्यस्स ॥ तारुन्नए इंदिय निग्गहो य, चत्तारि एयाणि सुदुक्कराणि ॥ १५॥ असासयं जीवियमाहु लोए, धम्मंचरे साहुजिणोव ॥ धम्मो य ताणं सरणं गई य,धम्मं निसेवित्तुसुहं लहंति ॥२०॥ ॥ अथ श्री दानकुलकम् लिख्यते ॥ परिहरिय रङसारो, उप्पामियसंजमिकगुरुजारो॥खंधा देवदूस, वियरतो जय वीरजिणो ॥१॥ धम्मत्थकामनेया, तिविहं दाणं जयंमि विस्कायं ॥ तहवि य जिणंदमुणिणो, धम्मियदाणं पसंसंति ॥२॥ दाणं सोहग्गकरं, दाणं आरुग्गकारणं परम। दाणं नोगनिहाणं,दाणं गणं गुणगुणाणं ॥३॥ दाणेण फुर कित्ती, दाणेण य हो निम्मला कंती ॥ दाणावडिय हिय, वयरी वि हु पाणियं वह ॥४॥ धणसबवाह

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