Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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रुश्ने, चंद अरुणे य वरुणे य ॥ १२ए ॥ वेरुलिय रुयग सरे, अंके फलिहे तहेव तवणिडो॥ मेहे अग्ध हलिद्दे, नलिणे तहलोहियकेय ॥ १३० ॥ व अंजण वरमा, ल रिह देवेय सोम मंगलए॥ बल नद्दे चक्क गया, सोवछिय एंदियावत्ते ॥१३१॥
आनंकरेय गिझी, केन गरुले य होइ बोधवे ॥ बंने बंन्नहिए पुण, वंनुत्तर संतए चेव ॥१३५ ॥ महसुक्क सहस्सारे, आणय तह पाणएय बोधवे॥ पुप्फे लंकार धारण, तहा बिय अञ्चुए चेव॥१३३॥ सदसण सुपमिबके ॥मणोरमे चेव होइ पढमतिगे ॥ तत्तोय सवनद्दे, विसालए सुमणे चेव ॥ १३५ ॥ सोमणसे पीश्करे, आश्च्चे चेव होश तश्य तिगे ॥ सकळ सिछि नामे, इंदया एए बासही ॥ १३५ ॥ पणयालीसं लका, सीमंतय माणुसं उस सिर्वच ॥ अपयहाणो सब, 5 जंबुहीवो मं लकं ॥ १३६ ॥ अह नागा सग पुढवी, सु रज्जु शकिक तह य सोहम्मे ॥ माहिद लंत सहसा, र अञ्चुय गेविज लोगते ॥ १३७ ॥ सुरेसु

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