Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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४१
लरका य ॥ २४ ॥ चत्तारियकोमोर्ड, लरका छचैत्र दाहिणे जवणा ॥ तिएव य कोमीट, लस्का वावधि उत्तरउं ॥ २५ ॥ रयणाए हिदुवरिं, जोयणसहसं विमुत्तु ते जवणा ॥ जंबुद्दीवसमा तह, संख मसंखित विचारा ॥ २६ ॥ चूकामफिणि गरुमे, वजे तह कलस सीह अस्से का ॥ गय मयर वर्द्धमाणे, असुराई मुणसु चिंधे ॥ २७॥
सुरा काला नागुद, हि पंकुरा तह सुवरण दिसि यलिया ॥ कणगान विज्जु सिहि दी, व अरुण वाऊ पिअंगुनिना ॥ २८ ॥ असुराणवचरत्ता, नागो दहि विज्जु दोत्र सिहि नीला ॥ दिसि या सुवन्नाणं, धवला वाऊण संऊरुई ॥ २० ॥ चसहि सहि सुरे, बच्च सहस्साई धरण माईणं ॥ सामाणिया इमेसिं, चनग्गुणा आयरस्काय || ३० ॥ रयणाए पढमजोयण, सहस्से हिदुवरिं सय सय विदू ॥ वंतरियाणं रम्मा, जोमा नगरा असंखिता ॥ ३१ ॥ बाविहा
तो, चरंस हो करिण्यायारा ॥ जवणवईणं

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