Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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तिचज पंच , गुणं, तश्या इसु तंपि खिव कमसो ॥१६॥ मचिय पुढवि अहे, घणुदहि पमुहाण पिंम परिमाणं ॥ जणियं, तवो कमेणं, हाय जा वलय परिमाणं ॥ १७ ॥ तीस पणवीस पणरस, दसतिमि पणूण एगलरकाई॥ पंचय निरया कमसो, चुलसी लरकार सत्तसु वि ॥१७॥ तेरिकारस नव सग, पण तिन्निग प.. यर सवि गुणवन्ना ॥ सोमंताई अप्पड़, गणंता इंदया मशे ॥ २१ ॥ सोमंतनपढमो, बीड पुण रोस्य ति नामेण ॥ रंजो य त तर्ज, होश चउडो य उनंतो॥१२॥संनंतमसंनंतो बिनतो चेव सत्तमो निरठ॥ अहम तो पुण, नवमो, सोनत्ति णायवो ॥ २१ ॥ वकंतणु वुक्कतो, विकलो तह चेव रोरुङ निरर्ख ॥ पढमाए पुढवीए, इंदिया एएबोधवा ॥ २५ ॥ थणिए थणए य तहा, मणए मणए य होइ नायवे ॥ घट्टे तह संघट्टे, जिप्ने अव जिपए चेव ॥ २२३ ॥ लोले खोलावत्ते, तहेव घण लोबुए य बोधव्वे ॥बीयाए

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