Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 78
________________ ७३ विई ॥ २८० ॥ बहुमऊदेसनाए, ठेवय जोयाइ बाहिलं ॥ चरिमंते सुय तणुई, अंगुलर्सखिमई नागं ॥ २८९ ॥ तिन्निसया तित्तीसा, घएत्ति जागोय कोस नागो ॥ जं परमो गाहणाय तंते कोसस्स नागो ॥ २८२ ॥ एगा य होइ र यणी, वय अंगुलेहिं साहीया ॥ एसा खलु सिद्धाणं, जहणण जंगाणा जलिया || २०३ ॥ मथदारं समत्तं ॥ तिरियदारं नगरं ॥ बावीस सग ति दस वा स सहस गिपि तिदिए बेइंदियाई ॥ बारस वासु पण दिए, बम्मास तिपलिय विई जिहा ॥ २८४ ॥ सहाय सुद्ध वालुय, मणोसिला सक्कराय खर पुढवी ॥ इग बार चउदसोलस, द्वारस बावीस समसहसा ॥ २८५ ॥ गन जुय जलयरो जय, गनोरग पुव कोमि उक्कोसा ॥ गप्नचउप्पय परिकसु, तिपलिय पलियासंखंसो ॥ २८७ ॥ पुवस्स उपरिमाणं, सय्यरि खलु वास को मि लस्काय ॥ उप्परणं च सदस्सा, बोधवा वासकोकी ॥ २८७ ॥ संमुहिम

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