Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 83
________________ ७८ गत्तेणेव सामन्ना ॥ ३० ॥ एगिदिएसु पंचसु, बार सग तिसत्त अठवीसा य ॥ विगलेसु ‘सत्त अम नव, जल खह चम्पय उरग जुयगे ॥३२॥ अहत्तेरस बारस, दस दस नवगं नरामरे निरए ॥ बारस बवीत पण विस, हुंति कुले कोमि ल. का ॥३२२ ॥ ग कोमि सत्तणवई, लरका सड्ढा कुलाण कोमोणं ॥ संवुम जोणि सुरेगिं, दि नारया वियम विगल गप्नु नया ॥ ३५३॥ अचित्त जोणि सुरनिरय, मीसग्गप्ने तिनेय सेसाणं ॥ सी जसिण निरय सुर गन, मीसत्ते, उसिण सेस तिहा ॥३२॥ हय गप्न संखवत्ता, जोणी कुम्मुनयाई जायंति ॥ अरिह हरि चकिरामा, वंसी पत्ता सेसनरा ॥३२५ ॥ आउस्स बंधकालो, अ. बाह कालोय अंत समठ य॥अपवत्तण णपवत्तण, उवकम णुवकमा नणिया ॥३२६ ॥ बंधंति देव नारय, असंख नर तिरि उमाल सेसाऊ ॥ परजविया ऊसेसा, निरुवक्कमतिनागसेसाउ ॥३२॥ सोवकमा उया पुण, सेसतिजागे अहव नवम

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