Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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जेपुण वट्ट विमाणा, मजिल्ला दाहिणवाणं ॥१०॥ पागारपरिस्कित्ता, वट्टविमाणा हवंति सवेवि ॥ चजरंस विमाणाणं, चउदिसिं वेश्या हो ॥१६॥ जत्तो वट्टविमाणा, तत्तो तंसस्स वेझ्या हो ॥ पागारो बोधवो, अवसेसेमुत्तु पासेसु ॥ १० ॥ पढमं तिम पयरा वलि, विमाण मुहनूमि तस्स मासहं॥पयरगुण मिहकप्पे, सव्वग्गं पुप्फकिमयरे ॥ १७ ॥ गदिसि पंति विमाणा, तिविनत्ता तंस चउरसा वट्टा ॥ तंसेसु सेसमेगं, खिव सेस उगस्स शकिकं ॥१०॥ तंसेसु चनरंसेसु य, तो रासितिगंपि चउगुणं काळं ॥ वट्टेसु इंदयं खिक, पयरधणं मोलियं कप्पे ॥ ११० ॥ कप्पेसुय मिय महिसो, वराह सीहाय बगल साबूरा ॥ हय गय नयंग खग्गी, वसहा विमिमा चिंधाई ॥१११॥ चुलसी असिश् बावत्तरि, सत्तरि सहो य पन्न चत्ताला ॥ तुलसुर तीस कोसा दस संहा आध रक चउगुणिया ॥११५॥छुसु तिसुतिसुकप्पेसु घणुदहि घणवाय तनयं च कमा ॥ सुरजवण

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