Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

View full book text
Previous | Next

Page 50
________________ ४५ तबिमे सया नमिरा ॥ नरखित्ता बहिं पुण, अउपमाणा ग्थिा निच्चं ॥ ५६ ॥ ससिर विगहनकत्ता, ताराहुंति जहुत्तरं सिग्धा ॥ विवरीयाउ महट्टीअ, विमाणवहगा कमेणेसिं ॥५॥ सोलस सोलसअम चन, दो सुरसहसा पुगेय दाहिण॥ पलिम उत्तर सीहा, हबी वसहा हया कमसो ॥५॥ गहअट्ठासी नरकत, अमवीसं तार कोमि कोमोणं ॥ बास द्विसहस्स नवसय, पणसत्तरि एगससि सिन्नं ॥ ५५ ॥ कोमा कोमी सन्नं, तरंतु मन्नंति खित्त थोवतया ॥ केई अन्ने उस्से, हंगुलमाणेण ताराणं ॥६० ॥ किएहं राहु विमाणं, निच्चं चंदेण हो अविरहियं ॥चजरंगुल मप्पत्तं, हिट्ठा चंदस्स तं चर ॥६१॥ तारस्स य तारस्स य जंबुद्दीवम्मि अंतरं गुरुयं ॥ बारस जोयण स. इसा, पुन्निसया चेव बायाला ॥ ६ ॥ निसढो य नीलवंतो, चत्तारिसयउच्च पंचसय कूमा ॥ अऊंउवरिं रिका, चरंति उन्नय? बाहाए ॥६॥ बावट्ठा पुन्निसया, जहन्नमेयं तु होइ वाघाए ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118