Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 27
________________ २२ लसमनवणा । विदिसासु सेसतिसमा, चनवाविजुया य पासाया ॥ १४४ ॥ ताणंतरेसु बम जिण-कूमा तह सुरकूरा अवरके। राययपीढे सामलि-रुक्खो एमेव गरुलस्स ॥ १४५ ॥ बत्तीस सोल बारस, विजया वक्खार अंतरणईयो । मे. रुवणायो पुवा-वरासु कुलगिरिमहणयंता ॥१४६॥ विजयाण पिहुत्ति सग-ट्ठनाग बारुत्तरा वीससया। सेलाणं पंच्चसए, सवेश्ण पन्नवीससयं ॥१४७ ॥ सोलससहस्स पणसय, बाणग्या तह य दो कलायो य । एएसिं सवेसि, आयामो वणमुहाणं च ॥ १४ ॥ गयदंत गिरिव्वुच्चा, व. क्खारा ताणमंतरणईणं । विजयाणं च निहाणा'मालवंता पयाहिणयो ॥ १४ए ॥ चित्ते १ य बंजकूमेश णलिणीकूमे ३ य एगसेले ४ य। तिउमे ५ वेसमणे ७ वि य, अंजण ७ मायंजणे ७ चेव ॥ १५० ॥ अंकावर ए पम्हावर १० सीविस ११ तह सुहावहे १२ चंदे १३ । सूरे १४ णागे १५ देवे १६, सोलस क्क्खारगिरिणामा

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