Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
View full book text
________________
कला तह नव, गुणंमि अमलरक सट्टा ॥११॥ सत्तसया चत्ताला, अहारसकला य श्यकम्मा चउरो ॥ चंमा चवला जयणा, वेगाय तहा गश् चउरो ॥१२॥श्चयगउंचविं, जयणयरिं नाम केश मन्नंति॥ एहिं कमोहिं मिमाहिं, गईहिं चउरो सुरा कमसो ॥ १५३ ॥ विरकंजं आयामं, परिहिं अप्रिंतरिं च बाहिरयं ॥ जुगवं मिणंति उम्मा, साजाव न तदावि ते पारं ॥ १४ ॥ पावंति विमाणाणं, केसिपिहु अहव तिगुणियाईए ॥ कमचनगे पत्तेयं, चमाईगई जोश्जा ॥ १२५ ॥ जोयण लरक पमाणं, निमिस मित्तेण जाश् जो देवा ॥ बम्मासे णय गमणं, एग र जिणा बिति ॥ १२६ ॥ तिगुणेण कप्पचगे, पंचगुणेणं तु अहसु मुणिका ॥ गेविङो सत्तगुणेणं, नवगुणे णुत्तरचनके ॥ १७ ॥ पढमपयरम्मि पढमे, कप्पे जमुनामदयविमाणं ॥ पणयाल लस्कजोयण, लकं सब्रुवरि सबकं ॥ २२७ ॥ उम् चंद रयणवग्गु, वारिय वरुणे तहेव आणंदे ॥ बंजे कंचण

Page Navigation
1 ... 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118