Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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५०
तसं तंसेसु उवरिमं हो ॥ चतरंसे चरंस, उडूंतु विमाण सेढोए ॥ ए ॥ सवे वट्टविमाणा, एगवारा हवंति नायवा ॥ तिमिय तंस विमाणे, चत्तारि य हुँति चउरंसे ॥ एG ॥ श्रावलिय विमाणाणं, अंतरं नियमसो असंखिऊ ॥ संखि. जमसंखिहां, नणियं पुप्फावकिल्लाणं ॥ एए ॥ एगं देवे दीवे, वे य नागोदहीसु बोधव ॥ चत्तारि जरकदीवे, नूय समुद्देसु अहेव ॥१०॥ सोलस सयंजुरमणे, दीवेसु पहिया य सुरन. वणा ॥ इगतीसं च विमाणा, सयंजुरमणे समुद्दे य ॥ ११ ॥ अञ्चंत सुरहिगंधा, फासे नवणीय मजय सुह फासा ॥ निचुङोया रम्मा, सयंपहा ते विरायंति ॥१२॥ जे दरिकणेण इंदा, दाहिण श्रावली मुणेयवा ॥ जे पुण उत्तर इंदा, उत्तर थावली मुणे तेसिं ॥ १०३ ॥ पुत्रेण पछिमेण य, जे वट्टा तेवि दाहिणिबस्स ॥ तंस चउरंसगा पुण, सामला हुंति पुण्हंपि ॥ १०४ ॥ पुवेण पत्रिमेण य, सामला बावली मुणेयवा ॥

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