Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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सासे ॥ १३ ॥ एगुणवीसं लका, तेसही सहस्स उसय सत्तहो ॥ पलियाई देवालं, बंघ नवकार उस्सगो ॥ १४ ॥ लकिगसही पणती-स सहस. उसय दस पलिथ देवाजं ॥ बंधश्यहिथं जीवो, पणवीसुसास उस्सगो॥१५॥एवं पावई परायाणं, हवे निरयाउ अस्स बंधोवि॥अनाउंसिरिजिण कि-त्तिमि धम्ममि उजामंकुणह ॥१६॥
॥ अथ श्री गौतमकुलकम् लिख्यते ॥
बुझानरा अत्थपरा हवंति, मूढा नरा कामपरा हवंति ॥ बुझानरा खंतिपरा हवंति, मिस्सा नरा तिनिवि श्रायरंति ॥१|| ते पंमिया जे विरया विरोहे, ते साहुणो जे समयंचति ॥ ते सत्तिणो जे न चयंति धम्म, ते बंधवा जे वसणेहवंति ॥ ५॥ कोहानिशा न सुहं लहंति, माणंसीणो सोयपराहवंति ॥ मायाविणो हुंति परस्सपेसा लुछामहिबानरयंजविति ॥३॥ कोहो विसं किं अमयंअहिंसा, माणोयरीकिं हियमप्प

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