Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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॥८८॥ चक्किवसणइपवेसे, तिचडुगं मागदो पनासो छ । तातो वरदामो, इह सवे विमुत्तरसयं ति ॥८॥ नरदेव बार- यमयावसप्पिणिउसप्पिणीरुवं । परिजम कालचक्कं, दुवाल सारं सया विकमा || || सुसमसुसमा य सुसमा, सुसम - पुसमा य पुसम सुसमा य । डुसमा य दुसमघुसमा, कमुक्कमा पुसु वि अरबक्कं ॥ ९१ ॥ पुव्वुत्तप सिमसय- अणुग्गहणा पिट्ठिए हवइ पलि | दसको को पिलिए - हिं सागरो होइ कालस्स ॥ ए॥ सागरचन तिडुकोमा -को मिमिए र ति नराण कमा । ऊ तिश्गपलिया, तिडुइगकोसा तच्चतं ॥३॥ तिपुइग दिणेहिं तुबरि-बयरामल मित्तु ते सिमाहारो । पिट्ठकरंगा दोसय, बप्पएणा तद्दलं च दलं ॥ए४|| गुणवरणदिणे तह पनर - पणरा दिए वच्चपालणया । वि सयलजिया जुळाला, सुमण सुरूवा य सुरगइया ॥२॥ तेसि मत्तंग १ जिंगा २ तुमिांगा ३ जोइ ४ दीव

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