Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 16
________________ खित्त-कमज्फ वलश् पुवयवरमुहं । णश्सत्त. सहससहिलं, जगश्तलेणं उदहिमे ॥५६॥ धुरि कुंमवारसमा, पङते दसगुणाय पिहुलत्ते । सबब महणछ, विचरपएणासन्नागुंमा ॥५॥ पण खित्तमहणजे, सदारदिसि दह विसुङगिरिअहं । गंतूण सजिन्नीहिं, णिमणिकुंमेसु णिवमंति ॥५॥णियजिब्जियपिहुलत्ता, पणवीसंसेण मुत्तु मज्जगिरि । जाममुहा पुवुदहिं, श्वरा अवरोथहिमुर्विति ॥५५॥ हेमव रोहिअंसा, रोहिया गंगगुणपरिवारा। एरएणवए सुवएण-रुप्पकूला ताण समा॥६॥हरिवासे हरिकंता, हरिसलिला गंगचगुणणईया। एसि समारम्मयए, परकंता णारिकंता य ॥६१॥ सीया सीआई, महाविदेहम्मि तासु पत्तेयं । णिवमर पणलक पुतीससहस अमतीस णश्सलिलं ॥६॥ कुरुण चुलसीसहसा, बच्चेवंतरणईज पश्विजयं । दो दो महाण, चउदसहस्सा उ पत्तेयं ॥६३॥ अमसयरि महणजे, बारस अंतरणईल सेसाः ।

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