Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai
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नवणं । अझेगकोसपिहुदी-हचउदसयचालधणुहुच्चं ॥३णा पछिमदिसि विणु धणुपण-सय उच्च ढाऊसय पिहुपवेसं। दारतिगं श्ह नवणे, मज्के दहदेविसयणिज॥४०॥ तं मूलकमलप्प-माणकमलाण अमहियसएणं । परिखित्तं तब्नवणेसुनूसणाईणि देवाणं ॥ ४१॥ मूलपउमाउ पुविं, महयरियाणं चनण्ह चल पउमा । अवराश् सत्त पउमा, अणियादिवईण सत्तण्हं ॥४॥ वायव्वाश्सु तिसु सुरि-सामएणसुराण चनसहस पनमा । अट्रदसबारसहसा अग्गेयास तिपरिसाणं॥४३॥ श्व बीअपरिकेवो, तइए चउसु वि दिसासु देवीणं । चउ चन पनमसहस्सा, सोलससहसाऽऽयरकाणं ॥४॥ अनिगा तिवलए, तीसचत्तामयाललरका।गकोमि वीस लरका, सला वीस सयं सत्वे ॥४५॥ पुवावरमेरुमुहं, उसु दारतिगं पि सदिसि दहमाणा । असिईनागपमाणं, सतोरणं णिग्गयणईशं ॥४६॥ जामुत्तरदारगं, सेसेसु दहेसु ताण मेरुमुहा। सदिसि दहासिथ.

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