Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 24
________________ १९ हलाइ पंच सए । पिहुलं सोमणसवणं, सिलविणु पंगवणस रिचं ॥ १२० ॥ तब्बाहिरि विक्खंजो, बायालसयाई दुसयरि जुएं । अगारसनागा, मज्जे तं चैव सहसूणं ॥ १२१ ॥ तत्तो मसट्ठीसदसेहिं णंदणं पि तह चेव । एवरि जवणपासायं - तरट्ठ दिसि कुमरिकूमावि ॥ १२२ ॥ - वसहस एवसयाई, चनपणा बच्चिगारदाया य । Campe दबहिबिक्खंनो, सहसूलो होइ मज्जम्मि ॥ ॥ १२३ ॥ तदहो पंचसएहिं महिलि तह चेव जसालवणं । णवर मिह दिग्गर चित्र, कूमा वपवित्रं तु इमं ॥ १२४॥ बावीस सहस्सा, मेरू पुवा पछिम । तं चामसी वित्तं, वणमाणं दाहिणुत्तर ॥ १२५ ॥ बव्वीस सहस च सय, पणहत्तरि गंतु कुरुणइपवाया । उनओ विणिग्गया गय-दंता मेरुम्मुहा चउरो ॥ १२६ ॥ इस पयादि ऐण सिरत्तपानी लाना । सोमणस विज्जुप्पह-गंधमायण मालवंतक्खा ॥१२७॥ अहलोयवासिणीच्यो, दिसाकुमारोज अट्ठ ए.

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