Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 75
________________ अवहिया जणिया ॥ नाव परावत्तीए, पुणएसि हुंति बबेस्सा ॥ २५७ ॥ निर उबट्टा गप्नय, पजत्तसंखाउ लकिए एसि ॥ चकि हरिजुअल अरिहा, जिण जइ दिसि सम्मपुह विकमा ॥ २५७ ॥ रयणाएहि गाउय, चत्तारि कुछ गुरु लहु कमेण ॥ पश्पुढविगायचं हायश्जासत्तमि गछ।२५॥ ( नरय दारं सम्मत्तं, मणुयदारं जम)॥ गप्ननर ति पलियाऊ, ति गाऊ नकोस ते जहलेणं ॥ मुबिम हावि अंत मु, हु अंगुल असंख ना. गतणू ॥ २६० ॥ बारस मुहुत्त गप्ने, श्यरे चनवीस विरह उक्कोसो ॥ जम्म मरणे सुसमर्ड, ज. हमसंखा सुरसमाणा ॥ ३६१ ॥ सत्तमि महि नेरइए, तेऊ वाऊ असंख नर तिरिए । मुत्तूण से. सजीवा उप्पऊति नरनवम्मि ॥२६२ ॥ सुर नेरश्एहिंचिय, हवंति हरि अरिह चकिबलदेवा ॥ चविह सुर चकिबला, वेमाणिय हुँति हरि अरिहा ॥२६३॥ हरिणो मणुस्स रयणा, ६ हुंति नाणुत्तरेहिं देवेहिं । जह संनव मुववा, हयगय

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