Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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परिअरणई चनदस, लरका बप्पएण सहसा य ॥६॥ एगारमणवकूडा, कुलगिरिजुअलत्तिगे वि पत्तेयं । ३२ बप्पएण चन चन, वरकारेसु त्ति चउसट्ठी ॥६५॥ सोमणसगंधमाणि, सग सग विज्जुप्पनिमालवंति पुणो । अट्ठट्ठ सयल तीसं, अम णंदणि अट्ठ करिकूमा ॥६६॥ श्य पणसयउच्च बासट्ठि-सउ (य) कूमा तेसु दोहरगिरीणं । पुवण मेरुदिसि, अंतसिझकूमेसु जिणचवणा ॥६॥ ते सिरिगिहा दोसय-गुणप्पमाणा तहेव तिवारा । णवरं अमवीसाहिब-प्लयगुणदारप्पमाण मिहं ॥६॥ पणवीसं कोससयं, समचउरसविचमा पुगुणमुच्चा । पासाया कूमेसु, पणसय उच्चेसु सेसेसु ॥६॥ बलहरिस्सहह रिकूमा, णंदणवणि मालवंति विज्जुपन्ने । ईसाणुत्तरदाहिण-दिसासु सहसुच्च कणगमया ॥७॥ वेअसु वि णव णव, कूमा पणवीसकोसच्चा ते । सवे तिसय बमुत्तर, एसु वि पुवंति जिणकूमा ॥१॥ ताणुवरि चेश्हरा, दहदेवीलवणतुबपरिमाणा। सेसेसु. अ

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