Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 41
________________ य। पंच सया पणसट्ठा, धुवरासो पुस्करते ॥ ॥४ए ॥ गुणवीस सहस सग सथ, चउणनथ सवाय विजयविकंनो । तह इह बहिवहसलिला, पविसंति अ णरणगस्साहो ॥ २५० ॥ पुकरदलपुत्वावर-खमंतो सहस पुग पिहु उकुंमा। नणिया तट्ठाणं पुण, बहुस्सुया चेव जाणंति ॥ २५१ ॥ इह पउममहापामा, रुरका उत्तरकु. रूसु पुवं व । तेसु वि वसंति देवा, पउमो तह पुंमरीओ अ ॥ २५२॥ दोगुणहत्तरि पढमे, अम लवणे बीअदिवि तश्य। पिहु पिहु पण सय चाला, श्ग पर खित्ते सयलगिरिणो ॥२५३॥ तेरह सय सगवएणा, ते पणमेरूहि विरहिया सवे ।उस्सेहपायकंदा,माणुससेलो वि एमेव ॥२५॥ धुवरासीसु तिलरका, पणपएण सहस्स उ सय चुलसीया। मिलिया हवंति कमसो, परिहितिगं पुरकरछस्स ॥ २५५ ॥ पश्दहघणथणियागणि-जिणाश्णरजम्ममरणकालाई । पणयाललकजोश्रण-णरखित्तं मुत्तु णो पु(प)रो ॥२५६॥

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