Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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णियं, विश् पमुहं नारयाण वुहामि ॥ गतिन्नि सतदससतर, अयर बावीस तित्तीसा ॥ २०१ ॥ सत्तसु पुढवीसुविई, जिहोवरिमा हिउ पुहवीए ॥ हो कमेण कषिघा, दसवास सहस्स पढमाए ॥ २० ॥ नव सम सहस लरका, पुवाणं कोकि अयरदस नागा ॥ इकिक नाग बुढी, जा अयरं तेरसे पयरे॥२३॥श्य जिह जहला पुण, दसवास सहस्स लरक पयर उगे ॥ सेसेसु उवरि जिहा, अहो कणिघाउ परं पुढवी ॥१०४ ॥ नवरि खिइ विश विसेसो, सगपयर विहत्तु श्वसं. गुणि॥ उवरिम खिश विश सहिर्ज, इलिय पयरम्मि उक्कोसा ॥ २०५ ॥ सत्तसु खित्तज वेयण, अन्नन्न कयावि पहरणेहिं विणा ॥ पहरण कया वि पंचसु, तिसु परमाहम्मिय कयाविं ॥२०६ ॥ बंघण गश् संबाणा, नेया वमा य गंध रस फासा ॥ अगुरु लहु सद्द दसहा असुहाविय पुग्गला निरिए ॥ २०७॥ नरया दस विह वेयण सीसिण खुद्द पिवास कहिं ॥ परवस्सं जरदाई, जय

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