Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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पठाण, आगास पइंडिया उवरिं ॥ ११३ ॥ सतावीस सयाई, पुढवी पिंको विमाण उच्चसं ॥ पंचसया कप्पडुगे, पढमे तत्तोय इक्विकं ॥ ११४ ॥ हायइ पुढवीस सयं, व जवणेसु 5 5 5 कप्पेसु ॥ चगे नवगे पणगे, तदेव जाणुत्तरसु नवे ॥ ११५ ॥ इगवीस सया पुढवी, विमाण मिक्कारसेवय सयाइ ॥ बत्तीस जोयणसया, मिलिया सबब नायवा ॥ ११६ ॥ पण च ति पु वस विमा, ण सधय सु सुय जा सहस्सारो ॥ उवारि सिय जवण वंतर, जोइ सियाणं विविदवसा ॥ ११७ ॥ रविणो उदयचंतर, चढणवइसहस पणसय बवीसा ॥ बायाल सहिजागा, कक्कम संकंति दियहं मि ॥११८॥ एयंमि पुणो गुणिए, तिपंच सग नवहि होइ कममाणं ॥ तिगुणंमि य दोलरका तेसीइ सहस्स पंचसा ॥ ११ ॥ असिई बस विनागा, जोयण
लरक बिसतरि सहस्सा ॥ बच्चया तेत्तीसा, ती सकला पंचगुणियम्मि ॥ १२० ॥ सत्तगुणे बलका, इस हिसदस्स बसय बासीया ॥ चउपन्न

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