Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 19
________________ विहिअन्नरहे-रवया उगुरुगुहा य रुप्पमया । दो दोहा वेअमा, तहा उतीसं च विजएसु ॥१॥ णवरं ते विजयंता, सखयरपणपएणपुरउसेणीया। एवं स्वयरपुरा, सगतीससयाई चालाई ॥२॥ गिरिविबरदीहारी, अमुच्चचलपिहुपवेसदारार्छ । बारसपिहुलाउ असु-चैयाउ वेअर गुहार्ड ॥३॥ तम्मजोश्रणयं-तराउ तितिविबराउ पुणर्छ । उम्मग्गनिमग्गा, कमगाउ महाणईगया ॥७॥ इह परनित्तिं गुणव-एणमंमले लिहश् चक्कि उसमुहे।पणसयधणुहपमाणे, बारेगमजोअणुजोए ॥८५॥ सा तमिसगुहा जीए, चक्को पविसे मज्जखमंतो। उसहं अंकिय सो जी-ए वल सा खमंगपवाया ॥६॥ कयमालनमालय-सुराज वणिबहसलिलाउ । जा चको ता चिटुंति, ता उग्घमियदारा ॥७॥ बहिखमंतो बारस-दीहा नवविचमा अउज्जपुरी। सा लवणा वेअमा, चउदहियसयं चिगारकला

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